सासनी/हाथरस, जन सामना संवाददाता। देश के सबसे अनिवार्य विषय शिक्षा को बढावा देने के लिए भारत सरकार अरबों रूपये पानी की तरह बहा रही हैं। वहीं कुछ लोग सरकार की इस योजना को पलीता लगाने में जुटे हैंै। जिससे बच्चों की पढाई पर गहरा असर पड रहा है। खेतों में हो रही आलू की खुदाई के साथ विद्यालयो में छा़त्रों की स्थिति नगण्य नजर आ रही है। बता दें कि मार्च के प्रथम सप्ताह से खेतों में आलू की खुदाई शुरू होने के साथ ग्रामीण अपने बच्चों को पढाई से रोकर खेतों में आलू एकत्र करने के लिए भेज देते हैं। ऐसा कई वर्षों से प्रतिवर्ष देखा जा रहा है। उधर शिक्षक शिक्षिकायें भी इससे बेखबर बच्चों को विद्यालय बुलाने का प्रयास नहीं करते है। सुबह से दोपहर तक विद्यालयों में अपनी हाजिरी लगाकर आराम फरमाकर अपने घरों को चले जाते है। खेतों में आलू एकत्र करने के लिए बच्चों को किसानों से धन मिलता है। जिससे बच्चों के माता पिता काफी खुश हो जाते है। मगर उन्हें शिक्षित करें यह बात उनके मन में नहीं आती है। सडक के किनारे खेतों में काम कर रहे बच्चों को देखते हुए अधिकरियों की गाडियां भी सडक पर फर्राटे भरते निकल जाती है। मगर अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे ते है। मासूम बच्चों के अंधकार में जा रहे भविष्य को अनदेखा कर अभिभावक बच्चों द्वारा कमाये गये धन पर काफी खुश होते है। इस ओर शासन और प्रशासन भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है। क्या देश के कर्णधार अशिक्षित रहकर देश का भविष्य कहलायेंगे। यह बात काफी लोगों के जेहन में उठ रही है।किसानों का काम है, बच्चे भी किसानों के हैं इसलिए खेतों में काम करने जा रहे है। शिक्षा विभाग का प्रयास निरंतर जारी है, शिक्षक और शिक्षिकायें बच्चों के अभिभावकों को समझाने में लगे है। बच्चों से इस उम्र में खेतोें में काम न करायें और उन्हें शिक्षित कर उनके भविष्य को उज्वल बनाने में सहयोग करें–श्रीमती पवन कुमारी खंड शिक्षाधिकारी सासनी