मौदहा, हमीरपुर। इस समय जहां पूरा देश भाई बहिन के त्योहार राखी के उत्साह में डूबा हुआ है तो वहीं आर्टीफिशियल राखियों के बाजार में आने से परम्परागत राखियों का व्यापार चौपट हो गया है।साथ ही लगातार दूसरे साल कोरोना के चलते व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है। देश में चल रही आर्थिक मंदी और लगातार दूसरे साल कोरोना के साथ ही लाकडाउन की मार चुके देश में चाईनीज राखियों के आने से जहां परम्परागत राखी विक्रेताओं का धंधा चौपट हो गया है तो वहीं घरों में राखियां बनाकर अपनी जीविका चलाने वालों के सामने भी आर्थिक संकट मंडराने लगा हैं।और उनके सामने पेट पालना मुश्किल हो गया है।हालकिं कस्बे में सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जो इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। राखी बनाने वाले व्यापारी आशिक ने बताया कि जिस प्रकार आठ झस साल पहले धंधा चलता था वैसा अब नहीं चल रहा है क्योंकि पहले चाईनीज राखियां बाजार में नहीं थी लेकिन चाईनीज राखियों के बाजार में आने के साथ ही लगातार दूसरे साल कोरोना के चलते राखियों का धंधा मंदा हो गया है। जबकि महरुन्निशां ने बताया कि पहले हम घर में राखियां बनाकर आसपास की बाजारों में बेचते थे जिसमें मोहल्ले सहित दूसरे मोहल्ले के भी तमाम लोगों को राखी बनाने के लिए लगा लेते थे लेकिन कोरोना के चलते राखियों का धंधा चौपट हो गया है।और साथ ही चाईना की आर्टीफिशियल राखियों के बाजार में आने से देशी राखियों की बिक्री काफी कम हो गई है।