नई दिल्ली। गाजा पट्टी में इज़रायल द्वारा चलाए जा रहे सैन्य अभियान के विरोध में देश की पांच वामपंथी पार्टियों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया। सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक की अगुवाई में यह प्रदर्शन ‘17 जून: फिलिस्तीन के साथ एकजुटता का राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में आयोजित किया गया। वामपंथी दलों ने कहा कि गाजा में इजरायल की सरकार द्वारा जो “नरसंहार युद्ध” छेड़ा गया है, वह मानवता के विरुद्ध एक गंभीर अपराध है। नेताओं ने दावा किया कि पिछले बीस महीनों में गाजा पर इजरायल की बमबारी और सैन्य हमलों में 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। बयान में यह भी कहा गया कि गाजा का बुनियादी ढांचा – अस्पताल, स्कूल, और शरणार्थी शिविर – जानबूझकर निशाना बनाए गए हैं, जिससे क्षेत्र की स्थिति अभूतपूर्व मानवीय संकट में बदल गई है। वामपंथी दलों ने इजरायल द्वारा गाजा में मानवीय सहायता पहुंचने से इनकार किए जाने को सबसे अमानवीय कदम बताया।
उन्होंने “फ्रीडम फ्लोटिला” के मानवतावादी जहाज ‘मैडलीन’ पर अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में किए गए इजरायली हमले की भी निंदा की और भारत सरकार से मांग की कि वह हिरासत में लिए गए सभी अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों की रिहाई सुनिश्चित करे। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से यह भी अपील की कि वह गाजा में निर्बाध मानवीय सहायता सुनिश्चित करने, अमानवीय घेराबंदी समाप्त करने और इस संकट पर स्पष्ट रुख अपनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुखर भूमिका निभाए। वक्ताओं ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जैसे वैश्विक निकायों द्वारा उठाई जा रही आपत्तियों के बावजूद, इजरायल की नेतन्याहू सरकार अमेरिका और कुछ अन्य सहयोगी देशों के समर्थन से अपनी सैन्य कार्रवाई जारी रखे हुए है। उन्होंने राफा पर हाल ही में हुए हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकारों और बुनियादी मानवीय मूल्यों की घोर उपेक्षा बताया। -Pic & story by Kamal Nain Narang
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