कानपुर, जन सामना ब्यूरो। ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने लखनऊ में हिन्दू नेता की हत्या से कोई सबक नहीं सीखा है। इसके अलावा पत्रकारों को पूरी सुरक्षा व सुनवाई करने का दावा भी खोखला और सिर्फ कागजी है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार सारांश कनौजिया के द्वारा किये पोस्ट के जवाब में एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों ने जो जवाब दिये, उसमें पत्रकार को धमकी व हिन्दू धर्म के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है।
अयोध्या का निर्णय आने के बाद सभी ओर शांति थी, लेकिन ऐसे में भी कुछ अराजक तत्व भी सक्रिय थे। वरिष्ठ पत्रकार सारांश कनौजिया को सोशल मीडिया पर प्राप्त कुछ संदेशों ने उन्हें चिंता में डाल दिया। मो0 असलम अयोध्या विवाद पर निर्णय आने के बाद लिखते हैं कि आज के दिन में तुमने छल कपट किया है, इसका बदला लिया जाएगा इंशाल्लाह। 9 नवम्बर को आई इस धमकी की शिकायत पत्रकार के द्वारा 10 नवम्बर को जनसुनवाई के माध्यम से की गई थी। थाना कल्याणपुर के अंतर्गत गुरुदेव पैलेस चौकी के उप निरीक्षक सत्य प्रकाश के बुलाने पर सारांश ने 14 नवम्बर को उनसे चौकी जाकर मुलाकात की और सभी साक्ष्य दिखाए। इस पर उनके द्वारा शिकायत को साइबर सेल भेजने की बात कही जाती है, किन्तु 16 नवम्बर को शिकायत थाना क्षेत्र से संबंधित न होने की बात कहकर इसे बंद कर दिया।
जब 18 नवम्बर को इस बात की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर करने का प्रयास किया गया, तो पहले उन्होंने जनसुनवाई क्रमांक 40016419047877 पर कोई शिकायत दर्ज होने की बात से ही इंकार कर दिया। पत्रकार सारांश ने उनसे शिकायत दर्ज करने का अनुरोध किया, तो कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव द्वारा कई बार जानकारी लेने के बाद अचानक फोन कट जाता है। दुबारा सीएम हेल्पलाइन पर काॅल करने के बाद जानकारी मिलती है कि कोई शिकायत वहां भी दर्ज नहीं हुई है।
प्रश्न यह उठता है कि यदि 10 नवम्बर से अब तक पत्रकार पर जानलेवा हमला होता है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? जब गुरुदेव पैलेस चौकी से फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है, तो सीएम हेल्पलाइन उस शिकायत को खोज पाने में असमर्थ क्यों है? यदि पत्रकारों की समस्याओं पर पुलिस और शासन में यह हाल है, तो आम जनमानस कि कितनी शिकायतों का वास्तविक समाधान होता होगा, यह आप स्वयं ही समझ सकते हैं।