मरीजों और डॉक्टरों से संयम बरतने की अपील की
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स), सफदरजंग अस्पताल, डॉ. राममनोहर अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों के एसोसिएशन,युनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(यूआरडीए) तथा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के शिष्टमंडल से मिले। शिष्टमंडल ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के साथ हुई हिंसा की घटनाओं के बारे में डॉक्टर हर्षवर्धन को बताया। डॉ. हर्षवर्धन ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा ‘मैं डॉक्टरों के साथ होने वाले अभद्र व्यवहार तथा उन पर हमले की घोर निंदा करता हूं, मैं इस बारे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से विचार विमर्श करूंगा।‘ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में आंदोलन को सद्भावपूर्ण रूप से समाप्त करने और डॉक्टरों को सुरक्षित कामकाजी माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की हड़ताल से देश भर में मरीजो को कठिनाई उठानी पड़ रही है और स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह अस्पतालों को सुरक्षा प्रदान करने के बारे में गृहमंत्रालय से बातचीत करेंगे और इस विषय में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और स्वास्थ्य मंत्रियों से भी चर्चा करेंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को टाला जा सके और डॉक्टरों को सुरक्षित कामकाजी माहौल प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्यों को सभी आवश्यक एहतियाती उपाय करने चाहिए ताकि माहौल शांतिपूर्ण रहे और डॉक्टर तथा चिकित्सा संस्थान हिंसा और हमले के भय के बिना अपना कर्तव्य निभा सकें। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य डॉक्टरों और मरीजों के लिए सुरक्षित तथा सद्भाव पूर्ण माहौल सुनिश्चित करेंगे।
सभी डॉक्टरों विशेषकर पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों से अपील करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि डॉक्टरों को साधारण और सांकेतिक तरीके से विरोध करना चाहिए। एक चिकित्सा पेशेवर के रूप में उनका कर्तव्य मरीजों के अधिकारों की रक्षा करना है। हड़ताल विरोध का बेहतर तरीका नहीं है। मरीजों को तत्काल और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने मरीजों तथा उनके परिवार के सदस्यों से भी आग्रह किया कि वे डॉक्टरों को काम करने और पेशेवर लक्ष्यों की प्राप्ति में समर्थन दें और हिंसा का सहारा न लें। उन्होंने कहा कि डॉक्टर समाज के अभिन्न अंग हैं और अक्सर तनावपूर्ण तथा कठिन स्थितियों में कार्य करते हैं। उन्होंने मरीजों और उनकी देखभाल करने वालों से संयम बरतने को कहा।
डॉ. हर्षवर्धन ने राज्य सरकारों से अपील की कि हिंसा की घटनाओं की जांच त्वरित रूप से की जानी चाहिए ताकि समयबद्ध रूप में अपराधियों पर मुकदमा चलाया जा सके।