कानपुर। क्राइस्ट चर्च काॅलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग तथा आई सी आई एम ओडी, नेपाल (इंटर्नेशनल सेंटर फाॅर इंटीग्रेटेड माउन्टेन डेवेलपमेंट) और इंडियन थिंकर्स सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में “हिमालयीजैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी सेवाएँ” विषयक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस का उद्देश्य था हिमालय भारत और आस-पास के क्षेत्रों के लिए न केवल भौगोलिक संरक्षण प्रदान करता है, अपितु उसकी विस्तीर्ण जैव विविधता और वृहदपारिस्थितिकी तंत्र बहुत बड़े भू-भाग में जीवन संरक्षित किए है। वेबिनार का आरम्भ करते हुए आयोजन सचिव डाॅ. मीतकमल द्विवेदी (एसोसिएटप्रोफेसर, रसायनशास्त्र विभाग) ने सभी प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया। कार्य के निर्विघ्न संपन्न होने की प्रार्थना करने हेतु डाॅ श्वेताचंद (एसोसिएट प्रोफेसर, रसायनशास्त्र विभाग) ने ईश-आराधना प्रस्तुत की। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. जोजेफ डेनियल ने सभी अतिथियों और मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए इस वेबिनार की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समसामयिक स्थितियों में जैव विविधता के संरक्षण और पुनरुज्जीवनकी महत्ता पर चर्चा की। वेबिनार के समन्वयक डाॅ. नवीन अम्बष्ट (एसोसिएटप्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग) ने आज की चर्चा के विषय पर प्रकाश डालते हुए हिमालयीजैव विविधता के बारे में बताया। डाॅ अम्बष्ट ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डाॅ. एकलव्य शर्मा (एफएन ए, एफएन ए एस सी) का परिचय प्रस्तुत किया। डाॅ. शर्मा आई सी आई एम ओ डी, नेपाल (इंटर्नेशनल सेंटर फाॅर इंटीग्रेटेड माउन्टेन डेवेलपमेंट) के उप महानिदेशक हैं और अत्यंत ख्यातिलब्ध वैज्ञानिक हैं। डाॅ. शर्मा ने अपने वक्तव्य में हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता के संरक्षण और वहाँ पारिस्थितिकी तंत्र संबद्ध सेवाओं पर अपने विचार रखे। उन्होंने जैव विविधता के लिए उत्पन्न खतरों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए इसे संरक्षित करने और संभालने पर जोर दिया। पूर्वी हिमालयी क्षेत्र की सघन जैव विविधता पर बात करते हुए उन्होंने बताया 1998 से 2008 के मध्य प्रति वर्ष औसतन 35 नई प्रजातियों की खोज की गई थी। हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र में प्राप्त कृषि जैव विविधता और विभिन्न वनस्पतियों के अद्भुत आगार के विषय में भी उन्होंने बताया। साथ ही डाॅ. शर्मा ने खतरे में आईं प्रजातियों के संरक्षण के विषय में भी बताते हुए पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी सेवाओं पर भी प्रकाश डाला। अंततः उन्होंने समसामयिक कोविड महामारी के सन्दर्भ में हिंदुकुश की जैव विविधता को बहुत क्षति पहुँचने की बात की और इस तथ्य पर बल दिया कि हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र एक अमूल्य वैश्विक सम्पदा है जिसके संरक्षण की जिम्मेदारी हम सब की है।
वक्तव्य के पश्चात वेबिनार की आयोजन सचिव डाॅ. मीतकमल ने प्रतिभागियों की शंकाओं के समाधान हेतु प्रश्नोत्तर सत्र को संचालित किया। इसके बाद कार्यक्रम का समापन करते हुए वेबिनार संयोजक डाॅ. फिरदौस कटियार (एसोसिएटप्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग) ने सभी प्रतिभागियों एवं मुख्य वक्ता के प्रति हार्दिक आभारज्ञापित किया।
इस वेबिनार में लगभग 300 प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी की तथा यू. सी. दीक्षित, डाॅ. अर्चना पाण्डेय, डाॅ. सत्यप्रकाश सिंह, डाॅ. डी. सी. श्रीवास्तव आदि भी उपस्थित रहे।