Thursday, April 25, 2024
Breaking News
Home » सम्पादकीय » पौधारोपण एक पुण्य कार्य

पौधारोपण एक पुण्य कार्य

हमारे देश में वृक्षों को देव माना गया है और धर्मशास्त्रों में वृक्षारोपण को बहुत ही पुण्यदायी कृत्य बताया गया है। सभी जानते हैं कि वृक्षों की मौजूदगी धरती पर जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। आदि काल से लोग तुलसी, पीपल, केला, बरगद को पूजते आए हैं। वहीं विज्ञान सिद्ध कर चुका है कि ये पेड़-पौधे हमारे लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं । वृक्ष ही पृथ्वी को हरा- भरा बनाकर रखते हैं, जिन स्थानों में पेड़-पौधे पर्याप्त संख्या में होते हैं वहाँ निवास करना आनंददायी प्रतीत होता है। पेड़ छाया तो देते हैं औषधियों को देते हैं, साथ ही पशु-पक्षियों को आश्रय भी प्रदान करते हैं । इनकी ठंडी छाया में मनुष्य एवं पशु विश्राम कर आनंदित होते हैं । वृक्ष हमें फल, फूल, गोंद, रबड़, पत्ते, लकड़ी, जड़ी-बूटी, झाडू, पंखा, चटाई आदि विभिन्न प्रकार की जीवनोपयोगी वस्तुएँ सौगात में देते हैं । ऋषि-मुनि भी वनों में रहकर अपने जीवन-यापन की सभी आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त कर लेते थे लेकिन जैसे-जैसे सभ्यता विकसित हुई लोग वृक्षों को काटकर उनकी लकड़ी से घर के फर्नीचर बनाने लगे, वहीं कागज, दियासलाई, रेल के डिब्बे आदि बनाने के लिए लोगों ने जंगल के जंगल साफ कर दिए। इससे जीवनोपयोगी वस्तुओं का अकाल पड़ने लगा। साथ ही साथ पृथ्वी की हरीतिमा भी घटने लगी है। वृक्षों की संख्या घटने के दुष्प्रभावों का वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला है कि वृक्षों के घटने से वायु प्रदूषण की मात्रा बड़ी है । वृक्ष वायु से हानिकारक कार्बन डायआॅक्साइड का शोषण कर लाभदायक आॅक्सीजन छोड़ते हैं। आॅक्सीजन ही जीवन है और जीवधारी इसी पर निर्भर रहते हैं । अतः धरती पर वृक्षों की पर्याप्त संख्या का होना बहुत आवश्यक होता है ।
मौसम पर अगर चर्चा करें तो वृक्ष ही वर्षा कराते हैं। वृक्ष ही बादलों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं । वहीं कटाव को भी वृक्ष रोकते हैं, मिट्टी को मजबूती से पकड़े रखते हैं और इसका क्षरण रोकते हैं। ये बाढ़ और अकाल दोनों ही परिस्थितियों को रोकने में सहायक होते हैं। ये वायुमंडल के ताप को अधिक बढ़ने से रोकने में बहुत मदद करते हैं। इसीलिए समझदार लोग अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने की बात करते हैं क्योंकि जहां वृक्ष अधिक होते हैं वहां प्राण वायु शीतलता प्रदान करती है। भौगोलिकविद् की मानें तो संतुलित पर्यावरण के लिए किसी बड़े क्षेत्र के एक-तिहाई हिस्से पर वनों का होना आवश्यक माना जाता है। लेकिन वर्तमान समय में वन इस अनुपात में नहीं रह गए हैं। इसके हानिकारक परिणाम दिखने भी लगे है। अतः वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हर कोई वृक्षारोपण करे । सरकारें भी अब वृक्षों की संख्या बढ़ाने के लिए पौधारोपण पर जोर दिए है लेकिन सरकारी मशीनरी कागजी मैट्रो दौड़ा कर हर वर्ष लाखों पौधे तो रोपित करवा रही है लेकिन उनका संरक्षण करवाने में सफल नहीं हो रही है। यह कहने में संकोच नहीं कि जक पेड़ बचेंगे तभी जीव-समुदाय बचेगा। इस लिए पौधारोपण के साथ साथ उनका संरक्षण भी बहुत जरूरी है।