कानपुर देहात- नई शिक्षा नीति से प्रदेशभर के 1.5 लाख से अधिक बीपीएड (बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन), डीपीएड (डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन) और सीपीएड (सर्टिफिकेट इन फिजिकल एजुकेशन) बेरोजगारों में उम्मीद जगी है। नई नीति के मुताबिक अब शारीरिक शिक्षा, योग और सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जायेगा। अब इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (को-करिकुलर) या अतिरक्त पाठ्यक्रम (एक्स्ट्रा-करिकुलर) की श्रेणी में नहीं रखा जायेगा। इससे शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षित बेरोजगारों को लग रहा है कि कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में उनकी नियुक्ति का रास्ता खुलेगा। वर्तमान में केवल 100 से अधिक छात्रसंख्या वाले परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षा विषय के अनुदेशक नियुक्त हैं। 100 से कम छात्रसंख्या वाले स्कूलों में भी शारीरिक शिक्षा विषय के 32022 अनुदेशकों की नियुक्ति प्रक्रिया 19 सितंबर 2016 को शुरू हुई थी जो कानूनी विवाद में उलझने के कारण अब तक पूरी नहीं हो सकी है। इस भर्ती के लिए 1.54 लाख बीपीएड, डीपीएड और सीपीएड अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। ये बेरोजगार निरूशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 6 साल से आंदोलन कर रहे हैं।
बीपीएड संघर्ष मोर्चा कानपुर देहात के जिलाध्यक्ष निरीश गौतम का कहना है कि एक सितंबर 2015 को विधानसभा के सामने प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज में कई बेरोजगार घायल हुए थे। हजारों की संख्या में बीपीएड डिग्रीधारी प्रदर्शन में सम्मिलित हुए थे जिनमें से पुलिस ने हमारे 101 अभ्यर्थियों को जबरन पकड़कर जेल में डाल दिया था। हम लोगो को 39 दिन जेल की सजा काटनी पड़ी थी लेकिन आज तक हम सात हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर अंशकालिक अनुदेशक की नौकरी नहीं पा सके हैं। हाई कोर्ट ने उक्त भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश भी सरकार को दिया था लेकिन फिर भी अपनी हठधर्मिता के चलते सरकार ने 32022 अनुदेशक भर्ती नहीं की।
बीपीएड संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन्द्र यादव का कहना हैै कि नई शिक्षा नीति में खेल व योग को भी पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है। उम्मीद करते हैं कि सरकार खेल या शारीरिक शिक्षा विषय के शिक्षकों की नियुक्ति परिषदीय विद्यालयों में करेगी। यह सवाल हम हमेशा से पूछते रहे हैं कि जब नौकरी नहीं देनी थी तो ये पाठ्यक्रम चलाया ही क्यों जा रहा है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरवनखेड़ा में कार्यरत खेल प्रशिक्षक राजेश बाबू कटियार का कहना है कि जब खेल शिक्षा अनिवार्य विषय है तो फिर सरकार सभी स्कूल-कॉलेजों में स्थाई खेल प्रशिक्षिकों की नियुक्ति क्यों नहीं करती है। क्या सभी विद्यार्थियों को समानरूप से शिक्षा नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बीपीएड डिग्रीधारियों पर दोहरा चरित्र न अपनाये। पूर्व में जब शिक्षक भर्तियों में बीपीएड शामिल था तो उसे अलग क्यों किया गया। बीपीएड डिग्री धारकों को टेट व सेट में शामिल क्यों नहीं किया गया। यदि आपकी नजर में बीपीएड डिग्रीधारी शिक्षक बनने की योग्यता नहीं रखते तो ये कोर्स क्यों संचालित करते हो। अगर खेल प्रशिक्षिकों को नियुक्त नहीं कर सकते तो खेल शिक्षा अनिवार्य विषय है का ढिढोरा क्यों पीटते हो।