Friday, April 26, 2024
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मुफलिसी की भेंट चढ़ा श्रीकृष्ण

हाथरस/सासनी, नीरज चक्रपाणि। शासन प्रशासन भले ही गरीबी हटाने का दाबा कर ले मगर आज भी कई गांव और शहरों में बसे लोग मुफलिसी में अपनी जिंदगी के दिन व्यतीत कर रहे हैं इनकी ओर न तो किसी जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान है और न ही शासन के किसी कर्मचारी का, आखिर मुफलिसी में दिन गुजार रहे लोगों को बीमार होने पर उचित उपचार न मिलने के कारण मौत को गले लगाना पडता है। गाव जरैया में भी मुफलिसी में दिन काट रहे पचास वर्षीय श्रीकृष्ण ने उचित उपचार न मिलने के कारण दम तोड दिया। जिसका अंतिम संसकार ग्रामीणों ने चंदा एकत्र कर किया। ग्रामीणों के अनुसान गांव जरैया में रहने वाला श्रीकृष्ण मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। गांव के कोने में एक झोंपडे में वह अपने दो बेटियों तथा एक बेटे और पत्नी के साथ रहकर गुजर-बसर कर रहा था। जब तक श्रीकृष्ण के शरीर में रोगों से लडने की जान रही तब तक वह मेहनत करता रहा। करीब पांच साल पूर्व उसकी पत्नी को भी भगवान ने छीन लिया। अब वह अपने बच्चों के साथ ही अपने दिन गुजारने लगा। सुबह मेहनत कर लाता और शाम का बच्चों के साथ खापीकर सो जाता। दो साल पूर्व श्रीकृष्ण की हालत बिगड गई। अब तो बीमारी के कारण बच्चों का भरण पोषण भी ठीक प्रकार नहीं हो पाता। कभी बच्चों को पडौसी खाना दे देते तो कभी श्रीकृष्ण की दवा करा देते। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार राजनेता वोट मांगने आए आश्वासन तो सभी ने दिया मगर सहायता किसी ने नहीं की, और न ही सरकार के कानों तक उसकी आवाज को पहुंचाया। इतवार को जब श्रीकृष्ण की हालत ज्यादा बिगडने लगी तो ग्रामीण चंदा एकत्र कर एक वाहन द्वारा दवा दिलाने बृंदावन ले गये। जहां श्रीकृष्ण की जांच कराकर दवा दिलाने के लिए पर्चा तो बनवा लिया मगर जैसे ही चार पहिया वाहन से श्रीकृष्ण को उतारने लगे तो श्रीकृष्ण ने दम तोड दिया। ग्रामीण श्रीकृष्ण के शव को गांव ले आए। शव के गांव आते ही पडौस की महिलाओं और श्रीकृष्ण के बच्चों में करूण क्रंदन मच गया। ग्रामीणों ने चंदा एकत्र कर अर्थी का सामान जुटाया और उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया। इस दौरान ग्राम प्रधान तथा किसी अन्य जनप्रतिनिधि ने श्रीकृष्ण के लिए दो आंसू बहाना भी मुनासिव नहीं समझा। अब देखना यह है कि श्रीकृष्ण की बडी पुत्री शादी योग्य है। उसका विवाह कौन करेगा और परिवार का भरण पोषण कौन करेगा। एसडीएम ओमवीर सिंह से बात करने पर बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। लेखपाल भेजकर जानकारी जुटाई जाएगी। यदि वास्तविकता जांचकर प्रशासनिक आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।