Friday, April 18, 2025
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2024 में आरेडिका ने हासिल की महत्वपूर्ण उपलब्धियॉं 

पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना निर्मित प्रथम 3-फेज मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) को 29 मार्च 2024 को आरेडिका रायबरेली से उत्तर पूर्वी रेलवे के लिए भेजा गया। यह आरेडिका के इतिहास में एक प्रमुख दिन है। इससे एक शहर से दूसरे शहर के बीच यात्रा करने वाले या‍त्रियों को काफी सुविधा होगी तथा उच्च यातायात वाले मार्गों पर भीड़ को कम करने में मदद मिलेगी।
8 कार वाले 3-फेज मेमू (25 केवी), 3 फेज एसिंक्रोनस इंडक्शन मोटर्स के साथ संबंधित आईजीबीटी आधारित माइक्रो-प्रोसेसर नियंत्रित पावर कनवर्टर-इन्वर्टर, सहायक कनवर्टर, फिल्टर इत्यादि से सुसज्जित है जो मेसर्स बीएचईएल द्वारा डिजाइन और विकसित किए गए हैं। गौरतलब है कि अत्याधुनिक एमवीबी (मल्टीफ़ंक्शन व्हीकल बस) आधारित ट्रेन कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम (टीसीएमएस) जो उन्नत नियंत्रण सुविधाएँ प्रदान करता है, को मेसर्स बीएचईएल द्वारा इन-हाउस विकसित किया गया है, इससे श्मेक इन इंडियाश् के दृष्टिकोण को और बल मिला तथा श्आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए एमसीएफ अग्रशील है।

  यात्रियों के आराम और सुरक्षा पर ध्यान देने के साथ, यह 3-फेज मेमू ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की अधिकतम सेवा गति के लिए डिज़ाइन की गई है जो उच्च त्वरण वाले यात्रियों के लिए यात्रा को तेज़ और आरामदायक बनाएगी।
 मेमू ट्रेन के प्रत्येक कोच को नवीनतम जीपीएस-आधारित यात्री सूचना प्रणाली से युक्तज है जो अपने चलने वाले मार्ग में पड़ने वाले रेलवे स्टेशनों के बारे में यात्रियों को जानकारी प्रदान करती रहेगी। प्रत्येक कोच में ऊर्जा कुशल एलईडी लाइटें प्रदान की गई हैं साथ ही 50 प्रतिेशत अपातकालीन रोशनी की व्यकवस्थात भी की गयी है।
मेमू ट्रेन की आसान निगरानी और नियंत्रण के लिए एक टच स्क्रीन-आधारित ड्राइवर डिस्प्ले यूनिट भी स्थापित की गई है। एर्गाेनॉमिक रूप से डिज़ाइन किए गए ड्राइवर डेस्क के साथ एक वातानुकूलित ड्राइविंग कैब ड्राइवर को आरामदायक ड्राइविंग वातावरण प्रदान करती है।
 इन कोचों में एक तकनीकी रूप से उन्नत रीजनरेटिंग ब्रेकिंग प्रणाली है जो ब्रेकिंग से उत्पइन्ना ऊर्जा को ओवरहेड सप्लाई लाइन में वापस भेजती है जिसे सिस्टम के भीतर उसी फीडिंग जोन में अन्य ट्रेनों द्वारा उपयोग किया जा सकता है। इन कोचों में तेजी से ब्रेक लगाने के लिए सेमी परमानेंट शाखू कपलर और इलेक्ट्रो-न्यूमेटिक एयर ब्रेक सिस्टम भी लगाया गया है।
आरेडिका द्वारा अगले वर्ष मेमू के 7 रेकों के श्रृंखलाबद्ध उत्पादन किया जायेगा
मेमू की विशेषताएं-
  • रेक संरचना: 08 कोच (ड्राइवर मोटर कार-2, ट्रेलर कार-6)
  • शैलः स्टेनलेस स्टील (एसएस) शैल
  • बोगीः आईसीएफ प्रकार की बोगी
  • बैठने की क्षमता
  • डीएमसी कोच, टीसी कोच
  • बैठने वाले यात्रियों की संख्या 55 84
  • खड़े यात्रियों की संख्या 171 241
  • पावरिंगः 25% (अर्थात् 03 ट्रेलर कोच के साथ 01 मोटर कोच जुड़ा हुआ)
  • अधिकतम गति- 110 किमी/घंटा
  • एक्सीमलरेशन- 0.54 मीटर/सेकंड2
  • डीसलरेशन- औसत 110 किमी/घंटे से 50 किमी/घंटा : 0.76 मी./से.2
  • 50 किमी/घंटा से स्थिर स्थिति तक औसत : 0.84 मी./से.2
  • रीजनरेटिव ब्रेकिंग
  • कोच डिस्प्ले के साथ यात्री सूचना प्रणाली (पीआईएस), हेड कोड, ऑडियो संचार प्रणाली और रेलवे पर मौजूदा ट्रेन निगरानी प्रणाली के साथ इंटरफ़ेस शामिल है।
  • सीसीटीवी
  • संघनित एयरोसोल आधारित अग्नि जांच और सप्रेशन प्रणाली और संबंधित सहायक उपकरण
  • शौचालय
  • एचटी रूम और कैब में बीएलडीसी पंखे, यात्री क्षेत्र में एसी पंखे।
आरेडिका ने किया फोर्ज्ड व्हील प्लाण्ट का अधिग्रहण  
फोर्ज्ड व्हील के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए वर्ष 2013 में फोर्ज्ड व्हील प्लाण्ट का निर्माण कार्य आरम्भ हुआ। इस प्लाण्ट से प्रतिवर्ष फोर्ज्ड व्हीलों के निर्माण की योजना थी। लेकिन राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड का यह कारखना उत्पादन के प्रारम्भिक दौर से ही  फोर्ज्ड व्हील के उत्पादन को गति न दे सका। कारखाने को गति देने के लिए रेल मंत्रालय आगे आया एवं वित्त वर्ष 2024-25  के अप्रैल माह से फोर्ज्ड व्हील प्लाण्ट का स्वामित्व राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड से रेल मंत्रालय को हस्तांतरित हुआ है। इसके लिए रेल मंत्रालय ने 1725 करोड़ रुपये का हस्तांतरण राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को किया। रेल इस्पारत निगम लिमिटेड और रेल मंत्रालय ने मॉडर्न कोच फैक्ट्री, लालगंज, रायबरेली के माध्यम से आरआईएनएल/फोर्ज्ड व्हील प्लांट के हस्तांतरण के लिए 21.03.2024 को एक बिजनेस ट्रांसफर एग्रीमेंट (बीटीए) पर हस्ताक्षर किए। बीटीए समझौते के अनुसार एफडब्ल्यूपी संयंत्र को 01.04.2024 से एमसीएफ द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया।
आरेडिका व्हील प्लांट की मुख्य विशेषताएं 
  • फोर्ज्डन पहियों के आयात में मदद मिलेगा तथा आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने की ओर एक कदम
  • भारतीय/अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार सभी प्रकार के पहियों का निर्माण कर सकते हैं
  • रोबोट मैनिपुलेटर्स के साथ पूर्ण सामग्री हैंडलिंग के साथ पूरी तरह से स्वचालित संचालन
विश्व स्तरीय प्रयोगशाला
फोर्ज्ड्व्हील प्लांट ने लगभग 500 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए हैं और क्षेत्र के विकास में आधुनिक कोच फैक्ट्री के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।  01.04.2024 से फोर्ज्डन व्हीगल प्लांट, आधुनिक रेल डिब्बास कारखाना रायबरेली (भारतीय रेल) में समाहित होकर कार्य कर रहा है।
आरेडिका ने व्हीलों के उत्पादन को गति प्रदान करने के लिए एक टीम का गठन किया। टीम ने रेल व्हीलों की गुणवत्ता संबंधित मानकों का निरीक्षण किया एवं आरेडिका के उच्च अधिकारियों के साथ विचार विमर्ष किया जिससे उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। आज इसी का परिणाम है कि प्रारम्भिक 8 माह अप्रैल 2024 से नवम्बिर 2024 में उत्पादित फोर्ज्ड व्हीलों की संख्या 24387 रही जो कि पिछले साल अप्रैल 2023 से नवम्बेर 2023 के 8 माह में उत्पादित फोज्ड व्हीलों की संख्या 14962 से 62%अधिक है तथा पूर्णतः निर्मित (स्टैम्प) व्हीलों की संख्या अप्रैल 2024 से नवम्बरर 2024 के मध्य 19994 रही जो कि पिछले साल अप्रैल 2023 से नवम्बर 2023 के मध्य निर्मित (स्टैम्प) व्हीलों 14034 से 42% अधिक है।
आरेडिका रायबरेली में जल प्रबंधन और वर्षा जल संचयन की पहल 
जल पृथ्वी पर सभी जीवन के लिए आवश्यक एक बहुमूल्य संसाधन है। इस मूल्यवान संसाधन के प्रबंधन एवं संरक्षण की दिशा में सक्रिय कदम उठाना हमारी प्रमुख जिम्मेदारी है। जल संरक्षण का अभिप्राय जल की हर बूंद से है।
पानी की प्रत्येक बूंद को संरक्षित करने के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, जल शक्ति अभियान के हिस्से के रूप में आरेडिका ने जल संरक्षण एवं  प्रबंधन की रणनीति की योजना बनाई और 2023-24 में 100 मिलियन लीटर जल संरक्षण क्षमता विकसित की। 2023-24 में 100 मिलियन लीटर जल संरक्षण क्षमता सृजन के साथ, एमसीएफ की कुल जल संरक्षण क्षमता बढ़कर 530 मिलियन लीटर हो गई है।
आरेडिका परिसर में मथना नाला से गुजरने वाले वर्षा जल का डायवर्जन  किया गया है यह एक गेम चेंजर साबित होने जा रहा है क्योंकि इससे दर्जनों गांवों को कवर करने वाले बड़े जलग्रहण क्षेत्र के वर्षा जल का संचयन कर उपरोक्त निर्मित एवं विस्तारित तालाबों में किया जाएगा ।
एमसीएफ ने चालू वर्ष 2024-25 में 100 मिलियन लीटर जल संरक्षण क्षमता बनाने की योजना बनाई।
आरेडिका का 6 माह में अभी तक का सर्वाधिक कोच उत्पादन 
आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना, रायबरेली में वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल 2024 से सितंबर 2024 तक प्रथम 6 माह में कुल 873 कोच का उत्पादन किया जो आरेडिका के अभी तक का प्रथम 6 माह का सर्वाधिक उत्पादन है।
इन 873 कोचों में दीनदयालु, स्लीपर और वातानुकूलित कोच शामिल हैं। इस वित्तीय वर्ष दीनदयालु के 122 कोच, 3एसी के 211 कोच, 3एसी इकोनोमी के 210 कोच, 2एसी के 60 कोच, स्लीपर के 85 कोच तथा अन्य कोच शामिल हैं। 2024-25 के प्रथम 6 माह में 3एसी के 211 कोचों का निर्माण किया गया है जो पिछले वर्ष 2023-24 में प्रथम 6 माह में बने कोचों से लगभग 13 गुना अधिक है।
आरेडिका ने 23777 व्हीलों की फोर्जिंग कर पिछले वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ा 
आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना, रायबरेली के फोर्ज्ड व्हील प्लाण्ट ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल 2024 से 21 नवम्बर 2024 तक 8 माह से भी कम समय में कुल 23777 व्हीलों की फोर्जिंग कर अपने पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान की गई कुल 23631 व्हीलों की फोर्जिंग के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। जब से फोर्ज्ड व्हील प्लाण्ट का स्वामित्व आरेडिका को प्राप्त हुआ है आरेडिका प्रशासन फोर्ज्ड व्हीलों के उत्पादन को उच्च आयाम पर ले जाने के लिए प्रयासरत है।
आरेडिका ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया
आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना रायबरेली में दिनांक 25-10-2024 को आरेडिका के विद्युत विभाग के द्वारा प्रशासनिक भवन, तकनीकी प्रशिक्षण केन्द्र एवं जीएम कैम्प ऑफिस की छत पर  635 किलोवाट के रूफटॉप सोलर पैनल की स्थापना की गई। इस नवनिर्मित रूफटॉप सोलर पैनल का उद्घाटन महाप्रबंधक प्रशान्त कुमार मिश्रा द्वारा उच्चाधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
आरेडिका के प्रधान मुख्य विद्युत अभियंता हरीश चन्द्र ने बताया कि नवनिर्मित रूफटॉप सोलर पैनल के निर्माण से प्रशासनिक भवन की कुल विद्युत खपत जो वर्तमान में 4000 यूनिट है घटकर मात्र 1500 यूनिट प्रतिदिन औसत रह जाएगी एवं भविष्य में इस 1500 यूनिट को भी हरित ऊर्जा द्वारा पूरा करने के लिए प्रशान्ति परिसर स्थित 3 मेगावाट के संयंत्र से जोड़ा जाएगा इससे सम्पूर्ण प्रशासनिक भवन ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। इस संयंत्र के निर्माण से 14 हजार रुपये प्रतिदिन की बचत होगी  जिससे पॉच साल में 2-5 करोड रुपये की बचत होगी जोकि कुल लागत के लगभग बराबर है। साथ ही इस संयंत्र की स्थापना से कार्बन फुट प्रिन्ट जैसे मानको में कमी आएगी एवं हरित ऊर्जा तथा स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि होगी।