लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दस दिवसीय शोध विधि पर आधारित कार्यशाला का उद्घाटन समारोह बुधवार को भव्य रूप से संपन्न हुआ। यह कार्यशाला भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) द्वारा प्रायोजित है, जिसमें देशभर से आए शोधार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की, जबकि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के पूर्व कुलपति प्रो. अनिल शुक्ल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. तेज प्रताप सिंह, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही, प्रो. हरिशंकर सिंह, तथा कार्यशाला के कोर्स डायरेक्टर डॉ. बी.एस. गुप्ता भी मंचासीन रहे।
उद्घाटन समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं गौतम बुद्ध के चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इसके उपरांत आयोजकों द्वारा अतिथियों को पौधा एवं अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम के शुभारंभ में प्रो. राजशरण शाही ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके बाद डॉ. बी.एस. गुप्ता ने कार्यशाला की रूपरेखा और उद्देश्यों की जानकारी दी। कुलपति प्रो. मित्तल ने अपने संबोधन में शोध की समाजोपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि शोध को समाज की समस्याओं से जोड़कर ही उसकी सार्थकता सिद्ध होती है। उन्होंने शोध में मौलिकता, प्रामाणिकता, और समर्पण को आवश्यक बताया। साथ ही उन्होंने ‘प्रज्ञा’, ‘शील’, और ‘करुणा’ को शोध के तीन आधार स्तंभ बताया। मुख्य अतिथि प्रो. अनिल शुक्ल ने शिक्षा को “स्वयं के बोध और संसार के शोध” के रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि एक सफल शोधकर्ता बनने के लिए जिज्ञासा, सामाजिक चेतना और नैतिक मूल्यों का होना अनिवार्य है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया। प्रो. तेज प्रताप सिंह ने आयोजन समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कार्यशाला की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। प्रो. शाही ने अपने वक्तव्य में कहा कि किसी राष्ट्र की प्रगति उसके शिक्षकों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। उन्होंने शोध को नवाचार का आधार बताते हुए इसे केवल डिग्री प्राप्ति का माध्यम न मानने की सलाह दी। साथ ही विद्यार्थियों में उत्कृष्टता और मानवीय मूल्यों के समावेश की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम का समापन प्रो. हरिशंकर सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकगण प्रो. रामपाल गंगवार, प्रो. रिपु सुदन सिंह, प्रो. ओ.पी.बी. शुक्ला, डॉ. सुभाष मिश्र, डॉ. विक्टोरिया सुसन, डॉ. संगीता चौहान, डॉ. विवेक नाथ त्रिपाठी, डॉ. लालिमा, डॉ. राजेश एक्का, डॉ. शिखा तिवारी, डॉ. मीना वि. रक्षे सहित अनेक प्रतिभागी उपस्थित रहे।
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