कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। मानव की आदिकाल से ही रोटी, कपड़ा और मकान इन तीन मूलभूत सुविधाओं की जरूरत रही है। जो समय के साथ व्यक्ति अपनी व्यवस्था करता रहा है। आज हर गरीब व्यक्ति का एक सपना होता है कि उसका अपना सभी सुविधाओं से युक्त पक्का घर हो। क्योंकि आज पक्का आवास बनाने की जो लागत आती है वह गरीब व्यक्ति अपनी कमाई से पूरी नहीं कर सकता। देश के गरीबों के आवास का सपना पूरा करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बीड़ा उठाया और देश के आवासहीन, निराश्रित, झोपड़ी में रहने वालों एवं कच्चे व जर्जर आवास वाले गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वालों को शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली, पेयजल आदि मूलभूत सुविधाओं से युक्त आवास देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का 20-11-2016 को पूरे देश में लागू किया।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अन्तर्गत हो रहे आवास निर्माण में पिछले 4 वर्षों के दौरान 5 गुना वृद्धि हुई है। यह वृद्धि तब है जब 20 नवम्बर, 2016 को योजना के लांच होने के बाद से लाभार्थी का निबंधन, भूटैगिंग, खाते की जांच आदि प्रक्रियाओं के पूरा होने में कई महीने लग जाते हैं। पूरे देश में 2017-18 व 2018-19 के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आवासों का निर्माण हुआ है। इसके लिए ग्रामीण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश को प्रथम स्थान देकर पुरस्कृत भी किया है। छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
इस योजना के तहत प्रदेश में लाभार्थी के खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से अच्छी गुणवत्ता वाले आवासों का तेजी से निर्माण हो रहा है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिए राज्य स्तर पर एक ही नोडल खाते का संचालन किया जाता है। पीएमएवाई-जी के तहत लाभार्थियों को लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के तहत भुगतान किया जाता है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से आवास निर्माण में समय और लागत में कमी आयी है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है। लाभार्थियों को धन आवंटन प्रक्रिया की निगरानी में आसानी के साथ ही आवास निर्माण की बेहतर गुणवत्ता भी दिख रही है। वर्ष 2016-17 से लेकर 2018-19 तक प्रदेश को कुल 15,717.78 करोड़ की धनराशि प्राप्त हुई, जिसमें से अबतक 15,199.39 करोड़ की धनराशि लाभार्थियों के खाते में पी0एफ0एम0एस0 के माध्यम से अंतरित की गयी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना में एक प्रदर्शन सूची विकसित की गयी है। इस सूची से राज्य, जिला, प्रखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यक्रम की प्रगति की निगरानी की जाती है। इस सूची से उन क्षेत्रों का भी पता चलता है जिसमें सुधार की जरूरत है। इस सूची को प्रतिदिन अपडेट किया जाता है। आवास के गुणवत्तापूर्ण निर्माण के लिए प्रशिक्षित राजमिस्त्री की आवश्यकता होती है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इस कार्यक्रम में 12329 प्रशिक्षुओं का नामांकन हुआ है। इनमें से 10,049 प्रशिक्षुओं का प्रशिक्षण पूरा हो गया है तथा उन्हें प्रमाणपत्र भी दिया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले आवासों का निर्माण संभव होगा। प्रदेश में कुशल राजमिस्त्रियों की उपलब्धता बढ़ेगी तथा प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों को आजीविका के बेहतर अवसर मिलेंगे।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले प्रत्येक पक्के घर में शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति आदि सुविधाओं से युक्त आवास दिया जा रहा है। इन सुविधाओं के मिल जाने से ग्रामीण जीवन सरल हो रहा है और ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है। अपना पक्का आवास पाकर गरीबों के चेहरे खिल गये हैं।
यूएनडीपी-आईआईटी दिल्ली ने आवासों के विभिन्न डिजाइन तैयार किए हैं। राज्यों के स्थानीय जलवायु तथा स्थानीय निर्माण सामग्री को दृष्टिगत रखते हुए आवासों के 168 डिजाइन तैयार किए गए हैं। लाभार्थी इनमें से किसी भी डिजाइन का चयन कर अपना आवास बना सकता है। आवास डिजाइनों को केन्द्रीय आवास शोध संस्थान, रुडकी ने भी मंजूरी दी है। इन आवास डिजाइनों में लागत कम आती है तथा ये आपदा प्रतिरोधी भी हैं। इस योजना से गरीब लोगों को रहने के लिए सुरक्षित आवास प्राप्त हो रहे हैं जहां वे सम्मान के साथ जीवन यापन कर सकते हैं।
भारत की स्वतंत्रता के 75वीं वर्षगांठ तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि सबके लिए आवास हो। प्रधानमंत्री जी के स्वप्नों को पूरा करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने देश के समस्त क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत तीन वर्षों ( 2016-17 से 2018-19 तक) में एक करोड़ ग्रामीण आवास निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री ने 20 नवम्बर, 2016 को आगरा में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण का शुभारंभ किया था। वर्ष 2022 तक ‘सबके लिए आवास’ लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएमएवाई-जी के अंतर्गत देश में 31 मार्च, 2019 तक एक करोड़ तथा 2022 तक 2.95 करोड़ पक्के आवासों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित करते हुए गरीब आवासहीनों को छत मुहैया कराना शुरू हो गया है।
वर्ष 2011-12 की सामाजिक आर्थिक जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश के गांवों में 2013 की स्थायी पात्रता सूची में 23.68 लाख परिवार आवासहीन थे या कच्चे मकानों में रह रहे थे। इनमे से 7.23 लाख लाभार्थी सत्यापन में अपात्र पाये जाने के कारण रिमाण्ड माड्यूल के माध्यम से हटा दिए गये। इसके पश्चात् 16.45 लाख लाभार्थी स्थायी पात्रता सूची मे अवशेष है, जिनमें से गत तीन वर्षो में 12.82 लाख आवास आवंटित किए जा चुके है। 3.63 लाख लाभार्थी 01 अप्रैल, 2019 को स्थायी पात्रता सूची में अवशेष थे, जिनमें से 1.54 लाख का लक्ष्य वर्ष 2019-20 में प्रदेश को प्राप्त हो चुका है। वर्ष 2016 से लागू प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में उत्तर प्रदेश में स्थायी पात्रता सूची में शामिल सभी परिवारों को आवास बनाकर दिए जा रहे हैं। अबतक उत्तर प्रदेश में 12.82 लाख लाभार्थियों को आवास आवंटित किये गये है, जिसके सापेक्ष 12.43 लाख आवास बनाकर लाभार्थी पक्की छत पाकर गर्मी, सर्दी और बरसात से अपना बचाव करते हुए सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
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