पर्यावरण दिन के उपलक्ष्य में नेताजी के भाषण हेतु तैयारियां शुरू हो गई थी।नेताजी हेलीकॉप्टर से आने वाले थे तो मैदान में हेलीपेड तैयार करने के लिए जो दो तीन छोटे पेड़ थे उनको काट दिया गया और चार पांच टैंकर से जमीन को समतल कर दी गई।अब हुई दूसरी तैयारियां,सभा में आने वालों के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए दो हजार छोटी पानी की बोतलों का इंतजाम किया गया । और चारों दिशाओं में आवाज पहुंच सके उसके लिए चार माइक और बहुत सारे स्पीकर लगाए गए।जब नेताजी हेलीकॉप्टर से आएं तो मिट्टी के बवंडर से पूरा मैदान भर गया। माइक से इतने जोर जोर आवाज आ रही थी कि कानों में बहरापन आ जाएं।जैसे ही सभा का समापन हुआ पूरा तो मैदान प्लास्टिक की छोटी छोटी बोतलों से पानीपत का मैदान कुरुक्षेत्र के बाद लगता था वैसा प्लास्टिक का कुरुक्षेत्र लग रहा था।
वहां हवा,आवाज,पृथ्वी( मिट्टी),पेड़ का कटना,प्लास्टिक की बोटलों का फैलाना आदि सभी कुछ घटने के बाद भी प्रशंशा हो रही थी इंतजाम की।जहां देखो वहां पर्यावरण के हर सिद्धांत का हनन हो रहा था फिर भी नेताजी का पर्यावरण पर भाषण हीट रहा था।