⇒सुविधा शुल्क देने के बाद ही भेजा जाता है लाभार्थी का नाम।
⇒उन लोगों को भी मिल रहा है लाभ जो पहले ले चुके हैं लाभ
⇒शिकायतों को गंभीरता से नहीं देखते जिले के अधिकारी
कानपुर देहातः जन सामना संवाददाता। मोदी सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए तरह तरह के प्रयास कर रही है लेकिन भ्रष्टाचार के कारिन्दें नई नई तरकीब खोज कर मोदी जी की पहल को बट्टा लगा रहे हैं। जी हां, कानपुर देहात जिले में आवास आवन्टन में कुछ ऐसी ही चर्चाएं आम हैं। जब से मोदी जी ने आवास निर्माण की धनराशि को लाभार्थियों के खाते में सीधे भेजने का कार्य किया है उसके बाद से ग्राम प्रधान ने भी अपनी तरह से इस पर नया रास्ता निकाल लिया है। सूत्रों की मानें तो कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हीं को प्राथमिकता में मिल रहा है जो ग्राम प्रधान की जेब गरम कर देते हैं।
सूत्रों के मुताबिक विकास खण्ड डेरापुर के ग्राम पंचायत मझगवां के ग्राम मिर्जापुर व अन्य गांवों में ग्राम प्रधान उन्हीं लोगों को आवास आवन्टन में प्राथमिकता दे रहा है जो लोग सुविधा शुल्क दे देते हैं। मिर्जापुर खुर्द निवासी हरिनाम सिंह उर्फ कल्लू ने बताया कि उन्होंने शौचालय योजना में किए गए भ्रष्टाचार को छुपाने में साथ नहीं दिया तो उन्हें आवास आवन्टन में प्राथमिकता नहीं दी, जबकि कई उन लोगों को आवास आवन्टन करवा दिए जिन्हें पहले से ही आवास योजना का लाभ मिल चुका है। यहां अगर पुरानी योजनाओं व नई योजना के लाभार्थियों का मिलान हो जाये तो सबकुछ सामने आ जायेगा।
ऐसा ही मामल विकास खण्ड रसूलाबाद क्षेत्र का है। यहां ग्राम पंचायत कहिंजरी खुर्द के ग्राम पोवा में लोगों ने प्रधानपति एवं ग्राम पंचायत अधिकारी पर आवास आवंटन करवाने का आरोप लगाया है। लोगों की माने तो ले दे कर उन लोगों को आवास करवाए गए हैं जिनके पास पहले से ही आवास है। उनको आवास मिल चुके हैं। स्थानीय निवासी गोकुल निवादा के गंगाराम कमल पुत्र राम भरोसे, मनोज कुमार पाण्डेय पुत्र रमेश चन्द्र पाण्डेय, ग्राम पोवा के शिव आधार शर्मा पुत्र राम भरोसे एवं अन्य लोगों के मुताबिक ग्राम प्रधानपति ने पात्रों को नजरअन्दाज कर उन लोगों को आवास आवंटित करवाये हैं जो पात्रता की श्रेणी में नही आते है और जरूरतमन्द लोगों को वंचित रखा गया है। गरीब व्यक्तियों से प्रति आवास रूपये 20000 भी लिए गये है। ग्रामीणों ने आवास आवंटन की प्रक्रिया में धांधली करने की शिकायत जिलाधिकारी कानपुर देहात से करने की भी बात कही है।
लेकिन खास बात यह है कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को जिले के आलाधिकारी तरजीह ही नहीं दे रहे।