ईश्वर ने कर्म हुनर साथ भेजा, अब तो समझना तुझे ही होगा।
हुनर कभी जाया नही जाता, अगर शिद्दत से तुमने है सीखा।
बदलाव यहां कौन नहीं कर पाता, जो अपने कर्म धर्म से दूर है होता।
जिंदगी में बदलाव तभी होगा, जब ख़ुद की खूबी पहचान लेगा।
मुकद्दर लेकर वह है जरूर आता, पर मुकद्दर कर्म से ही है पाता।
हर काम बिगाड़ देती है लालसा, अनचाहे अनाचार भी देती है करा।
जिंदगी में सतर्क रहना भी है होता, बदरंग हो जाती है जिंदगी वरना।
वक्त रहते हुनर को पहचान लेता, तेरा मुकद्दर खुद ब खुद संवर जाता।
तकदीर को लेकर क्यों परेशान होता, अपने हुनर से क्यों नहीं गढ़ लेता।
छोड़ दे अपनी तू वक्त पर आलस्यता, वरना मुश्किल हो जाएगा जीना तेरा।
उन्हीं की वजह से तू गड्ढे में है गिरा, जो तेरी बाहों में सांप सा है लिपटा।
ऊंचाई पर कैसे तू अब चढ़ सकेगा, तेरा दुश्मन तेरे पैर पकड़े हैं बैठा।
तेरे दामन में खुशियों का सैलाब होता, अगर नाज़ से तू मुकद्दर संवार लेता।
-डॉ० साधना शर्मा (राज्य अध्यापक पुरस्कृत) इ० प्र० अ० पूर्व मा०वि० कन्या सलोन, रायबरेली