≈गर्मी के मौसम में प्यास से तड़प रहे पशु-पक्षी और रेस्टोरेंट में बहाया जा रहा सैकड़ों लीटर पानी
≈बड़े रेस्टोरेंट से वसूला जाना चाहिए पानी का भी शुल्क, जल संरक्षण को तभी मिलेगी कामयाबी
ऊंचाहार/रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता। “जल ही जीवन है” यह केवल एक मिशन बनकर ही रह गया है लोगों की जुबां पर तो यह बात हर ऐतिहासिक मौके पर दोहराई जाती है लेकिन हकीकत में लोग जल को जीवन न समझकर खिलवाड़ कर रहे हैं। शहरों में तो आज भी लोग शुद्ध पानी पीने के लिए घर में मशीनें लगा रखी हैं और जिनके पास यह सुविधा उपलब्ध नहीं है वह लोग शुद्ध पानी की बोतल को खरीद कर पी रहें हैं। ऐसे शहरों में लोग पानी की एक बूंद को भी बर्बाद करने की सोचते भी नहीं यहां तक कि वहां बच्चे भी जल के महत्व को समझते हैं। लेकिन गांवों में तालाब नहर,नलकूप, कुंआ आदि होने की वजह से आसानी से हर जगह पानी उपलब्ध हो जाता है इसलिए यहां लोग पानी को बेफिजूल खर्च करते रहते हैं।
⇒रेस्टोरेंट में हो रही पानी बर्बादी
सरकार और प्रशासन जल संरक्षण के लिए एक मिशन के तौर पर काम कर रहे हैं। छोटी नदियां और गंगा जैसी बड़ी नदियों आदि के पानी को बचाए रखना और शुद्ध, स्वच्छ बनाए रखने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन जनपद रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र में जल संरक्षण के सारे दावे खोखले नजर आ रहे हैं। बीते कई दिनों से देखा गया है कि क्षेत्र में खुले इन रेस्टोरेंट में सड़कों पर बेफिजूल पानी की बर्बादी की जा रही है और आज फिर देखा गया कि ऊंचाहार क्षेत्र के सवैया तिराहा पर बने बटी रेस्टोरेंट के बाहर चौकीदार पाइप के माध्यम से पानी का छिड़काव कर रहा है। क्षेत्र में खुला यह रेस्टोरेंट्स अंदर से सुंदर और किए गए सजावट से चमक रहे हैं लेकिन बाहर पार्किंग की जगह पर सिर्फ मिट्टी पड़ी हुई है और गर्मी का मौसम होने की वजह से दिन भर लू चलती है, जिसके कारण यह धूल रेस्टोरेंट के अंदर की शोभा को बिगाड़ती है। इस धूल को उड़ने से रोकने के लिए यह रेस्टोरेंट संचालक सुबह शाम पार्किंग में खड़े चौकीदार से रेस्टोरेंट के बाहर पाइप के माध्यम से पूरे में पानी का छिड़काव करवाते हैं। रेस्टोरेंट के बाहर काफी बड़ा (लगभग 1000स्क्वा. फिट) एरिया होने की वजह से कम से कम हजारों लीटर पानी मिट्टी में व्यर्थ ही खपा दिया जाता है जबकि इन रेस्टोरेंट संचालकों को इसका कोई पुख्ता इंतजाम कर लेना चाहिए। जिससे की धूल ना उड़े और उन्हें हजारों लीटर पानी को बर्बाद न करना पड़े। बताते चलें कि दिन भर अधिकारियों की गाड़ी यहां तक कि पुलिस प्रशासन की गाड़ियां वहीं रेस्टोरेंट पर खड़ी रहती है, लेकिन जल संरक्षण का यह पाठ भी पढ़ाना वह उचित नहीं समझते हैं। क्षेत्र में खुले इन रेस्टोरेंट पर आए दिन खबरों के माध्यम से कमियां उजागर होती हैं लेकिन प्रशासन संज्ञान नहीं लेता है बल्कि संचालकों को आश्वासन देता है कि हम हैं तो क्या गम है।
⇒जल निगम को करना चाहिए निरीक्षण
क्षेत्र में रेस्टोरेंट्स इत्यादि खुल जाने की वजह से पानी की खपत अधिक हो रही है ऊपर से बेफिजूल पानी की बर्बादी चिंता का विषय है जल निगम के अधिकारियों को इन होटलों मैं निरीक्षण करते रहना चाहिए और इसके साथ ही पानी की किल्लत पर सुधार करने के लिए अब जरूरी है कि पानी की खपत कम की जाए। यदि इन रेस्टोरेंट में पानी की बर्बादी अधिक दिखे तो इनसे जिस प्रकार से बिजली विभाग बिजली का शुल्क लेता है उसी प्रकार से इनसे पानी का शुल्क भी वसूला जाना चाहिए। पानी की बर्बादी कर रहे इन रेस्टोरेंट संचालकों की वजह से एक दिन ऐसा आएगा कि आम जनमानस को पानी खरीद कर ही पीना पड़ेगा और जलस्तर भी घटेगा।
हर वो व्यक्ति जो जल संरक्षण के महत्व को समझता है उसे चाहिए कि वह जल संरक्षण के लिए दूसरों को भी प्रोत्साहित करे।