सिकन्द्राराऊ/ हाथरस, जन सामना। कोतवाली परिसर में वाहनों का कबाड़ तथा असलाहों का इतना अधिक संग्रह हो गया है कि जिलाधिकारी के आदेश के बाबजूद भी पीड़िता के मृतक पिता की बंदूक को कोतवाली में जमा नहीं किया जा रहा है। जिससे पीड़िता बेहद परेशान है। कोतवाली पुलिस अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने में जुटी हुई है। वरिष्ठ अधिवक्ता धनराज शर्मा की मृत्यु मार्च में हो चुकी है। उनके कोई पुत्र नहीं है। मात्र एक पुत्री आशा देवी हैं। अधिवक्ता के नाम एक बंदूक है। जिसकी रक्षा करने में पुत्री असमर्थ है। आशा देवी उक्त बंदूक को कोतवाली में पुलिस को जमा कराना चाहती है। इस आशय से उन्होंने एक प्रार्थना पत्र देकर जिलाधिकारी से थाना प्रभारी सिकन्द्राराऊ को बंदूक जमा करने का आदेश काफी भागदौड़ कर गत 20 नम्बर को कराया लिया। आशा देवी उक्त बन्दूक व आदेश को लेकर कोतवाली पहुँची। जहाँ पुलिसकर्मियों ने असला जमा करने से मना कर दिया कि हमारे पास जगह नहीं है। बाद में बार के पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार शर्मा, पूर्व सचिव देवेन्द्र दीक्षित शूल, इंद्रपाल सिंह यादव आदि अधिवक्ता उपजिलाधिकारी विजय कुमार शर्मा से मिले और उपजिलाधिकारी को मामले से अवगत कराया। बाद में उपजिलाधिकारी ने क्राइम निरीक्षक को बंदूक जमा करने के आदेश दिए। आशा देवी पुनः कोतवाली पहुँचीं। जहाँ पुलिसकर्मियों ने कोतवाली प्रभारी के आने का हवाला देकर वहाँ से भगा दिया। आशा देवी लगातार तीन-चार दिन से बंदूक जमा कराने को कोतवाली जा रही है। आज कोतवाली में आयोजित समाधान दिवस में पुनः आशा देवी अधिवक्ता के साथ बंदूक जमा करने को पहुँची। जहाँ समाधान दिवस में मौजूद पुलिस क्षेत्राधिकारी व उपजिलाधिकारी की मौजूदगी में कोतवाली प्रभारी निरीक्षक ने बंदूक जमा करने को स्पष्ट मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास असलाह रखने के लिए जगह नहीं है। पहले से ही काफी असलाह जमा हैं। बाद में निराश होकर आशा देवी अपने गांव लौट गई। अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी से समस्या का समाधान करने एवं कोतवाली परिसर में कबाड़ में खड़े वाहनों का जनहित में निस्तारण करने की मांग की है|