Saturday, June 1, 2024
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गरीबी भी न तोड़ सकी जीत का जूनून

फल वाले की बेटी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहराया अपनी मेधा का परचम
कानपुर नगर, महेंद्र कुमार। “जीत की खातिर तो बस जूनून चाहिए, उबाल हो जिसमे ऐसा खून चाहिए, ये आसमां भी आएगा जमीं पर यारों, बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए” यह कविता इस नन्ही खिलाडी की जिंदगी पर बिल्कुल सही बैठती है क्योंकि कुछ इसी तरह का जज्बा इस नन्हीं प्रतिभा संजना के अंदर नजर आता है जो गरीबी और मुफलिसी का सामना करते हुए हैपकिडो में जोरदार प्रदर्शन कर अपने घरवालो और गुरु के साथ ही देश का नाम भी रोशन कर रही है। डबल पुलिया चौराहे पर फल का ठेला लगाने वाले जयप्रकाश नगर काकादेव निवासी फूलचन्द और उनकी पत्नी लक्ष्मी जो की इस बच्ची के माता-पिता है उनकी ख्वाहिश है कि उनकी बेटी पढाई के साथ ही खेल की दुनिया में आसमान चूमे वही बेटी भी उनके सपने को पूरा करने के लिए दिनरात पसीना बहाने में जुटी हुई है। प्रतिभा की धनी संजना ने भूटान में हुई हेपकीड़ो बॉक्सिंग में पदक जीत कर अपने परिवार के संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय मुकाम दे दिया।
संजना ने अगस्त 2019 को भूटान में सम्पन हुई हेपकीड़ो बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भारतीय टीम का हिस्सा बन सब जूनियर वर्ग में देश भर के 42 खिलाडियों के साथ पदक के लिये दावा पेश किया और नेपाल, बांग्लादेश और भूटान जैसे देशो की खिलाडियों को मात देते हुए देश के लिए गोल्ड जीत अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मेघा का परचम लहराया। संजना भले ही गरीब परिवार से ताल्लुकात रखती हो लेकिन उसके हौसले काफी बुलंद है। उसके बुलंद हौसले का ही नतीजा है कि 2018 में हरदोई में हुये स्टेट मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद तो संजना ने पदको की झड़ी लगा दी, सहारनपुर स्टेट में गोल्ड, पटना नेशनल में स्वर्ण पदक व गुजरात में हुये नेशनल में स्वर्ण पदक जीता। 2018 में दिल्ली में हुये स्कूल गेम्स में स्वर्ण पदक हासिल किया। संजना का कहना है कि जिस जगह हम रहते है वंहा पर लड़कियों को बढ़ावा नहीं दिया जाता है लेकिन उनको दिखाना चाहते है कि सभी अपनी लड़कियों को मेरी जैसी बनाये हर खिलाडी का कोई ना कोई आदर्श होता है लेकिन संजना अपने माता पिता को ही अपना आदर्श मानती है।
संजना के हौसले की उड़ान को उस समय पंख लग गये जब उसकी मेहनत और लगन को देखते हुये कोच आजाद ने उसको ट्रेनिंग देनी शुरू की। संजना के कोच आजाद का कहना है कि वह किस्मत वाले है जो उन्हें ऐसी बच्ची मिली है, उन्होंने ढाई से तीन साल पहले उसे ट्रेनिंग देनी शुरू करी थी और तब से अब तक संजना ने कई मैडल जीते है। संजना की प्रतिभा और मेहनत का नतीजा है की उसने भूटान में सम्पन हुई प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत अपना और देश का नाम रोशन किया है। कोच आजाद को यकीन है संजना एक न एक दिन देश के लिए ओलम्पिक में गोल्ड लाएगी।
संजना की माँ लक्ष्मी ने बताया कि संजना अपने पिता व भाई के साथ फल के ठेले पर मदद करती है। हम उसे वो सब नहीं दे पाये जिसकी वो हकदार थी लेकिन अपनी लगन के बूते वो शहर ही नहीं अपने देश का नाम दुनिया में रोशन करेगी। संजना के घरवालों और उनके कोच का कहना की वह उसकी सफलता के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ेंगे हर जतन करके उसे आगे बढ़ाएंगे। भूटान से लौटने के बाद संजना एशियाड की तैयारियों में जुटी है। संजना की लगन और जीत के जज्बे को देखते हुए जहां एक तरफ कुछ सामाजिक संस्थाए उसकी मदद को आगे आयी है, वही खेल मंत्री चेतन चैहान ने कानपुर खेल निदेशक को निर्देश देते हुए संजना को सरकारी खर्चे पर हर संभव मदद दिए जाने का किया ऐलान भी किया है।