Tuesday, November 26, 2024
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बीबीसी के दिल्ली और मुम्बई दफ्तरों पर इनकम टैक्स विभाग का छापा

राजीव रंजन नाग: नई दिल्ली। गुजरात दंगों पर बीबीसी की डाक्यमेंट्री को लेकर उठे विवाद के बीच दिल्ली स्थित बीबीसी के मुख्यालय और मुंबई स्थित उसके ऑफिस को सील कर दिया गया है। इससे पहले आयकर विभाग की टीम दिल्ली और मुंबई स्थित ऑफिस में जांच करने के लिए पहुंची।
मिली जानकारी के अनुसार सभी कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिए गए। अकाउंट ऑफिस में रखे कंप्यूटर का डेटा खंगाला गया। किसी भी कर्मी को बाहर जाने की इजाजत नहीं दी गई। आईटी के अधिकारी बीबीसी के ऑफिस में कागजों और कंप्यूटर के डेटा को खंगाल रहे हैं। ये रेड सुबह 11ः30 बजे से चल रही है। कांग्रेस ने इसे अघोषित अपातकाल बताया है।
इस बीच बीबीसी ने बयान जारी कर कहा है कि आयकर अधिकारी इस समय नई दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालयों में हैं और हम पूरा सहयोग कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि यह स्थिति जल्द से जल्द सुलझ जाएगी। वहीं बीबीसी दफ्तर में आयकर विभाग की ओर से की जा रही छापेमारी को लेकर बीजेपी ने कहा कि कानून के तहत यह कार्रवाई की जा रही है। जांच एजेंसियों को सर्वे करने का अधिकार है। विपक्ष के लोग बेवजह की बयानबाजी कर रहे हैं।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बीबीसी की कार्रवाई पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस ने इस रेड पर हमला करते हुए कहा था कि पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया। अब बीबीसी पर आई टी का छापा पड़ गया है। यह अघोषित आपातकाल है।दूसरी ओर, बीबीसी की तरफ से अपने स्टाफ को आधिकारिक रूप से मैसेज भेज कर कहा गया कि जो स्टॉफ घर पर हैं, वो घर पर ही रहें। ऑफिस ना आएं। जो स्टाफ ऑफिस में मौजूद हैं वो किसी तरह की चिंता न करें। हम सिचुएशन को हैंडल कर रहे हैं। आप लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।
राजधानी के कस्तुरबा गांधी मार्ग स्थित बीबीसी के ऑफिस में 60 से 70 लोगों की टीम छापेमारी करने पहुंची। आयकर विभाग की टीम सुबह 11.30 बजे यहां पहुंची। मुंबई में भी बीबीसी के दो दफ्तर हैं। इन ऑफिस में डेटा को खंगाला गया और आयकर विभाग जांच कर रहा है। एक आईटी अधिकारी के अनुसार पिछले कुछ महीनों से आयकर विभाग को जानकारी मिल रही थी कि बीबीसी में वित्तीय अनियमितताएं बढ़ती जा रही हैं। इसी को लेकर आईटी विभाग जांच करने में लगी है। अकाउंट से जुड़ी जानकारी को विभाग खंगाल रहा है। इनकम टैक्स की टीम ने बीबीसी के कई कंप्यूटर्स को अपने कब्जे में ले लिया है।
इस बीच, आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि बीबीसी पर ट्रांसफर प्राइसिंग रूल और मुनाफे को डायवर्ट करने का मामला है। बीबीसी पर महज सर्वे किया गया, कोई सर्च या रेड नहीं की गई। इस तरह का सर्वे आईटी डिपार्टमेंट की सामान्य प्रक्रिया है। आज के सर्वे से पहले बीबीसी को कई नोटिस दिया गया था लेकिन उसने उसका पालन नहीं किया। इस मामले में ट्रांसफर प्राइसिंग रूल्स को पूरा नहीं किया गया है। उसका उल्लंघन किया गया है। कंपनी के प्रॉफिट का डायवर्ट किया गया है।।
उधर, कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए कहा कि पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया। अब बीबीसी पर इनकम टैक्स का छापा पड़ गया है। अघोषित आपातकाल। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी बीबीसी ऑफिस में आईटी रेड पर केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि यहां हम अडानी मसले पर जेपीसी की मांग कर रहे हैं और सरकार बीबीसी के पीछे पड़ी हुई है। विनाश काले विपरीत बुद्धि।
सूत्रों ने बताया है कि ऑफिस के अंदर मौजूद सभी कर्मचारियों को फोन का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा गया है। सभी कर्मचारियों को एक ही कमरे में रखा गया है।
दस्तावेज जब्त कर लिए गए और पत्रकारों के फोन और लैपटॉप छीन लिए गए। तलाशी शुरू होने के छह घंटे बाद कर्मचारियों को उनके लैपटॉप स्कैन करने के बाद ही जाने दिया गया। विजुअल्स में कुछ कर्मचारियों को अधिकारियों के साथ बहस करते हुए दिखाया गया है।
बीबीसी के एक पत्रकार ने बताया कि कर्मचारियों को लॉग इन करने के लिए कहने के बाद अधिकारियों ने डेस्कटॉप पर जानकारी खोजने के लिए कीवर्ड ‘टैक्स’ का इस्तेमाल किया।
बीबीसी ने स्टाफ़ को भेजे मेमो में उन लोगों से दूर रहने को कहा है जो ऑफ़िस में नहीं हैं। इसने अपने कर्मचारियों से खोजों पर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने से बचने के लिए भी कहा है। कर अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि यह एक सर्वेक्षण था, जांच नहीं। फोन वापस कर दिए जाएंगे।
आयकर सूत्रों ने कहा, ‘हमें कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी और इसके लिए हमारी टीम बीबीसी कार्यालय का दौरा कर रही है और हम एक सर्वेक्षण कर रहे हैं। हमारे अधिकारी खाता बही की जांच करने गए हैं, यह तलाशी नहीं है।’
मुंबई के बीबीसी दफ्तर में किसी से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। सूत्रों से पता चला है कि आयकर अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का बैकअप लेंगे और इसे वापस सौंप देंगे।
बीबीसी लंदन का मीडिया आउटलेट है जो भारत में काफी सालों से पत्रकारिता कर रहा है। हाल ही में बीबीसी अपनी एक विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर काफी चर्चा में रहा था। पिछले दिनों बीबीसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात दंगों (2002) को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज की थी, जिस पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज करवाईथी।
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर पूरे देश में बवाल मच गया था। केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को एक प्रौपेगैंडा पीस बताते हुए जारी बयान में कहा था कि ये डॉक्यूमेंट्री एक तरफा के नजरिए को दिखाता है जिसके चलते स्क्रीनिंग पर रोक लगाई गई। हालांकि, सरकार के रोक रगाने के बावजूद, कई विश्वविद्यालयों-कॉलेजों में इसकी स्क्रीनिंग की गई। दिल्ली के जेएनयू में इसको लेकर काफी बवाल हुआ था।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि छापे ‘सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले प्रेस संगठनों को डराने या परेशान करने के लिए सरकारी एजेंसियों का उपयोग करने की एक व्यापक प्रवृत्ति’ का हिस्सा थे। दो भाग वाली श्रृंखला, ‘इंडियाः द मोदी क्वेश्चन’ को पिछले महीने सार्वजनिक मंचों से हटा दिया गया था।
डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के लिए केंद्र ने आईटी नियमों के तहत आपातकालीन शक्तियों का उपयोग किया। सरकार ने वृत्तचित्र को ‘शत्रुतापूर्ण प्रचार और भारत विरोधी कचरा’ कहा। विपक्षी नेताओं और छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री की सार्वजनिक स्क्रीनिंग आयोजित किये।, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने एक ट्वीट में मजाक उड़ायाः ‘बीबीसी के दिल्ली कार्यालय में आयकर छापे की रिपोर्ट। वाह, वास्तव में ? कितना अप्रत्याशित।’
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हिंदी में लिखा, ‘जब कोई सरकार निडरता के बजाय भय और दमन के लिए खड़ी हो, तो उसे यह महसूस करना चाहिए कि अंत निकट है।’ सत्ताधारी भाजपा ने बीबीसी को ‘विषैले, सतही और एजेंडे से प्रेरित रिपोर्टिंग’ कहा और कहा कि आयकर विभाग को अपना काम करने दिया जाना चाहिए। ‘कोई भी व्यक्ति या एजेंसी कानून से ऊपर नहीं हो सकती। यदि वे भारत में काम कर रहे हैं, तो उन्हें भारतीय कानून का पालन करने की आवश्यकता है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा। उन्होंने बीबीसी को ‘भ्रष्ट, बकवास निगम (भ्रष्ट, निरर्थक निगम)’ के रूप में भी मज़ाक उड़ाया। पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत में बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को खारिज कर दिया था और याचिका को पूरी तरह से गलत बताया।