Sunday, September 22, 2024
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विश्व के कल्याण के लिए भारतवर्ष को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है न कि प्रताड़ित करने के लिएः सुधांशु त्रिवेदी

कानपुर। विश्व के कल्याण के लिए भारतवर्ष को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है न कि प्रताड़ित करने के लिए, यह बात सांसद एवं प्रखर वक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ एवम छत्रपति शाहू जी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त आयोजित राष्ट्रीय शैक्षिक संगोष्ठी में कहीं। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री त्रिवेदी ने कहा कि विश्व की कई शक्तियां लोक कल्याण के बजाय विश्व को प्रताड़ित करने के लिए महाशक्ति बनना चाहते हैं। हम सभी को स्वतंत्रता तो बहुत वर्ष पहले प्राप्त हो गई और स्वतंत्रता के पहले अक्षर ‘स्व’ को प्रत्येक क्षेत्र में अपनाकर हम सब भारतवर्ष को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व में कहीं भी यदि कोई ज्ञान का अनुसंधान हो रहा हो तो भारतवर्ष उसका केंद्र बिंदु होता है। उन्होंने कहा कि भारत वह है जो ज्ञान के प्रकाश के अनुसंधान में सतत् रूप से लगा है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय प्रभारी महेन्द्र कुमार ने संगठन द्वारा समय समय पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु किए जाने वाले कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की सराहना की। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुकूल एवं गर्व की अनुभूति कराने वाली नीति है।संगोष्ठी का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन एवं वंदना से किया गया।

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जब शहर विकसित होंगे, तभी हमारा देश विकसित होगाः मुख्य सचिव

कानपुर/लखनऊ। नगर वासियों के सुझाव प्राप्त करने के लिए कानपुर@2047 के लोगो एवं वेबसाइट का शुभारम्भ किया गया। इसी तर्ज पर जनपदों के विकास की रूपरेखा लोगों का सुझाव लेकर तैयार की जायेगी।
उक्त जानकारी देते हुये मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा सुविधायें मिलें, इसके लिये अभी से प्लानिंग के साथ कार्य करना जरूरी है। 25 वर्ष बाद 2047 में कानपुर नगर कैसा होगा, इस दिशा में कार्य कर रहा है। लोगों के सुझाव प्राप्त करने के लिए कानपुर@2047 वेबसाइट का शुभारंभ किया गया है। इसके माध्यम से नगरवासी कमियां बताने के साथ अपने बहुमूल्य सुझाव दे सकते हैं। अन्य जनपदों को भी इसी तर्ज पर कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले पाँच सालों में उत्तर प्रदेश का अभूतपूर्व विकास हुआ है। प्रदेश के विकास के लिए युवाओं की सहभागिता जरूरी है। प्रधानमंत्री जी ने आगामी 25 सालों में देश को विकसित बनाने का लक्ष्य रखा है। यह उसी विज़न की शुरुआत है। प्रधानमंत्री जी जो संकल्प लेते हैं वह सिद्ध करते हैं। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश की इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में सभी को मिलकर कार्य करना होगा।

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स्वास्थ्य जाँच हेतु निःशुल्क शिविर का किया आयोजन

कानपुरः जन सामना डेस्क। लोगों के बीच स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से समाजसेवी दीप चन्द्र ने उजाला सिग्नस एवं कुलवंती हॉस्पिटल की टीम के जरिये यशोदा नगर के सैनिक चौराहे पर स्वास्थ्य जाँच हेतु निःशुल्क शिविर का आयोजन किया। जाँच शिविर में डॉ. आर. के. तिवारी, देवेंद्र सिंह, सरोज, मोनी, पूजा, डॉ. रूपेश गुप्ता की मेडिकल टीम द्वारा लगभग 135 मरीजों की जांच निःशुल्क की गई।

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जीवन के उतार-चढ़ाव में नशे को सहारा मत बनाओः ज्योति बाबा

कानपुर/लखनऊ। भारत रत्न डॉक्टर कलाम कहा करते थे कि वास्तविक शिक्षा मनुष्य की गरिमा बढ़ाती है और उसके स्वाभिमान को बढ़ाती है यदि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा केवल शिक्षा की वास्तविक भावना को महसूस किया जा सकता है। मानव गतिविधि के हर क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा सकता है तो दुनिया रहने के लिए एक बेहतर जगह होगी।
उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के तहत सोसाइटी योग ज्योति इंडिया व कैरियर डेंटल मेडिकल कॉलेज लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में विश्व छात्र दिवस के अवसर पर आयोजित वेबीनार शीर्षक ‘नशा मुक्त मानव बनाने में डॉक्टर कलाम की उपयोगी शिक्षा’ पर अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख व नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड अंबेसडर योग गुरु ज्योति बाबा ने कही।
ज्योति बाबा ने आगे कहा कि हम विश्व छात्र दिवस पर दुनिया के छात्रों से आवाहन करते हैं कि वह विश्व को खुशहाल एवं शांतिपूर्ण बनाने हेतु नशा मुक्त परिवार क्रांति कर मिसाइल मैन डॉक्टर कलाम की तरह ऐतिहासिक पहल करें। आज दुनिया नशा रोग से भयाक्रांत है हर परिवार पीड़ित होकर समाज व राष्ट्र के समक्ष एक गंभीर चुनौती खड़ी कर रहा है।

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ऑल इंडिया सारस्वत सांस्कृतिक महोत्सव 2022 का आयोजन 12 नवम्बर को

मुंबई। ऑल इंडिया सारस्वत कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में दादर ईस्ट स्थित बी. एन. वैद्य सभागृह में संस्था के द्वारा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन 12 नवम्बर 2022 को हर्षाेल्लास के साथ किया जाएगा।
संस्था के सचिव राजेंद्र पै एवं उदय रेडकर के द्वारा संयुक्त रूप से बताया गया कि इस महोत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, सुप्रसिद्ध म्यूजिक डायरेक्टर अशोक पाटकी, अभिनेत्री अमृता राव, वर्षा उसगांवकर, सारस्वत बैंक के चेयरमैन गौतम ठाकुर, जोधपुर के पूर्व मेयर घनश्याम ओझा, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, जाने माने वकील हस्तीमल सारस्वत, सुप्रसिद्ध लेखक व समाज सेवी सारस्वत ब्राह्मण समाज गाजियाबाद के अध्यक्ष गिरीश सारस्वत, सारस्वत धर्मशाला पुष्कर के अध्यक्ष गणपत लाल सारस्वत ऊर्फ पप्पू जी, बीकानेर खाजूवाला से सामाजिक चिंतक व सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ राम सारस्वत तथा भारतीय मीडिया एसोसिएशन के मथुरा जिला अध्यक्ष युवा पत्रकार रजत सारस्वत सहित पूरे देश की अनेक जानी मानी हस्तियाँ सम्मिलित होंगी।

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बेहतर सैन्य फैसलों के लिए याद रहेंगे नेता जी

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में विगत दिनों निधन हो गया। वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और हरियाणा के मेदांता अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था। वे राम मनोहर लोहिया के विचारों से काफी प्रभावित थे। सन् 1950 के दषक में वे राजनीति में सक्रिय हुए और किसानों के लिए लड़ाई लड़ी। उनके संघर्श तथा जुझाारूपन के लिए पुर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह उन्हें ‘लिटिल नैपोलियन’ कहकर पुकारते थे। मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे। रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने कुछ ऐतिहासिक फैसले लिए जो विशेष उपलब्धि वाले हैं जिन्हें सैन्य क्षेत्र के लोग कभी नहीं भूल सकते हैं।
1990 के दशक में मुलायम सिंह यादव जब उत्तर प्रदेश की सत्ता से हटे तो उन्होंने केन्द्रीय राजनीति में प्रवेश किया। इस समय तक वे लम्बे अनुभव के बाद राजनीति में काफी पारंगत हो चुके थे। वे यह समझ चुके थे कि कब और कहां उन्हें अपनी अहमियत साबित करनी है। वे राजनीति के माहिर खिलाड़ी थे और इसका फायदा भी उठाया। सन् 1996 में जब लोक सभा चुनाव हुए तो उनकी पार्टी ने 17 सीटों पर विजय हासिल की। यह वो समय था जब देश में अस्थिरता का दौर चल रहा था। इस चुनाव के बाद श्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार बनी लेकिन वह मात्र 13 दिन में ही गिर गई। इसके बाद एच. डी. देवगौड़ा की सरकार बनी जिसमें मुलायम सिंह यादव पहले एच. डी. देवगौड़ा और उसके बाद इन्द्र कुमार गुजराल की सरकार में तकरीबन दो साल तक रक्षा मंत्री रहे। अपने इसी कार्यकाल के दौरान उन्होंने रक्षा क्षेत्र के लिए कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए जिसके कारण वे देश के सफल रक्षा मंत्री के रुप में जाने जाते हैं।

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करवा चौथ व्रत के बाद माता अहोई अष्टमी का व्रत

करवा चौथ व्रत के बाद माता अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में माताएं निर्जल व्रत रखते हुए उदय होते तारों को देखकर व्रत का समापन करती हैं। जिस तरह करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा का महत्व है, उसी तरह अहोई अष्टमी व्रत में तारों का विशेष महत्व होता है।
अहोई अष्टमी करवा चौथ के समान ही है। यह एक सख्त उपवास का दिन है। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं पूरे दिन पानी पीने से भी परहेज करती हैं। वे केवल शाम को तारों को देखने और उनकी पूजा करने के बाद ही उपवास तोड़ सकतीं हैं।
यह व्रत माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। सुबह उठकर स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें फिर दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाएं या लगाएं। रोली, चावल और फूलों से माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा सुनें। माता अहोई को हलवा पूरी या फिर किसी मिठाई का भोग लगाएं।
अहोई अष्टमी व्रत से संबंधित दो कथाएं प्रचलित हैं,
पहली कथा-
एक समय एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात-सात बेटे- बहुएं और एक बेटी थीं। दीपावाली से कुछ दिन पहले उसकी बेटी अपनी भाभियों संग घर की लिपाई के लिए जंगल से साफ मिट्टी लेने गई। जंगल में मिट्टी निकालते वक्त खुरपी से एक स्याहू का बच्चा मर गया। इस घटना से दुखी होकर स्याहू की माता ने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का शाप दे दिया। उस शाप के प्रभाव से साहूकार की बेटी का कोख बंध गया। इस शाप से साहूकार की बेटी दुखी हो गई और उसने अपनी भाभियों से कहा कि उनमें से कोई भी एघ्क भाभी अपनी कोख बांध ले। ननद की बात सुनकर सबसे छोटी भाभी तैयार हो गई। उस शाप के दुष्प्रभाव से उसकी संतान केवल सात दिन ही जिंदा रहती थी। जब भी वह कोई बच्चे को जन्म देती, वह सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वह परेशान होकर एक पंडित से मिली और उपाय पूछा।

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Local language plays a big role in the legal system for ease of justice:PM

New Delhi: The Prime Minister, Narendra Modi addressed the inaugural session of All India Conference of Law Ministers and Law Secretaries today via video message.
Addressing the gathering, the Prime Minister noted that the critical meeting of law ministers and secretaries of all states in the country is taking place under the grandeur of the Statue of Unity, and it is the inspiration of Sardar Patel that will help us achieve our goals by pointing us in the right direction during this phase of Azadi Ka Amrit Mahotsav.
The Prime Minister pointed out the need for a dependable and speedy justice system for a healthy and confident society in a developing country like ours. He further added that the judicial system and various procedures and traditions in every society have been developing according to the needs of the time period. Shri Modi said, “When justice is seen to be delivered, then the faith of the countrymen in the constitutional institutions is strengthened. And when justice is delivered, the confidence of the common man goes up.” He further added that such events are very important for the continuous improvement of the law and order of the country.

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डा. अब्दुल कलाम की सादगी और उनके आदर्श

⇒अब्दुल कलाम जयंती (15 अक्तूबर) पर विशेष
देश के महान् वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रख्यात शिक्षाविद् डा. एपीजे अब्दुल कलाम (अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम) सच्चे अर्थों में ऐसे महानायक थे, जिन्होंने अपना बचपन अभावों में बीतने के बाद भी अपना पूरा जीवन देश और मानवता की सेवा में व्यतीत कर दिया। छात्रों और युवा पीढ़ी को दिए गए उनके प्रेरक संदेश तथा उनके स्वयं के जीवन की कहानी देश की आने वाले कई पीढ़ियों को भी सदैव प्रेरित करने का कार्य करती रहेगी। न केवल भारत के लोग बल्कि पूरी दुनिया मिसाइल मैन डा. कलाम की सादगी, धर्मनिरपेक्षता, आदर्शों, शांत व्यक्तित्व और छात्रों व युवाओं के प्रति उनके लगाव की कायल थी। डा. कलाम देश को वर्ष 2020 तक आर्थिक शक्ति बनते देखना चाहते थे। पढ़ाई-लिखाई को तरक्की का साधन बताने वाले डा. कलाम का मानना था कि केवल शिक्षा के द्वारा ही हम अपने जीवन से निर्धनता, निरक्षरता और कुपोषण जैसी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। उनके ऐसे ही महान विचारों ने देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रेरित करने और देश के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने का कार्य किया। उनका ज्ञान और व्यक्तित्व इतना विराट था कि उन्हें दुनियाभर के 40 विश्वविद्यालयों ने डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि प्रदान की।
तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 15 अक्तूबर 1931 को जन्मे डा. कलाम छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए अक्सर कहा करते थे कि छात्रों के जीवन का एक तय उद्देश्य होना चाहिए और इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि वे हरसंभव स्रोतों से ज्ञान प्राप्त करें। छात्रों की तरक्की के लिए उनके द्वारा जीवन पर्यन्त किए गए महान् कार्यों को देखते हुए ही सन् 2010 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा उनका 79वां जन्म दिवस ‘विश्व विद्यार्थी दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया और तभी से डा. कलाम के जन्मदिवस 15 अक्तूबर को ही प्रतिवर्ष ‘विश्व विद्यार्थी दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है।

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