Tuesday, November 26, 2024
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पंद्रह साल बाद दिल्ली नगर निगम पर ‘आप’ का झंडा

राजीव रंजन नाग: नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय दिल्ली की नई मेयर चुनी गई। मेयर पद के लिए हुए चुनाव में शैली ओबेरॉय को 150 और भाजपा उम्मीतदवार रेखा गुप्ता् को 116 वोट मिले। दिल्ली का महापौर चुनने के तीन असफल प्रयासों के बाद हुई नगर निगम सदन की बैठक में बुधवार को इस पद पर चुनाव के लिए मतदान हुआ। आप ने चार दिसंबर को हुए एमसीडी चुनाव में 134 वार्डों में जीत हासिल की थी और नगर निकाय पर भाजपा के 15 साल पुराने शासन को समाप्त कर दिया था। भाजपा 104 वार्ड में जीत के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस ने 250 सदस्यीय निगम सदन में नौ सीट जीती थीं।
एमसीडी के विलय और पिछले साल निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के बाद हुए पहले नगरपालिका चुनाव में आप ने 250 वार्डों में से 134 पर जीत हासिल की। 15 वर्षों तक नगर निकाय की सत्ता पर रहने के बाद भाजपा दूसरे स्थान पर रही। मेयर चुनाव में जीत दर्ज होने के बाद शैली ओबेरॉय ने सीएम केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पार्षदों और सुप्रीम कोर्ट के साथ साथ चीफ जस्टिस का शुक्रिया किया है। उन्होंने कहा, ‘कल से ही हम काम शुरू कर देंगे। कूड़े के पर काम शुरू होंगे।’भाजपा के पार्षद, सांसदों और एक मनोनीत विधायक को मिलाकर कुल संख्या 113 थी, जबकि उन्हें 116 वोट मिले हैं। कांग्रेस ने वोटिंग का बहिष्कार किया था, लेकिन कांग्रेस की 9 में से एक पार्षद शीतल ने वोटिंग में हिस्सा लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को महापौर, उप महापौर और नगर निकाय की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की तारीख तय करने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की पहली बैठक बुलाने के लिए 24 घंटे के भीतर नोटिस जारी करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की महापौर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल द्वारा एमसीडी में नामित सदस्य महापौर चुनने के लिए मतदान नहीं कर सकते।
दिल्ली में महापौर पद के लिए बुधवार को होने वाले चुनाव के मद्देनजर नगर निगम सदन के भीतर और सिविक सेंटर परिसर में अधिकारियों ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए. सदन के चौम्बर में महिलाओं समेत कई असैन्य सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे।
आप उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने भाजपा के इस तर्क पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि उपराज्यपाल ने 10 एल्डरमेन (मनोनीत सदस्यों) को चुनाव में मतदान करने की अनुमति दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि मनोनीत सदस्य चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं. पीठ ने कहा, ‘मनोनीत सदस्य चुनाव में भाग नहीं ले सकते. संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं।’
अगर मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति दी जाती, तो भाजपा की ताकत 113 से 123 हो जाती। 274 सदस्यीय सदन में आप के पास 150 वोट हैं। बहुमत का आंकड़ा 138 है।
इसका मतलब यह है कि मनोनीत सदस्यों के वोट डालने से मेयर चुनाव के नतीजे प्रभावित नहीं होते। हां, भाजपा स्टैंडिंग कमेटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हासिल कर सकती थी, जिसे नागरिक निकाय में सबसे शक्तिशाली निकाय माना जाता है। कांग्रेस ने अनुपस्थित रहने की घोषणा की थी। इस पर आप पार्षदों ने उस पर ष्भाजपा के साथ सौदा करनेष् का आरोप लगाया है। महापौर के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षद, सात लोकसभा और दिल्ली के तीन राज्यसभा सांसद और 14 विधायक शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने आप के 13 विधायकों और भाजपा के एक सदस्य को नगर निकाय के लिए नामित किया है।
पहले ‘आप’ ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली सरकार से परामर्श किए बिना 10 एल्डरमेन मनोनीत सदस्यों का नाम देने पर आपत्ति जताई थी। 10 मनोनीत एल्डरमेन के शपथ ग्रहण और उनके मतदान के सवाल ने तीन बार मेयर चुनाव को रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को समायोजित करने के लिए चौथी बार चुनाव स्थगित किया गया था।