Wednesday, January 22, 2025
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अभिनंदन अभिनंदन है नववर्ष तेरा

हुजूर 2024 में क्या वक्त रहा, कुछ साथ रहा कुछ गया छूट।
माना तुम सबसे दूर चला जा रहा,यारों यह दस्तूर पुराना है खूब।
कभी ग़म दिया कभी कूल रखा, तुम जैसे भी थे हमें थे मंजूर।
अच्छा किया कुछ बुरा भी रहा, तेरी हाजिरी में रहा मैं भी हाजिर।
रही मेरी कोई शिकायत ना शिकवा, यह आना जाना पुराना है दस्तूर।
सीखाता भी ये सब को अवसर देना, सहर्ष करें नव वर्ष अभिनंदन शुरू।
खुशियों का उपहार नव वर्ष दे रहा, नव प्रभात बेला हो सबको स्वीकार।
अभिनंदन अभिनंदन है नव वर्ष तेरा, तू जीवन में सबके भर दे बहार।
मन के उच्छवासों में नववर्ष रचा बसा, मधु सा फैलो कण-कण में 2025।
तू सबके जीवन में कस्तूरी बन महको, जैसे मंदिरों में जल रहा सुगंधित कपूर।
‘‘नाज़’’ 2024 में जो कुछ तेरा अपूर्ण है रहा, 2025 में वे सारी अभिलाषाएं हों पूर्ण।
-डॉ० साधना शर्मा (राज्य अध्यापक पुरस्कृत) इ० प्र० अ० पूर्व मा०वि० कन्या सलोन, रायबरेली