Saturday, November 23, 2024
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क्यूँ देश को अपना नहीं समझते

क्यूँ अल्पसंख्यकों का एक वर्ग पूर्वाग्रह से ग्रसित है? क्यूँ इन लोगों को लगता है की भारत के हिन्दू हमारे दुश्मन है, क्यूँ इस देश में हर मुद्दे को हिन्दु मुस्लिम के रंग में रंग कर राजनीति चालू हो जाती है। जब की आज़ादी के बाद से 75 सालों से एक ही सरजमीं साझा करते हिन्दु मुस्लिम पडोसी बनकर रह रहे है। धर्मांधता जब तक ख़त्म नहीं होगी ये देश कभी उपर नहीं उठेगा। और ये अलगाव वाद फैलाने वाले और मुस्लिमों को हिन्दु के ख़िलाफ़ भड़काने और उकसाने वाले नवाब मलिक और असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोग जब तक देश में है तब तक ये खाई बढ़ती ही जाएगी। क्यूँ ये लोग भाईचारे का संदेश नहीं देते, क्यूँ एक ईमानदार सरकारी अफसर का साथ देने की बजाय देश के युवाओं को भटकाने वाले का सपोर्ट कर रहे है। क्यूँ भारत देश में रहने वाले कुछ मुसलमान जब क्रिकेट जैसे खेल में पाकिस्तान जीतता है तो खुश होते पटाखे जलाते है, क्या भारत उनका अपना देश नहीं? भारत के दुश्मन उनके दुश्मन नहीं जब हरा और केसरिया रंग तिरंगे की शान है तो क्यूँ न इस रंगों का मान रखते मिलजुल कर देश में शांति और भाईचारे की भावना से अमन को उजागर करें।
आर्यन खान और समीर वानखेड़े के केस से लेकर सोशल मीडिया पर हिन्दु मुस्लिम करते हर मुद्दे को धार्मिक रुप देते एक दूसरे पर किचड़ उछालने की बजाय सारे मिलकर सच का साथ देंगे तभी इस देश से भ्रष्टाचार और करप्सन ख़त्म होगा। हिन्दुओं को भी समझना होगा कि जब मेजोरिटी और मायनारिटी को एक ही धरती साझा करते साथ ही रहना हो तो एक दूसरे के प्रति कड़वाहट पालने का क्या मतलब।
क्यूँ इस देश का मुसलमान देश को अपना नहीं समझता, जब रहना है यहीं पर तो यहाँ के बनकर रहिए ना। और अगर आप इस्लाम को मानते हो तो सच का साथ दीजिए, सही और इमानदार इंसान का साथ दीजिए नांकि एक गुनहगार को बचाने के चक्कर में एक ईमानदार ऑफिसर को नीचा दिखाने वाले के पक्ष में रहिए।
यूं तो मुस्लिम धर्मगुरु इस बात से बार-बार इनकार करते हैं, लेकिन हक़ीक़त ये है कि भारत के मुसलमान भी, हिंदुओं की तरह ज़ात-पात जैसे सामाजिक बंटवारे के शिकार है। उच्च जाति को अशराफ़, मध्यम वर्ग को अजलाफ़ और समाज के सबसे निचले पायदान पर रहने वाले मुसलमानों को अरज़ाल कहा जाता है।
हिंदुस्तान में मुसलमान भौगोलिक दूरियों के हिसाब से भी बंटे हुए है और पूरे देश में इनकी आबादी बिखरी हुई है। अपनी कम्यूनिटी को एक बनाईये और हिन्दु मुस्लिम वाली सोच से उपर उठकर देश में एकता की भावना जगाईये।
अपनी पैदाइश के वक़्त ही ख़ुद को इस्लामी घोषित कर चुके पाकिस्तान के मुसलमानों से ठीक उलट, एक आम भारतीय मुसलमान बड़े गर्व के साथ एक लोकतांत्रिक देश में रहता है। भारत में सभी नागरिक संवैधानिक रूप से बराबर है, फिर क्यूँ अपने ही देश में असुरक्षा की भावना से ग्रसित है।
मुसलमानों को ये समझने की जरूरत है की पार्टियां और सरकारें मुसलमानों के वोट उन्हें बराबरी, इंसाफ़ और विकास देने के नाम पर मांगती है, मज़हबी पहचान की हिफाज़त पर वोट मांगती है, इसी तरह मुसलमानों को हमेशा उनके मज़हब के नाम पर भड़काया जाता है, सब अपनी रोटियां शेक रहे है कोई आपके शुभचिंतक नहीं इसलिए अपनी सोच और समझ से जो सही है उसके पक्ष में रहकर देश की तरक्की में अपना योगदान दीजिए।
जिस सर ज़मी ने आपको सहारा दिया, जिस देश में आपने जन्म लिया उसके प्रति अपना कर्तव्य अदा करें। भड़काने वाले और उकसाने वाले चाहे आपके अपने ही क्यूँ न हो उनको भी मुँह तोड़ जवाब दो और अपनी ही नज़र में उपर उठो।
“भावना ठाकर ‘भावु’ (बेंगुलूरु, कर्नाटक)