Wednesday, June 26, 2024
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लेख/विचार

सन् 2020, बीस शहादत, बीस दिन, बीस बड़े झटके : चीन चारों खाने चित्त

चीन की एक बड़ी गलती उसे अभी और कितनी महंगी पड़ने वाली है, यह चीन सपने में भी नहीं सोच सकता। १९६२ के उस सीधे-सादे, शांति प्रिय भारत को दिमाग में रख चीन जो हिमाकत की, उसे २०२० का भारत जो सीधा भी है, शांति प्रिय भी मगर उसकी शांति में खलल डालने वालों को वह छोड़ता भी नहीं। शायद उसे यह मालूम न था कि यह २०२० का भारत आज विश्व पटल पर एक चमकता सितारा है, उसके साथ चालबाजियां उसे बर्दाश्त नहीं। यह चाणक्य का देश है, जिन्होंने पूरे विश्व को राजनीति व कूटनीति के गुर सीखाए हैं, उसी से कूटनीति कर बहुत बड़ी गलती कर दी खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा। बीस दिन पहले चीन की अवैधानिक प्रतिक्रिया के खिलाफ भारतीय सेना के विरोधी कार्यवाही में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद हमारे बीस जवानों की शहादत पर पूरा देश चीन का खात्मा चाहता है। दोनों देशों के बीच तब से अभी तक तनाव जारी है। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए भारत हर तरह से, चीन के खिलाफ हर मोर्चे पर पुख्ता तैयारी कर रहा है, फिर चाहे वो आर्थिक हो, सामरिक हो या फिर कूटनीतिक, सबमें चीन पर भारी पड़ता जा रहा है। ऐसे में पूरे चीनी खेमे में भारत से उलझने की गलती के कारण यह डर व्याप्त हो चुका है कि अगली सुबह भारत की प्रतिक्रिया कैसी रहेगी या यों कहें कि जबसे यह हिंसक झड़प हुई है, तब से हर दिन चीन के ऊपर किसी न किसी प्रकार का हमला भारत के द्वारा जारी है।

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निजी स्कूल संचालकों और शिक्षा माफियाओं के दबाव से हटकर ले स्कूल खोलने का फैसला

कोरोना संकट के बीच में शिक्षा मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि राज्य सरकार चाहे तो जुलाई से स्कूलों को खोल सकती है। इसी बीच करीब 5 से ज्यादा राज्य सरकारों ने जुलाई से स्कूलों को खोलने के आदेश भी जारी कर दिए हैं मगर प्रश्न और चिंता की बात ये है कि क्या स्वास्थ्य मानकों को पूरा करते हुए स्कूल प्रबंधन स्कूल खोलने को तैयार है और पूरे देश भर में क्या जुलाई से खुलने वाले स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को भेजने को तैयार भी है या फिर वो इस वक्त अपने बच्चों के भविष्य और जान को लेकर असमंजस कि स्थिति में है.स्कूल खुले तो कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि अभी लगातार कोरोना पॉजिटिव केस बढ़ रहे हैं। ऐसे बिगड़े हालात में अगर स्कूल खुले और बच्चों को विद्यालय भेजा गया तो संक्रमण फैलाव पर काबू पाना और भी मुश्किल हो जाएगा। अधिकांश सरकारी और निजी विद्यालयों के अंदर प्रत्येक बच्चे के लिए अलग से शौचालयों का प्रबंध कर पाना मुश्किल है और सामुदायिक दूरी के नियमों का अनुपालन भी संभव नहीं है।

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मोर्चे पर महिलाओं के बढ़ते कदम -डॉo सत्यवान सौरभ

भारत में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन और कमांडिंग ऑफिसर के स्तर तक उठने के समान अवसर के लिए रास्ता साफ कर दिया तो उधर पाकिस्तान में पहली महिला जनरल की खबर सुर्ख़ियों में है। दुनिया में आज हर क्षेत्र में महिलायें आगे बढ़ रही है और ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर रही हैं. भारतीय इतिहास नारी की त्याग-तपस्या की गाथाओं से भरा पड़ा है। किसी युग में महिलाएं पुरुषों से कमतर नहीं रहीं। वैदिक युग में महिलाएं युद्ध में भी भाग लेती थीं।
हालांकि, मध्यकाल के पुरुषवादी समाज ने नारी को कुंठित मर्यादाओं के नाम पर चार-दीवारी में कैद कर रखने में कोई कसर नहीं छोडी, परन्तु तब भी महिलाओं ने माता जीजाबाई और रानी दुर्गावती की तरह न केवल शास्त्रों से, अपितु शस्त्रों का वरण कर राष्ट्र की एकता और संप्रभुता की रक्षा की। वर्तमान में केवल भारतीय वायुसेना ही लड़ाकू पायलट के रूप में महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में शामिल करती है। वायुसेना में 13.09% महिला अधिकारी हैं, जो तीनों सेनाओं में सबसे अधिक हैं। आर्मी में 3.80% महिला अधिकारी हैं, जबकि नौसेना में 6% महिला अधिकारी हैं।

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विश्व पटल पर ‘योगी मॉडल’ की धूम

आज कल बहुचर्चित मुद्दा योगी मॉडल सोशल मीडिया से लेकर विश्व पटल पर ट्रेंड कर रहा है। उत्तर प्रदेश के योगी मॉडल की गूंज लखनऊ से 12346 किलोमीटर दूर अमेरिकी ह्वाइट हाउस में भी सुनाई पड़ रही है। अब आपके मन में एक सवाल होगा कि योगी मॉडल का अमेरिका से क्या लेना-देना ?, आखिर इस योगी मॉडल से अमेरिका को क्या फायदा ? मगर हकीकत तो यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को योगी मॉडल खूब पसंद आ रहा है। गौरतलब हो कि पिछले साल 2019 में जब देश में नागरिकता कानून बिल पेश हुआ था तक इस नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में दंगाइयों ने खूब हिंसा फैलाई, जगह-जगह आगजनी, तोड़फोड़, गाड़ियों, पुलिस चौकियों व सरकारी सम्पत्ति को जमकर नुकसान पहुंचाया गया था जिससे उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं रहा मगर उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने इन दंगाइयों को सबक सिखाने के लिए एक अनोखी व अद्वितीय पहल की, जिसमें एक नए योगी मॉडल का जन्म हुआ  इस योगी मॉडल के अंतर्गत योगी सरकार ने लगभग 100 से ज्यादा स्थानों पर 57 दंगाइयों के पोस्टर लगवाए, जिस पर उन दंगाइयों का नाम, पता , उनसे वसूली जाने वाली रकम (जो इन दंगाइयों ने सरकारी सम्पत्ति का नुकसान किया था ) लिखी हुई थी।

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भारत की बेटी ने विश्व में रोशन किया देश का नाम

(डॉ एस अनुकृति बनी विश्वबैंक में अर्थशास्त्री) -प्रियंका सौरभ
वो कहते हैं न हौसले बुलंद हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कामयाबी की छलांग लगाई जा सकती है। कुछ ऐसी ही कहानी है हरियाणा की अनुकृति की, अनुकृति ने ये साबित कर दिखाया है कि बेटियों की जिंदगी सिर्फ चूल्हा-चौके तक सीमित रखना अब पुरानी बात हो गई है। आज बेटियां हर क्षेत्र में अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रही हैं। गरीबों की पढ़ी-लिखी और आगे बढ़ीं चाहें वो देश की बेटी हिमा दास हो या फिर कुश्ती के मैदान में अपना परचम लहराने वालीं फोगाट सिस्टर्स। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि मुहिम है। हरियाणा की बेटियां ने विश्व में नाम रोशन कर भारत को गौरवान्वित किया है। सभी यदि बेटियों की नींव को मजबूत करने में सहयोग करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब भारत दोबारा से विश्व गुरु बन जाएगा।

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चाईनीज मकड़जाल में लगाम अर्थात आनलाइन मुजरा बंद

यूँ तो सत्तासीन पार्टी जब से सत्ता पर काबिज हुई है कुछ ना कुछ तूफानी ही करती आई है। लेकिन इस बार जो सरकार ने जो निर्णय लिया है, वो बेहद काबिलेतारीफ है। सरकार ने चाईना के साथ भारत के मौजूदा हालात को देखते हुए चाईना द्वारा निर्मित 59 चाईनीज़ एप पर सीधे सर्जिकल स्ट्राइक की है। इस सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सोशलमीडिया से लेकर असल जिंदगी में लोग सरकार की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। तारीफ होनी भी चाहिए क्योंकि देश की युवा शक्ति इन चाईनीज़ एप का धीरे-धीरे गुलाम होती जा रही थी।अपने वास्तविक वजूद को खोते हुए मानसिक तौर पर अस्वस्थ होते जा रहे थे। जिसके प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे आस पड़ोस में देखने को मिल जाते थे। कोई कुछ भी कहे लेकिन सरकार द्वारा चाईनीज एप बैन किए जाने के निर्णय से वो सभी माँ बाप खुश हैं जिन्हे लाखों मन्नतों के बाद बेटा हुआ था लेकिन युवा अवस्था में आते-आते वह बेटा, बेटा कम तथा सोशलमीडिया पर मुजरा करने वाली नचनियां के नाम पर ज्यादा प्रसिद्ध हो गया था। बेटे की इस मानसिक बीमारी को देख माता-पिता स्वयं मानसिक अवसाद से गुजरने लगे थे। यही हाल मेरे पड़ोसी शकील मियाँ का था। दिनभर चाय की दुकान चलाते हुए वो भारतीय संस्कृति, संस्कार की दुहाई देते नही थकते थे।

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निजी स्कूलों को नियंत्रित कर सरकार शिक्षकों की भर्ती करें

(प्राइवेट पंजों से निकल राज्य के अधीन हो पूरी शिक्षा व्यवस्था, निजी स्कूलों के नेटवर्क पर लगाम लगानी होगी) -प्रियंका सौरभ
दरअसल सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए हैं बल्कि यह इसे चलाने वाली सरकारों, नौकरशाहों और नेताओं का फेलियर है। सरकारी स्कूल प्रणाली के हालिया बदसूरती के लिए यही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने निजीकरण के नाम पर राज्य की महत्वपूर्ण सम्पति का सर्वनाश कर दिया है। वैसे भी वो राज्य जल्द ही बर्बाद हो जाते है या भ्र्ष्टाचार का गढ़ बन जाते है जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और पुलिस व्यवस्था पर निजीकरण का सांप कुंडली मारकर बैठ जाता है। आज निजी स्कूलों का नेटवर्क देश के हर कोने में फैल गया है। सरकारी स्कूल केवल इस देश के सबसे वंचित और हाशिये पर रह रहे समुदायों के बच्चों की स्कूलिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अच्छे घरों के बच्चे निजी स्कूल में महंगी शिक्षा ग्रहण कर रहें और इस तरह हम भविष्य के लिए दो भारत तैयार कर रहें है।

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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना गरीबों का सहारा है

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन द्वारा छोटे और मध्यम कारोबारियों को बिना किसी सिक्योरिटी के कर्ज देने का प्रावधान है. यह कर्ज नॉन एग्रीकल्चरल सेक्टर में छोटे कारोबार को बढ़ावा देते हुए रोजगार बढ़ाने के लिए दिया जाता है.हाल ही में 12 महीने की अवधि के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत शिशु ऋणों की शीघ्र चुकौती पर 2% ब्याज छूट को मंजूरी दी है। कोविद-19 महामारी के तहत लगाए गए लॉकडाउन के कारण ‘सूक्ष्म और लघु उद्यमों’ का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे इन उद्यमों की ऋण अदायगी क्षमता बहुत प्रभावित हुई हैं । अत: इन कारोबारियों के ऋण के डिफॉल्‍ट होने तथा नॉन परफार्मिंग एसेट में बदलने की बहुत अधिक संभावना है इसके परिणामस्वरूप भविष्य में संस्थागत ऋणों तक उनकी पहुँच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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भारत के ‘डिजिटल एयर स्ट्राइक’ से चीनी अर्थव्यवस्था नेस्तनाबूद

पिछले कुछ दिनों से जिस तरह सीमा विवाद को लेकर भारत व चीन के बीच तनातनी चल रही है और उसी बीच चीन द्वारा वार्ता के नाम पर हर बार की तरह धोखेबाजी के चलते सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प में भारत के २० जवानों की शहादत ने पूरे भारत को चीन के खिलाफ कर दिया। भारत के हर कोने से, हर वर्ग ने चीन के खिलाफ जंग का बिगुल बजा दिया, जगह-जगह चीन का विरोध करते लोग, सोशल मीडिया पर चीनी सामानों व आयातों के बहिष्कार को लेकर सरकार से गुहार ट्विटर जैसे बड़े सोशल नेटवर्क पर बड़ा मुद्दा ट्रेंड कर रहा था, जिसके चलते भारत सरकार ने राजनीति से ज्यादा राष्ट्रनीति को महत्व देते हुए चीन पर ‘डिजिटल एयर स्ट्राइक’ का करारा प्रहार कर दिया। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में किए गए एयर स्ट्राइक से कहीं ज्यादा खतरनाक यह डिजिटल एयर स्ट्राइक चीन की अर्थव्यवस्था पर एक साथ ५९ बमों का गिरना, चीन के लिए बेहद ही पीड़ादायक होगा जिसे चीन कभी भी भुला नहीं पाएगा।

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आत्मनिर्भरता की गाथा

आज आत्मनिर्भर शब्द सुनकर ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो धरती पर स्वर्ग का रचना होने वाला है। भारतीय नेताओं के मुंह आत्मनिर्भर सुनकर आज मन बहुत प्रसन्न हो रहा है, राजनीति आत्मनिर्भरता शब्द में आत्मा का नामोनिशान नहीं है।
निर्भरता तो पूर्वजों की एक अमानत और संस्कृति है। हमारे समाज के लोग हमेशा नजर उठाए दूसरों पर निर्भर बने रहते हैं। तभी हम आजादी के 70 साल बाद भी पश्चिमी देशों या फिर चीन की तरफ नजर लगाए बैठे हैं। खैर मैं अर्थव्यवस्था से कोई तालुकात नहीं रखता हूं, क्योंकि मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं, ना ही देश का होनहार पत्रकार हूं, मौके पर हर विषय का स्पेशलिस्ट बनकर बड़े-बड़े लेख अखबारों में प्रकाशित करवाएं या फिर समाचार स्टूडियो में बैठकर कबोधन करें।
मेरे परम मित्र राजनीतिशास्त्री ने एक सेमिनार में कहा कि”अब बड़े राष्ट्रीय चैनल पर टीआरपी के लिए लुच्चापन चालू हो गया है। बड़े समाचार पत्रकारों को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है बस यूं ही कह दो कि चौथे लोकतंत्र की एक भरपाई हो रही है। मीडिया वाले आत्मनिर्भर हो चुके है, अब घर में सीरियल कम इनके कार्यक्रम को ज्यादा देखा जाता है। क्योंकि अब सीरियल और कॉमेडी शो से ज्यादा इनके यहां हुल्लड़ होता है।

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