Thursday, November 28, 2024
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बांधनू में रैली निकालकर बताए संचारी रोग से बचाव के उपाय

सासनी, हाथरस। मुख्य चिकित्सा अधिकारी हाथरस के निर्देशन में चिकित्सा अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सासनी द्वारा चल रहे संचारी रोग अभियान रैली निकल कर ग्रामीणों को बीमारी के बारे में बताकर उनको जागरूक किया गया।
मंगलवार को निकाली गई रैली तथा गांव में लगाए गयेे शिविर में एमओआईसी डा. दलवीर सिंह रावत ने बीमारियों को रोक थाम करने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संचारी रोग में हैजा, मलेरिया, खसरा, चेचक, प्लेग, स्वाइन फ्लू इत्यादि से मरीज पीडित हो जाता है। उन्हांेने बताया कि बैक्टीरिया, वायरस, कवक और प्रोटोजोआ सहित रोगजनक, संचारी रोगों का कारण बनते हैं। इससे व्यक्ति जब लक्षणों का अनुभव करना शुरू कर सकता है। उन्होंने बताया कि संचारी रोगों से बचने के लिए अपने हाथों को अच्छी तरह और नियमित रूप से धोएं, सफाई का विशेष ध्यान रखें, वहीं घर क आस-पास या कूलर एसी आदि में पानी जमा न होने दें। तभी संचारी रोग से बचा जा सकता है।

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मुख्य सचिव ने कई विभागों के कार्यों की समीक्षा की

लखनऊ। उप्र के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से समस्त मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। साथ ही राजस्व, श्रम एवं खाद्य रसद आदि विभागों के कार्यों की समीक्षा की।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि नगर निकायों के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है, प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू है, शहरी क्षेत्रों में इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। चुनाव पूरी निष्पक्षता और ईमानदारी से संपन्न कराया जाए। शहरी क्षेत्रों में जो कार्य पहले से हो रहे हैं, वह जारी रहेंगे। नए कार्य शुरू नहीं होंगे। निर्वाचन से सबंधित सभी तैयारियां समय से पूरी कर ली जाएं।
उन्होंने सभी मण्डलयुक्तों को स्वामित्व योजना की गहनता से समीक्षा करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जहां भी कार्य पेंडिंग हैं, उन्हें तेजी से पूरा कराया जाये, दो सप्ताह के उपरान्त उनके द्वारा पुनः समीक्षा की जायेगी। नवीन खतौनी (रियल टाइम खतौनी) के क्रियान्वयन में सही खातेदारों के नाम व भूमि का विवरण एक क्लिक पर प्राप्त होंगे, उन्हें 6 वर्ष का इंतजार नहीं करना होगा।

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इस बार अपना दूसरा मेयर हासिल करेगी कान्हा की नगरी मंगलवार से शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया

मथुरा; श्याम बिहारी भार्गव। मथुरा वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में 7 लाख 72 हजार 942 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस सीट पर 3 लाख 30 हजार 140 महिला और 3 लाख 91 हजार 802 पुरुष मतदाता हैं। मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई। जिले में करीब 9.55 लाख मतदाता इस बार निकाय चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चार मई को मतदान होगा और 13 मई को मतदाताओं के भाग्य का फैसला सामने आएगा। कोसी नगर पालिका और 13 नगर पंचायतों में बेलेट पेपर से जबकि मथुरा वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में ईवीएम से मतदान होगा। मथुरा नगर में प्रथम बार नगर पालिका का गठन एक अक्टूबर 1868 को हुआ, जो अधिनियम 1916 के तहत नगरीय निकाय बना। सरकारी गजट उप्र इलाहाबाद में 21 फरवरी 56 के भाग-3 में प्रकाशित स्वायत्त शासन विभाग के अनुसार मथुरा को सिटी (नगर) घोषित किया गया। सन 74 में मथुरा नगर पालिका को ऋणी घोषित किया गया और इस कारण पालिका का बजट अधिनियम की धारा-102 के अंतर्गत मंडलायुक्त आगरा की स्वीकृति के अधीन किया गया। 1990 में इसका सीमा विस्तार कर दिया गया और अब 2017 में मथुरा और वृंदावन पालिका समेत 51 गांवों को मिलाकर नगर निगम बना दिया गया है। इसमें 6.20 लाख मतदाता हैं। यानि अब नगर निगम का आकार डेढ़ विधानसभा क्षेत्र के बराबर हो गया है। सन 95 में भाजपा के वीरेंद्र अग्रवाल पहले ऐसे चेयरमैन बने, जो जनता से सीधे चुने गए।

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होम्योपैथी के जनक डा. हैनीमैन का जन्मदिन धूमधाम से मनाया

हाथरस। जनपद में होम्योपैथी विभाग द्वारा होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनीमैन का जन्म दिन राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय पर धूमधाम से मनाया गया। जिला होम्योपैथी अधिकारी डॉ. अशोक चौहान ने बताया कि जनपद के समस्त चिकित्सा अधिकारी एवं स्टाफ ने चिकित्सालय परिसर में स्थापित डॉ. हनीमैन की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और इसके बाद चिकित्सालय परिसर में वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. अनिल कुमार, डॉ. आर के एस परमार और डॉ. सौरभ कुमार ने विभिन्न विषयों पर जनोपयोगी विचार प्रस्तुत किए।
जिला होम्योपैथी अधिकारी डॉ. अशोक चौहान ने बताया कि होम्योपैथी आने वाले कल की पैथी है। होम्योपैथी से विभिन्न सर्जिकल बीमारियों में अगर इलाज कराया जाए तो सर्जरी से बचा जा सकता है और गंभीर बीमारियों को भी होम्योपैथी द्वारा सहजता और सरलता से ठीक किया जा सकता है।

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जिले में सड़क चौड़ीकरण के कार्य की प्रगति धीमी

⇒ जिलाधिकारी ने जारी की चेतावनी, समय से काम हो पूरा
मथुरा। जनपद में इस समय कई महत्वपूर्ण सड़क मार्गों पर चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य चल रहा है। समय सीमा के अंदर इन कार्यों को पूरा करना होगा। कार्य की प्रगति संतोषजनक नहीं मिलने पर जिलाधिकारी ने चेतावनी जारी की है।
जिलाधिकारी पुलकित खरे ने अधिशासी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग (प्रा.सं.) मथुरा तथा अवर अभियन्तागण, लोनिवि (प्रा.खं.) मथुरा राहुल शर्मा, सतेन्द्र कुमार सिंह, मुकेश कुमार गोयल, सुधीर कुमार, महेन्द्र प्रताप सिंह, कुंवर आशीष, मौहम्मद आरिफ, राकेश कुमार प्रथम, राकेश कुमार द्वितीय, अवनीश शर्मा, अवधेश कुमार सिंह, रविकान्त सिंह, प्रदीप कुमार, नवीन कुमार सुमन, कप्तान सिंह, संजय कुमार, उमेश कुमार एवं प्रबंध निदेशक मै. आरपी इंफावेंचर प्रा.लि. आगरा दिनेश राठौर को चेतावनी जारी की है। लोक निर्माण विभाग द्वारा जनपद मथुरा में कोसी नंदगांव, बरसाना गोवर्धन, सौंख मथुरा एवं मथुरा राया ( यमुना एक्सप्रेस-वे मार्ग तक) का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य कराया जा रहा है।

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प्रधानों से मांगा गोशालाओं के लिए भूसा जुटाने में सहयोग

मथुरा । शतप्रतिशत छुट्टा गोवंश को गोशालाओं में पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए ग्राम पंचायतों में गौशालाएं बनाई जा रही हैं। यहां लाए जा रहे गोवंश के चारे पानी की व्यवस्था भी की जानी है। जिलाधिकारी पुलकित खरे ने जनपद के सभी प्रधानों से अपील की है कि वे अधिकाधिक भूसा दान करवाए एवं भूसे को गौशालाओं में पहुचाए। उत्तर प्रदेश पशुधन संख्या के दृष्टिकोण से देश का सबसे बड़ा राज्य है। वर्ष 2019 में प्रख्यापित नीति के माध्यम से स्थायी, अस्थायी गौ आश्रय स्थलों की स्थापना कर निराश्रित गोवंशों को संरक्षित कर उनका भरण पोषण किया जा रहा है। निराश्रित गौवंश के लिए वर्षवार भूसा, चारा की आवश्यकता होती है। गेहूँ कटाई के समय भूसा सस्ता तथा प्रत्येक किसान के पास उपलब्ध भी रहता है। यदि प्रत्येक किसान का सहयोग मिल जाएगा तो गो सेवा के लिए वर्ष भर भूसे का संग्रहण आसानी से किया जा सकेगा, इससे निराश्रित गोवंश के स्वास्थ्य में भी बेहतरी आएगी।

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आचार संहिताः दो लाख से अधिक की नकदी पर देने होंगे साक्ष्य

मथुरा । निकाय चुनाव जिला निर्वाचन अधिकारी ने अवगत कराया है कि नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन 2023 की घोषणा के साथ ही जनपद में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। यदि किसी व्यक्ति के कब्जे में दो लाख से अधिक नकदी पायी जाती है और वह व्यक्ति उसका कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर पाता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। यह संदेह का पर्याप्त आधार है कि इसका प्रयोग मतदाताओं को रिश्वत देने में किया जा सकता है। इस धनराशि को जब्त कर लिया जाएगा और संबंधित प्रावधानों के अधीन कार्यवाही की जाएगी। इस कार्यवाही की सूचना आयकर विभाग को भी दी जायेगी।

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एनटीपीसी में एम्स द्वारा आयोजित शिविर में जवानों ने किया रक्तदान

पवन कुमार गुप्ता; ऊंचाहार, रायबरेली। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की ऊंचाहार यूनिट में उप कमांडेंट प्रतीक रघुवंशी ने एनटीपीसी में एम्स द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा किए गए रक्तदान से किसी की जिंदगी बच सकती है, इसलिए सभी को रक्तदान जैसा महादान करना चाहिए। रक्तदान करने से स्वयं का शरीर और अधिक स्वस्थ होता है, साथ ही दिए गए रक्त की भरपाई भी शरीर के अंदर चंद घंटों में ही हो जाती है, इसलिए यह सबसे बड़ा दान है। रायबरेली एम्स द्वारा आयोजित इस शिविर में सीआईएसएफ यूनिट के 22 जवानों ने एक एक यूनिट रक्तदान किया है।

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पुण्यतिथि पर रक्तदान कैम्प लगाया गया

नांगस्निंग, ईस्ट जयंतिया हिल्स, मेघालय। मैक्स सीमेंट के संस्थापक स्व. गजानन्द अगरवाल जी की पुण्यतिथि ग्रीनवैली इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रांगण में मनाई गई। यहाँ समस्त कार्मिकों ने श्रद्धांजलि देते हुए उनके दिखाए रास्ते पर चलने हेतु कटिबद्धता दिखाई। इसके बाद गजानन्द अगरवाल मेमोरियल क्लब में जोवाई सिविल हॉस्पीटल से आए चिकित्सकीय प्रतिनिधियों द्वारा रक्तदान कैम्प का आयोजन किया गया। इसमें न केवल कम्पनी के लोगों ने बल्कि अन्य एजेंसियों और स्थानीय लोगों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। राष्ट्रवादी पुस्तक इनसे हैं हम के प्रधान संपादक सहित चार दर्जन से अधिक लोगों ने ष्रक्तदान-जीवन दानष् के उद्देश्य को सफल बनाया।

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साहित्य का बेड़ा गर्द कर रहे है साहित्यिक ग्रुप्स

आजकल फेसबुक पर साहित्यिक ग्रुपों की लाईन लगी है जो कि साहित्य और लेखन को बढ़ावा देने हेतु बहुत ही सराहनीय कार्य है। इन ग्रुपों में नियमित रुप से लेखकों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन भी होता है और तीन से पाँच प्रतिभागियों को चुनकर विजेता घोषित करके प्रशस्ति पत्र से सम्मानित भी किया जाता है। कभी-कभी तो सारे मेम्बर्स को विजेता घोषित करके प्रशस्ति-पत्र बाँटे जाते है! पर, यहाँ देखा जाता है कि न रचना का स्तर देखा जाता है, न गलतियों पर गौर किया जाता है। या तो रचना लय में ही नहीं होती है या बीस लाईन की रचना में व्याकरण की 10 त्रुटियाँ होती है। जब ऐसी रचनाओं को विजेता घोषित किया जाता है, तब ऐसा लेख लिखने को मन बेचैन हो उठता है।
पता नहीं रचना के किस पहलू का मूल्यांकन करके निर्णय लिया जाता है, ताज्जुब होता है। साहित्य के स्तर को इतना गिरा हुआ देखकर दुःख भी होता है। वैसे संचालक मंडल भी क्या करें ? अब हर रोज़ तो कुछ एक अच्छा लिखने वालों को विजेता घोषित नहीं कर सकते! इसलिए सबको खुश रखने के चक्कर में फालतू से फालतू रचनाओं को विजेता घोषित करके ये साहित्यिक ग्रुपों वाले साहित्य का बेड़ा गर्द कर रहे है और सम्मान पाकर सामान्य और निम्न स्तरीय लिखने वाले लेखक भी खुद को महान समझते उसी ढंग से लिखना चालू रखते हैं।
अगर साहित्य को बढ़ावा ही देना है तो ग्रुप को एक स्कूल की तरह बनाईये। कमज़ोर रचनाकारों की गलतियों और व्याकरण त्रुटियों को नजर अंदाज़ करने की बजाय सुधारकर लिखने को बोलिए। लेखन की शैली, शब्दों का चयन, काफ़िये का मिलना, प्रास का जुड़ना ऐसे हर पहलू को जाँच कर परिणाम घोषित करना चाहिए। मेम्बर्स को जोड़े रखने की नीति और सारे लेखकों को खुश रखने की लालच साहित्य की धज्जियां उड़ा रही है।

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