कविता पंतः नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उप-राज्यपाल की तरफ से 5 विधायक मनोनीत करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सीधे इस मामले की सुनवाई नहीं करेगा। पहले इसे हाई कोर्ट में सुना जाए।
याचिकाकर्ता रविंदर शर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उप-राज्यपाल की ओर से 5 विधायक मनोनीत करने के बाद एक चुनी हुई सरकार गिराई जा सकती है। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उप-राज्यपाल को मनोनीत करना चाहिए कि नहीं, सीधे सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई नहीं करेगा। पहले इसे हाई कोर्ट में सुना जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता रविंदर कुमार शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा कि बिना चुनाव के नियुक्त किए गए उपराज्यपाल द्वारा इस तरह का फैसला काफी असर डाल सकता है। सिंघवी ने दलील दी कि यह मुद्दा बुनियादी ढांचे का है। अगर उपराज्यपाल 5 लोगों को मनोनीत करते हैं तो बाकी दलों के विधायकों की संख्या 47 हो जाती है। वहीं नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन के 48 विधायक हैं। आपको केवल एक ही व्यक्ति को लाना है। अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि यह एक बुनियादी संरचना का मुद्दा है। आप इसके सहारे चुनाव से मिले जनादेश को रद्द कर सकते हैं।
सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के नामांकन का मतलब है कि जो व्यक्ति चुनाव जीता है उसे नकारा जा सकता है। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि इसे हाई कोर्ट के सामने जाने दें। अगर हाई्र कोर्ट इस पर रोक नहीं लगाता है तो आप यहां आ सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न विधानसभा के चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और सीपीएम को मिलाकर 49 सीटें मिली हैं, जो 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से ऊपर है।
जम्मू-कश्मीर जन प्रतिनिधित्व कानून में इस संशोधन के अनुसार, जिसने सरकार को पांच सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार दिया है, जो कश्मीरी विस्थापित व्यक्तियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओके) के लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे, उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधियों की तरह ही पूर्ण विधायी शक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे।
नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की इन आपत्तियों पर भारतीय जनता पार्टी के जम्मू-कश्मीर प्रदेश के अध्यक्ष रवीन्द्र रैना ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एलजी द्वारा पांच विधायकों का मनोनयन संवैधानिक प्रक्रिया है। हमारे देश की संसद में 2023 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पेश किया गया था, जिस पर दोनों सदनों में बहस हुई थी और यह विधेयक पास हुआ था। जब यह विधेयक संसद में रखा गया था और इसके प्रावधानों पर विस्तृत चर्चा हुई थी तब क्या कांग्रेस सो रही थी। कांग्रेस को आज याद आया है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पांच मनोनीत सदस्य भी होंगे। संसद में जब यह विधेयक पेश हुआ था, तब नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला कांग्रेस नेता राहुल गांधी वहां मौजूद थे, उस वक्त उन्होंने आपत्ति क्यों नहीं जताई थी।’