Wednesday, January 22, 2025
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राष्ट्रीय युवा दिवसः ऊर्जा, उत्साह, और आत्मनिर्भरता का संदेश

हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन महान संत और विचारक स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिनके विचार युवाओं के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहे हैं। भारत सरकार ने 1984 में उनके आदर्शों को सम्मान देने हेतु इस दिन को युवा दिवस घोषित किया। इस दिन का उद्देश्य युवाओं में ऊर्जा, उत्साह, आत्मनिर्भरता, और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना को प्रोत्साहित करना है।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘‘उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’’
यह वाक्य हर युवा को प्रेरित करता है कि वह अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करे और पूरे जोश के साथ उसे प्राप्त करने का प्रयास करे।
भारतीय युवाओं की स्थिति और चुनौतियाँ
आज के समय में भारतीय युवा कई शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। युवाओं की सबसे बड़ी शक्ति उनकी ऊर्जा और विचारधारा है, लेकिन प्रतिस्पर्धा, बेरोजगारी, मानसिक तनाव, और नशे की लत जैसी समस्याएँ उन्हें पीछे धकेल रही हैं। डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक बीमारियाँ तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रही हैं। प्रतिस्पर्धा के कारण हर युवा एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में मानसिक असंतुलन का शिकार हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या आज युवाओं की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बन चुकी है।
एक प्रेरणादायक पंक्ति
‘‘अगर बढ़ना है तो रुकने का सोचना मत, हर कदम पर सीखो और खुद को तराशो।’’
ड्रग्स और नशे की बढ़ती लत
आजकल युवाओं के बीच ड्रग्स, अल्कोहल, और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन एक गंभीर समस्या बन चुकी है। पार्टियों और सामाजिक कार्यक्रमों में नशे की लत एक सामाजिक मान्यता बनती जा रही है। छोटे-छोटे किशोर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
जीवनशैली और स्वास्थ्य समस्याएँ
बदलती जीवनशैली के कारण युवाओं में मोटापा, हृदय रोग, और डायबिटीज जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। फास्ट फूड और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। जोश और जुनून से हर बाधा को पार करो, अपने सपनों को हकीकत में बदलो।
सामाजिक दबाव और बेरोजगारी
बेरोजगारी आज भारत के युवाओं के सामने एक गंभीर समस्या है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में बेरोजगार युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। पढ़ाई के बाद भी नौकरी न मिलने के कारण युवा हताश और निराश हो रहे हैं। इसके अलावा, परिवार और समाज का दबाव भी युवाओं के मनोबल को गिरा रहा है।
सोशल मीडिया का प्रभाव
सोशल मीडिया पर बढ़ता समय बिताना और साइबर बुलिंग युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। झूठी तुलना और दिखावे के चक्कर में युवा अपनी वास्तविक क्षमताओं को पहचान नहीं पा रहे।
‘‘तूफानों से डरकर कभी मंज़िल नहीं मिलती, हौसले के साथ जो बढ़ता है, वही इतिहास रचता है।’’
युवाओं की भूमिका राष्ट्र निर्माण में
युवा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होते हैं। उनकी ऊर्जा, सृजनात्मकता, और नेतृत्व क्षमता एक बेहतर समाज और देश का निर्माण करती है। भारत में 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं की संख्या 27.5% है, जो देश की सकल राष्ट्रीय आय में लगभग 34% योगदान देते हैं। यदि युवाओं को सही शिक्षा, मार्गदर्शन, और अवसर प्रदान किए जाएँ, तो वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
‘हम युवा हैं, हमसे ही रोशन होगा कल। जो आज धुंधला सा है, वही कल का चमकता सपना होगा।’
समाधान और सुझाव
युवाओं की चुनौतियों का समाधान कर उन्हें राष्ट्र के विकास में सक्रिय भागीदार बनाया जा सकता है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं-
कौशल विकासरू युवाओं को रोजगारपरक कौशल सिखाने हेतु विशेष कार्यक्रम चलाए जाएँ।
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियानरू युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर खुलकर चर्चा की जाए।
नशा मुक्ति अभियानर: नशे की बढ़ती लत को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएँ।
सामाजिक समर्थन और संवादरू परिवार और समाज को युवाओं के साथ संवाद स्थापित कर उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए।
AURA का योगदान
AURA Trust ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। संस्थापक डॉ. अमरीन फातिमा, जो एक प्रसिद्ध चिकित्सक और समाज सेविका हैं, ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। AURA Trust द्वारा नशा मुक्ति अभियान और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिनसे अब तक हजारों युवाओं को लाभ हुआ है।
‘‘ख्वाब देखो तो ऐसे, जो आसमान छू लें। इरादे रखो तो ऐसे, जो किस्मत बदल दें।’’
युवा केवल वर्तमान का हिस्सा नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा भी निर्धारित करते हैं। यदि उन्हें सही मार्गदर्शन, शिक्षा, और अवसर दिए जाएँ, तो वे समाज में बड़े बदलाव ला सकते हैं। यही समय है जब हमें मिलकर युवाओं को एक सशक्त और प्रगतिशील राष्ट्र की ओर बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
‘‘हर युवा में जोश की आग है, वही देश को ऊँचाइयों पर ले जाएगा।’’
डॉ अमरीन फातिमा, गोल्ड मेडलिस्ट (एमडी मेडिसिन) पीजीडीएमएच, एमएसडब्ल्यू