Friday, May 17, 2024
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परिवहन विभाग के नजदीक फोटो कॉपी के दुकान की आड़ में दलालों का कार्यालय

परिवहन विभाग की जटिल प्रक्रिया बन रही आफत ऑनलाइन के बाद भी आवेदकों को मध्यस्थों का लेना पड़ता है सहारा
रायबरेली। प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग की अधिकतर सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया है लेकिन विभाग को दलालों के चंगुल से मुक्ति नहीं मिल पा रही हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान ही आवेदकों को तमाम प्रलोभन देकर वसूली की जाती है। सरकार ने लर्निंग एवं परमानेंट लाइसेंस के लिए एक सीमित सरकारी शुल्क 400 से 600 रुपए निर्धारित की हैं लेकिन विभाग में दलाल यह काम 2500 से 3000 में करा रहे हैं। इसके लिए आवेदक को न तो ड्राइविंग टेस्ट देना होता है और न ही ऑनलाइन टेस्ट होता है। केवल आवेदक को बायोमेट्रिक प्रक्रिया के लिए ही आना होता है। इसी प्रकार वाहन हस्तांतरण कामर्शियल वाहनों के फिटनेस आदि के लिए दलालों ने अपने अपने रेट फिक्स किए हुए हैं। आरटीओ कार्यालय में फिटनेस के लिए आने वाले वाहनों पर पहले से लगी हुई रेडियम मान्य नहीं होती है परिवहन विभाग के बाहर दुकानदारों से 50 से ₹60 फिट की पट्टी खरीद कर वाहनों पर लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। वाहनों पर पहले से लगी हुई पट्टी को चमकदार नहीं है ऐसा बता कर कम से कम हजार से बारह सौ रुपए की रेडियम वाहन स्वामी को तुरंत लगाना पड़ता है। इस प्रकार विभागों की जटिल प्रक्रिया से दलालों और पास के साइबर कैफे जैसे फोटो कापी की दुकान, प्रदूषण, रेडियम पट्टी की दुकान फल-फूल रही हैं। कभी-कभी तो आरटीओ ऑफिस के विभागीय पटलों से ज्यादा भीड़ तो बाहर खुली दुकानों पर देखने को मिलती है जहां पर आवेदक दलालों से निवेदन करते हुए नजर आते हैं। सूत्रों की माने तो अधिकारियों से इनके अच्छे संपर्क हैं और समय-समय पर सप्रेम भेंट भी दी जाती है। हालांकि स्थानीय प्रशासन ऐसे दलालों पर अपनी नजर बनाए हुए है फिर भी विभागों की जटिल प्रक्रिया आवेदक को मध्यस्थों से सहारा लेने पर मजबूर कर देती है।