हाथरस, नीरज चक्रपाणि। संसद में जनप्रतिनिधि द्वारा महिला पीठासीन के संबंध में की गई अशोभनीय भाषा के इस्तेमाल पर कठोर कार्यवाही के लिये पत्र लिखा है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स के महासचिव प्रवीन वाष्र्णेय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर संसद में महिला पीठासीन अधिकारी के खिलाफ अशोभनीय भाषा इस्तेमाल करने पर कार्यवाही की मांग की है।
प्रवीन वाष्र्णेय ने पत्र में लिखा है कि संसद देश में कानून बनाने का कार्य करती है और जो संसद महिला सशक्तिकरण, सम्मान, सुरक्षा, महिला के मानव अधिकारों और न्याय की बात करती है उसी संसद में महिला पीठासीन के खिलाफ लोकसभा क्षेत्र रामपुर सांसद आजम खान द्वारा अशोभनीय भाषा, महिला गरिमा और सम्मान के विरुद्ध अति निंदनीय भावनाओं का इजहार किया जो कि संसदीय परंपरा, भारत के लोकतंत्र के विरुद्ध और महिलाओं के प्रति दूषित मानसिकता को दर्शाता है।
उन्होंने आगे लिखा है कि जो संसद देश में संविधान और कानून को बनाने, पालन कराने, देश को अनुशासन के तहत चलाने का कार्य करती हो उसी संसद में महिला पीठासीन के खिलाफ जो कि संसद के सर्वोच्च अध्यक्षीय पद पर आसीन होने पर उनके विरुद्ध उसी संसद के एक सदस्य ने अपनी दूषित मानसिकता का परिचय दिया वह माफी योग्य नहीं है।
प्रवीन वाष्र्णेय ने लिखा है कि जो सांसद अपने क्षेत्र के 15/ 20/ 25 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करते हों और अगर वह मंदिर के समान संसद में अपनी ऐसी मानसिकता का परिचय दें तो ऐसे सांसद को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। साथ ही साथ यह उन मतदाताओं का भी अपमान है जिन्होंने इनको अपने मतों के माध्यम से जिता कर भेजा है। संसद में सभी सदस्य कह तो रहे हैं कार्यवाही होनी चाहिए लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि वह इस पर अमल कर पाएंगे।
प्रवीन वाष्र्णेय ने राष्ट्रपति से मांग की है कि सांसद आजम खान के खिलाफ कठोर कार्यवाही करते हुए उनको अयोग्य ठहरा जाये और साथ ही साथ उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए और महिला गरिमा, सम्मान और महिला अधिकारों की रक्षा की जाये।