Tuesday, November 26, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी संस्कृति का अनिवार्य हिस्सा बनना चाहिए: उपराष्ट्रपति

साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी संस्कृति का अनिवार्य हिस्सा बनना चाहिए: उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आंकड़ों की सुरक्षा के लिए अलग परिदृश्य और नवाचारों का आह्वान किया है, क्योंकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नई प्रगति साइबर सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करेगी।
हैदराबाद में आज सी.आर.राव एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिक्स स्टैटिस्टिक्स एंड कंप्यूटर साइंस द्वारा ‘कृत्रिम आसूचना और साइबर सुरक्षा में नए आयाम’ विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराधों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और कहा कि साइबर सुरक्षा हमारी प्रौद्योगिकी संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि दुनिया भर में इस समय लगभग 8.4 बिलियन कनेक्टेड डिवाइस उपयोग में हैं और पारंपरिक साइबर सुरक्षा प्रणालियां अप्रचलित हो रही हैं। उन्होंने विश्व के समक्ष आ रही असंख्य चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रौद्योगिकी को लगातार अद्यतन करने, सॉफ्टवेयर और कंप्यूटिंग कौशल में सुधार लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
21वीं शताब्दी ऐसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के निर्माण का साक्षी बनी है, जिनसे हमारी जीवन शैली में मूलभूत बदलाव आया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृत्रिम आसूचना (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) इन प्रौद्योगिकियों में से सबसे उत्साहजनक हैं, जो अनेक अनुप्रयोगों से युक्त हैं। उन्होंने कहा, “ये प्रौद्योगिकियां कई जटिल समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हैं।”
श्री नायडू ने बड़े उद्यमों में एआई और एमएल के उपयोग का उल्लेख करते हुए कहा, “व्यापार प्रक्रियाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए हमें इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई), लघु व्यवसायों और सामयिक व्यवसायों में करने की संभावनाएं तलाशनी होंगी।
उपराष्ट्रपति ने अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण निवेश के साथ भारत को आधुनिक, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में विश्व में अग्रणी बनाने का भी आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि भारत को निर्यात को भी बढ़ावा देना चाहिए और जल्द ही प्रौद्योगिकी का शुद्ध निर्यातक बन जाना चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि भारत त्वरित प्रगति के पथ पर अग्रसर है और वह 2022-23 तक अर्थव्यवस्था के आकार को लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाने की आकांक्षा रखता है। ऐसे में प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और बीमारी जैसी प्रमुख विकास चुनौतियों को हल करते हुए भारत की प्रगति का रूख हमारी जनता के जीवन पर वास्तविक और सकारात्मक प्रभाव डालने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि लगभग 600 मिलियन युवा भारतीय 25 वर्ष से कम उम्र के हैं और ये प्रौद्योगिकी-प्रेमी युवा जनसांख्यिकीय लाभांश प्रस्तुत करते हैं और उनके युवा उत्साह और कौशल को राष्ट्रीय विकास के लिए उपयोग में लाया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने संस्थान में वायरलेस कम्युनिकेशन लैब एंड हाई परफॉर्मेंस कम्प्यूटिंग सुविधा का दौरा किया और शोधकर्ताओं और अन्य लोगों के साथ बातचीत की। उन्होंने संस्थान में डॉ. सी. आर. राव से संबंधित गैलरी का भी दौरा किया और कहा कि वह इस महान देश के महान सपूत हैं और हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। श्री नायडू ने संस्थान में ई-लर्निंग सेंटर का भी दौरा किया और वहां के शोधकर्ताओं के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि समृद्ध और शांतिपूर्ण भारत के सपने को साकार करने के लिए ये ई-लर्निंग सेंटर्स शक्तिशाली माध्यम हैं।
इस अवसर पर सी. आर. राव संस्थान की शासी परिषद के अध्यक्ष और सदस्य नीति आयोग, डॉ. वी.के. सारस्वत, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अप्पा राव पोडिले, सी. आर. राव संस्थान के निदेशक प्रो. डी. एन. रेड्डी, एआरसीसी के परियोजना निदेशक, कमांडर ए. आनंद, संकाय सदस्य, वैज्ञानिक और अनुसंधान अध्येता मौजूद रहे।