संत कबीर जी का एक दोहा है,
“पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोई, ढ़ाई आखर प्रेम का पढ़ सो पंडित होइ”
इस छोटे से दोहे को ध्यान से पढ़े तो आज के ज़माने की सच्चाई नज़र आएगी। किताबें पढ़कर कोई पंडित नहीं बनता, प्रेम शब्द में छुपे ढ़ाई अक्षर जिसने महसूस कर लिए वह महान है। आजकल के बच्चें वही कर रहे है, किताबों से दूर होते जा रहे है और प्रेम प्यार के चक्कर में पड़ कर ज़िंदगी खराब कर लेते है। पर आज के दौर में बच्चों को किताबों से प्रेम करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। बेशक प्रेम करो पर पढ़ाई से, तभी दुन्यवी हर चीज़ को प्रेम से देख पाओगे अपनी सोच और समझ को विकसित कर पाओगे।
आजकल की पीढ़ी पढ़ाई से परे होती जा रही है, एक उम्र पंद्रह से इक्कीस तक की बच्चों को विचलित करने वाली होती है। विपरित सेक्स के प्रति आकर्षण को प्यार, इश्क, मोहब्बत समझकर अपने लक्ष्य से भटक जाते है, और गलत दिशा में मूड़ जाते है। दरअसल आज दोनों चीज़ की सख्त जरूरत है पढ़ाई और प्रेम पढ़ाई से प्रेम करेंगे तभी अपनी सोच को परिपक्व बना पाएंगे।
आज हम देख रहे है देश में कुछ लोगों द्वारा ऐसी गतिविधियां चल रही है जो युवाओं का दुरुपयोग करके अपना उल्लू सीधा करने में लगे है। एक वर्ग के कुछ अनपढ़ लड़के कुछ पैसे और दारु की बोतल के बदले कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते है। नेताओं के भड़काऊँ भाषणों से प्रभावित होते अपने लक्ष्य से भटक रहे ऐसे अनपढ़ लड़के अगर पढ़े लिखे समझदार होते तो यह जो आए दिन देश में दंगे फ़साद होते है वो नहीं होते।
छोटा सा जिल्ला चलाने के लिए IAS बनना पड़ता है, और देश को चलाने के लिए किसी भी एरे गैरे नथ्थू खैरे अनपढ़ के हाथों में बागडोर थमा देते है, ऐसे में देश का विकास कहाँ से होगा।
देश की तरक्की चाहते है तो हर बच्चे को शिक्षित करना होगा और जैसे फ्री बिजली-पानी देने के जो दावे कर रहे है उनको फ्री शिक्षा के बारे में सोचना चाहिए। देश के एक-एक बच्चें को फ्री की पढ़ाई देने से क्यूँ कतराती है सरकार? क्यूँकि पढ़ाई सवाल पैदा करती है। पढ़े लिखें इनकी बातों में नहीं आएंगे उल्टा गलत कामों पर सवाल उठाएंगे इसलिए एक वर्ग को अनपढ़ रखकर उनका इस्तेमाल करते अपनी रोटियां सेकी जा सकें। जो चीज़ सबसे जरूरी है हमारे देश में वही सबसे महंगी है। आज प्राइवेट स्कूलों की फ़ीस आसमान छू रही है, यूनिफॉर्म, ट्यूशन और किताबें काॅपियों के खर्चे अलग से। ऐसे में गरीब और पिछड़ी जाति के बच्चे कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर मजदूरी में लग जाते है, या किसी ओर दिशा में मूड़ जाते है। कई बार होनहार बच्चों की काबिलियत सुविधाओं के अभाव के आगे दम तोड़ देती है। पैसों की कमी की वजह से कई दमदार दिमाग अशिक्षित होते पड़े रहते है।
बच्चों को पढ़ाई से प्यार करना सीखाओ, आजकल के ज़माने में पढ़कर ही पंडित बनना होगा तभी प्रेम समझ में आएगा। सिर्फ़ प्रेम करने का हुनर डूबो देगा। जरूरत मंदों को फ्री पढ़ाई की सुविधा मिलेगी तो देश उपर उठेगा। देश का हर नागरिक पढ़ा लिखा होना चाहिए। हर बच्चें को शिक्षा मिलनी चाहिए। समाज शिक्षित होगा तभी देश विकसित होगा।
भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगलोर