जीवन के उलझन अपने सीखों से सुलझा देती थी
दिल के अंदर पैठ दर्द का तुम पता लगा लेती थी
अपने हाथ उठाके दुआओं में मां मेरे दर्द मिटा देती थी
वक्त ही तो है बदल जाएगा जख्म ही है भर जाएगा
अपने ऐसे ही बातों से मुझमें साहस जगा देती थी
अपने हाथ उठाके दुआओं में मां मेरे दर्द मिटा देती थी
दुनिया ने चाहे जो कहा पर तुमने मुझे हरदम समझा
अपने खट्टे-मीठे बातों से मुझे रोते रोते हंसा देती थी
अपने हाथ उठाके दुआओं में मां मेरे दर्द मिटा देती थी
बीना राय, गाजीपुर उत्तर प्रदेश