Wednesday, June 26, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार (page 37)

लेख/विचार

सोशल मीडिया से पता चल जाता है आदमी की मानसिकता का

अभी जल्दी की एक सच्ची घटना है। एक युवक ने नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया था। वह पहले से ही रैंकर था। इंटरव्यू भी उसका सब से अच्छा हुआ था। इंटरव्यू में उससे जितने भी सवाल पूछे गए थे, उसने लगभग सभी सवालों के सही जवाब दिए थे। इम्प्रेशन भी उसने अच्छा जमाया था। सब कुछ बढ़िया होने के बावजूद उसे नौकरी के लिए सिलेक्ट नहीं किया गया। उस युवक ने अपने सोर्स से पता किया कि सब कुछ बढ़िया होने के बावजूद उसे नौकरी पर क्यों नहीं रखा गया? पता चला कि वह युवक सोशल मीडिया पर बिंदास फोटो डालता था और मन में जो आता था, वह लिख देता था। उससे कहा गया कि सोशल मीडिया पर आप जो कारनामा कर रहे हैं, उसकी वजह से आप को नौकरी मिली है।

Read More »

खास दिनों का महत्व

मातृदिवस, पिता दिवस या फिर वैलेन्टाइन दिवस या बहुत सारे खास दिवस मनाने पर कई सारे लोगों को ऐतराज़ होता है। उनको ये सब पाश्चात्य संस्कृति या चोंचले लगते है। और कई लोगों का मानना होता है की एक दिवस काफ़ी नहीं होता, माता-पिता या किसी के भी लिए यूँ शब्दों के ज़रिए, कार्ड देकर या पोस्ट डालकर जता देना। क्यूँकि उनका अहसान या ऋण एक दिन प्यार जता कर और संवेदना जता कर नहीं उतार सकते।
कई सारे लोगों को वेलेंटाइन डे मनाने पर भी ऐतराज़ होता है, क्यूँ भई क्या गलत है इसमें? आशिक महबूब के प्रति या पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति अगर उस दिन अपनी चाहत का इज़हार करते है तो इसमें बुराई क्या है? क्या हम हर रोज़ दिन में पचास बार एक दूसरे को बोलते है आई लव यू? इस एक दिन भावों को प्रदर्शित करना बंधन को और मजबूत बनाता है। या जो हम प्रेक्टिकली कर नहीं सकते, या कह नहीं सकते उसे लिखकर, फूल देकर या चॉकलेट देकर जता लेते है तो ये एक दिन तो बहुत ही खास होना चाहिए न।

Read More »

दुनिया को भारत की सौगात, एम-योगा ऐप से अलग-अलग भाषाओं में होगा योग का प्रसार

सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2021 की थीम, मानव तंदुरुस्ती और कल्याण के लिए योग – भारत के लिए सौभाग्य की बात – एड किशन भावनानी
वैश्विक महामारी कोविड-19 के बीच 21 जून 2021 को योग दिवस को पूरे विश्व में बहुत उत्तेजना, उत्साह खुशी और एक स्वास्थ्य डोज़ के रूप में मनाकर दिखा दिया कि स्वस्थ्य जीवन के लिए योग का कितना महत्व है। भारत के पीएम ने भी कहाहै कि वैश्विक महामारी के दौरान दुनिया के लिए, योग एक उम्मीद की किरण और इस मुश्किल समय में आत्मबल का स्त्रोत बना रहा और योग हमें तनाव से शक्ति का और नकारात्मकता से रचनात्मकता का रास्ता दिखाता है। चिकित्सा विज्ञान जितना उपचार पर ध्यान केन्द्रित करता है, उतना व्यक्ति को निरोगी बनाने पर भी करता है और योग ने लोगों को स्वस्थ बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Read More »

पिता के लिए चंद शब्द

आज कल फैशन बन गया है खास दिवस मनाने का तो 20 जून को पिता दिवस भी खूब मनाया जाएगा, बहुत कुछ लिखा जाएगा पर पिता वो शख़्सीयत है जिसको शब्दों में ढ़ालना मुमकिन ही नहीं। एक दिन पर्याप्त नहीं पिता के प्रति भावना जताने के लिए, प्रतिदिन पैर धोकर पिएं फिर भी ॠण न चुका पाएंगे पिता का।
शब्द घट उपकरण है भावों को प्रदर्शित करने का पर कभी-कभी उपकरण पर्याप्त नहीं होते भावनाओं को पूर्णतः दर्शाने के लिए, किसी भी बच्चे की औकात ही नहीं पिता को शब्दों में ढ़ालने की, माँ धुरी है पर पिता नींव है जिसके काँधे पर इमारत खड़ी है पूरे परिवार की। महसूस किया है कभी पिता के गीले गिलाफ़ को किसी ने ?

Read More »

हरियाणा में सरकारी भर्ती परीक्षा में 5-10-20 नम्बर देना सीधा अत्याचार

( सभी रिजर्वेशन के बाद मेरिट ही एकमात्र आधार होना चाहिए चयन का लेकिन जब ओपन केटेगरी में भी 5-10-20 अंक सोसिवेकनोमिक के आ जाएं तो मेरिट कहाँ जाए? पति नौकरी पर है तो क्या पत्नी की प्रतिभा को नोच लिया जाये अगर वो गरीब घर से पढ़- लिखकर आई हो और नौकरी वाले आदमी  से शादी कर ली तो उसको कोई  हक नहीं  कि वो भी अपनी  मेहनत से नौकरी लगे.  आपका भाई नौकरी पर है तो क्या आप उसकी सैलरी पर क्लेम करके अपना खर्चा पानी ले सकते हो कोर्ट में? आपका उत्तर नहीं होगा। अगर नहीं तो वो भाई पहले से अलग है या नौकरी के बाद अलग हो गया क्या वो आपके बच्चो का पालन पोषण कर देगा? अगर नहीं तो फिर बाकी को क्यू नुकसान हो रहा है?)
हमारे सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मेरिट का उल्लघन कर सरकारी नौकरी देना संविधान का सीधा उल्लघन है और नाजायज है लेकिन दिल्ली से लगे हरियाणा में तो यह हर पल हो रहा है (आर्थिक)आधार पर रिजर्वेशन होने के बावजूद, सामाजिक व एजुकेशनल आधार पर रिजर्वेशन होने के बावजूद यहाँ डबल रिजर्वेशन – #सोसिवेकनोमिक (सामाजिक व आर्थिक ) के रूप में दी जाती है वो भी मेरिट को ताक पर रखके सीधे 5-10-20 अंक दे दिए जाते हैं|

Read More »

पृथ्वी पर कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं जिसको समस्या ना हो, कोई समस्या ऐसी नहीं जिसका समाधान ना हो

समस्या ही सफलता की जननी है – दुख रूपी चाबी से सुखों का द्वार खुलता है – एड किशन भावनानी
किसी ने ठीक ही लिखा है कि, पृथ्वी पर कोई भी एसा व्यक्ति नहीं होगा, जिसको कोई भी समस्या नहीं हो और पृथ्वी पर कोई भी समस्या ऐसी नहीं होगी, जिसका समाधान ना हो। गुरुनानक देव जी ने भी अपनी वाणी में कहा है कि : नानक दुखिया सब संसार। याने, दुनिया में हर व्यक्ति को कोई ना कोई दुख या समस्या जरूर होगी। इस पृथ्वीलोक पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पद पर आसीन व्यक्ति से लेकर अंतिम श्रेणी के आखिरी व्यक्ति को भी कोई ना कोई समस्या या दुख जरूर होगा। चाहे वह कितना भी दावा करे कि वह सर्वसंपन्न भाग्यशाली व्यक्ति है, परंतु कहीं ना कहीं कोई ऐसी उसकी दुखती रग होगी जो उसकी समस्या या दुख का कारण होगा यह पक्की बात है।

Read More »

वुहान लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी – डाॅ0 लक्ष्मी शंकर यादव

अमेरिकी राश्ट्रपति जो बाइडेन ने भी हाल ही में लैब से वायरस के लीक होने की थ्योरी सहित कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी जांच करने के लिए दोबारा प्रयास करने कें आदेश दिए हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बीती 26 मई को अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को आदेश दे दिया है कि वे कोरोना के स्रोत का पता लगाने के लिए गहराई से जांच कर 90 दिनों में उनके समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें। हालांकि चीन ने वुहान लैब से वायरस के लीक होने की थ्योरी को अत्यन्त असंभव कहकर खारिज कर दिया है और अमेरिका पर राजनीतिक हेरफेर का आरोप लगाया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलियन ने 8 जून को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि हम अपने अन्तरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ चीन पर पारदर्शिता बरतने के लिए दबाव डालते रहेंगे और इसके साथ ही हम अपनी जांच प्रक्रिया भी जारी रखेंगे।

Read More »

शब्दों का कारवाँ

आंख में ज्वाला और सीने में त्रिशूल रखते हैं;
हम भी अपनी ज़िंदगी के कुछ उसूल रखते हैं
हम वह हैं जो खुद को दिखाते हैं रास्ता;
बेकार की बातों के लिए लफ्ज़ फिजूल रखते हैं
जो करते हैं दिल से मोहब्बत हमसे;
अपने आपको हम उनमें मशगूल रखते हैं
हम नहीं कहते बड़े – बड़े शायर कहते हैं;
अल्फ़ाज़ आपके दिल में एक रसूल रखते हैं
हमारा भी दिल है कोई पत्थर नहीं;
हम भी चाहने वालों की तस्वीर वसूल रखते हैं।
शिवांगी जैन युवा लेखिका/साहित्यकार

Read More »

बच्चों के मौलिक अधिकारों को बाधित करता है बालश्रम – अतुल गोयल

बाल श्रम के खिलाफ हर साल 12 जून को ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ मनाया जाता है। पहली बार यह दिवस वर्ष 2002 में बाल श्रम को रोकने के लिए जागरूकता और सक्रियता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। बाल श्रम इतनी आसान समस्या नहीं है, जितनी लगती है। बच्चों को उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी भी प्रकार के काम में शामिल करने का कार्य है बाल श्रम, जो उनके मौलिक अधिकारों को बाधित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार चौदह वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को किसी कारखाने या खदान में या किसी खतरनाक रोजगार में नियोजित नहीं किया जाएगा। बाल श्रम की समस्या केवल भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व में प्रचलित है। यह समस्या अफ्रीका और भारत सहित कई अविकसित या विकासशील देशों में प्रमुख है। बाल श्रम एशिया में 22 फीसदी, अफ्रीका में 32 फीसदी, लैटिन अमेरिका में 17 फीसदी, अमेरिका, कनाडा, यूरोप और अन्य धनी देशों में 1 फीसदी है।

Read More »

बच्चे भविष्य की नींव बच्चों को मजदूरी नहीं किताबें दें

बच्चों को शिक्षित करें – शिक्षा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक क्षेत्रों का सशक्त उपकरण, रोजगार का अस्त्र – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। वैश्विक रूप से यह देखा गया है कि अनेक कमर्शियल संस्थानों, औद्योगिक संस्थानों, दवा उद्योग, खेत खलियानों गृहउद्योग, इत्यादि अनेक व्यवसायिक क्षेत्रों में छोटे-छोटे बच्चों से श्रम करवाया जाता है, क्योंकि उन क्षेत्रों में कामों के लिए यह छोटे-छोटे बच्चे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और अपेक्षाकृत रोजी या मजदूरी भी इनकी कम होती है और डेली वेजेस के रूप में रखकर आसानी से अपना काम करवा लेते हैं। दूसरी तरफ हम अनेक चौराहों, बाजारों, हाट बाजारों, में हमने छोटे-छोटे बच्चों को अकेले या अपने मातापिता के साथ खिलौने खाद्य पदार्थों इत्यादि बेचने को देखते रहते हैं।

Read More »