अहमदाबाद, जन सामना ब्यूरो। अदाणी समूह ने भारत के लिए विश्वस्तरीय एथलीट्स की खोज कर, उन्हें तैयार करने की दीर्घकालिक पहल की घोषणा की है। गर्व है, रियो ओलंपिक 2016 के लिए बनाए गए समूह के पायलट प्राजेक्ट के आधार पर दिया गया नाम, देशभर मे चलाया जानेवाला कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य खेल जगत से जुड़े लोग और हितधारक तक पहुंचना और उन्हें सक्षम करना है।
15 मई से शुरु हुए, गर्व है के लिए अनेक खेलों से जुड़े एथलीट्स, कोच, खेल अकादमी इत्यादी के द्वारा आवेदन मिलना शुरु हो गया है। इस बड़ी कोशिश के ज़िरए देश के 29 राज्य के 100 शहरों में 5000 इच्छुको में से 15 से अधिक संभावित एथलीट्स का चयन किया जाना है जिनमें बड़ी उपलिब्ध हासिल करने का जुनून है। अभी तक, इस पहल के तहत 3000 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हो चुके हैं।
प्रणव अदाणी, डायरेक्टर, अदाणी एंटरप्राइजेस लिमिटेड ने कहा,“भारत खेल की भावना में एक अभूतपूर्व बढ़ोतरी का गवाह बनता जा रहा है। जहां एक ओर सरकार ने संभावित खिलाड़ियों के लिए कई नए अवसर दिए है, एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट होने के चलते हमें लगता है। आगे आकर बदलते माहौल मे सहारा देना ये हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य हैं। गर्व है के माध्यम से हम उभरते खिलाड़ियों के साथ खड़े रहना चाहते हैं, उनकी यात्रा का एक हिस्सा बनना और उनकी उपलिब्धयों का जश्न मनाना चाहते है।“
गर्व है 14 साल से ज्यादा की उम्र के उन खिलाड़ियों के लिए बड़ा अवसर दे रहा है जो व्यक्तिगत खेलों में अपना करियर बनाना चाहते हैं। हालांकि इसके लिए इच्छुक खिलाड़ियों को कड़ी पर्किया से गुजरना होगा जिसमें ग्रेडिंग सिस्टम भी शामिल है जो पुरानी उपलिब्धयों और एंग्लियन मेडल हंट के गुणात्मक और मात्रात्मक प्रतिक्रिया पर आधारित होगा। एंग्लियन मेडल हंट एक स्पोट्र्स मॅनेजमेंट कंपनी है जिसे खेल प्रतिभाओं को ढूंढ़ने हेतु ज़़मीनी स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने में महारत हासिल हैं। एंग्लिना मेडल हंट का मकसद खेल के अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर भारत के लिए कीर्ति हासिल करना हैं।
चुने गए खिलाड़ियों को प्रर्शिक्षण और अपने सपने पूरे करने के लिए महत्वपूर्ण राशि दी जाएगी। इस दीघर्कालिक इनक्यूबेशन प्र्रोग्राम का उद्देश्य टोक्यो ओलंपिक 2020/2022 एशियाई और कॉमनवेल्थ खेलों के लिए एथलीट्स के दो सेट और भविष्य के लिए जूनियर एथलीट्स तैयार करना है।
जिन खेलो को मदद करने का फैसला किया गया है उस सूची में तीरंदाजी, एथलेटिक्स, मुक्केबाजी, निशानेबाजी और कुश्ती जैसे खेल शामिल है।
2016 के गर्व है पायलट प्रोजेक्ट के लाभार्थियों में अंकिता रैना (टेनिस), पिंकी जांगड़ा (मुक्केबाजी), संजीवनी जाधव (एथलेटिक्स), मलयका गोयल (निशानेबाजी), मनदीप जांगड़ा (मुक्केबाजी), इंदरजीत सिह (एथलेटिक्स), खुशबीर कौर (एथलेटिक्स), शिवा थापा (मुक्केबाजी) जैसे आदर्श खिलाड़ी शामिल है।
गर्व है के बारे में अपने अनुभव बांटते हुए अंकिता रैना ने कहा, “किसी भी एथलीट के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पर्धा में शामिल होने का मौका मिलना एक सपना होता है। कई लोग जिनमें जबरदस्त क्षमता होती है वो केवल पैसों की कमी के चलते अपना सपना साकार नहीं कर पाते और इसिलए मेडल जीतने का मौका चूक जाते है। मैं एक साधारण पृष्ठभूमि से आती हूं, मेरे लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेनिस खेलना और जरुरी संख्या में टूर्नामेंट में मुकाबला करना बहुत मुश्किल था। 16 साल की उम्र मे राष्ट्रीय महिला चैंपियन बनने के बावजूद जूनियर आयटीएफ सर्किट में खेलने के लिए मै ज्यादा यात्रा नहीं कर पा रही थी लेकिन किसी तरह मुझे जो भी थोडे बहुत अवसर मिले मैं अपनी रैंकिंग टॉप 200 में बनाने में कामयाब हो गई। जूनियर इंटरनेशनल सर्किट के अनुभव से मैं वंचित रही लेकिन मेरे किरयर में अन्य दो चीजें हुई जिसने मुझे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद की। मेरी टेनिस की यात्रा में सही समय पर मुझे सहारा देने के लिए मै एसएजी और अदाणी ग्रुप को धन्यवाद देती हू। मैं उम्मीद करती हूं कि मेरा ओलंपिक 2020 का सपना पूरा करने के लिए वो इसी तरह अपना समर्थन बढ़ाते हुए जारी रखेंगे।”
पिकी जांगड़ा, जिन्होंने मुक्केबाजी में भारत के लिए कई उपलिब्धयां हासिल की है, ने कहा, “मुझे खुशी है कि गर्व है इस पहल का मैं हिस्सा रही हूं और उन्होंने बहुत अच्छी तरह मेरी देखभाल की है। मेरे प्रशिक्षण के लिए मुझे अदाणी समूह से जो समथर्न मिला उससे मुझे बहुत मदद हुई। इससे मुझे ऑफ सीज़़न र्टेªनिंग कॅम्प, फीजिओथेरपी, पोषण, एक्विपमेंट और इस तरह के अन्य खचों के लिए पैसे उपलब्ध हो सके। मुझे अपनी ऊर्जा इन क्षेत्रों में क्रेंद्रित नहीं करनी पड़ी और मैं अपना पूरा ध्यान अपनी र्टेªनिंग और तकनीक सुधारने में लगा सकी।”
उल्लेखनीय है कि इससे पहले अदाणी ग्रुप ने कबड्डी जैसे देशी खेलों को प्रोत्साहन दिया है और अदाणी अहमदाबाद मेराथॉन, भारतीय थल सेना को समर्पित दौड़ जैसी एतिहासिक घटना के लिए के लिए अपना सहारा दिया है।