( देश के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र अकुशल या अर्ध-कुशल पैरामेडिक्स द्वारा चलाए जाते हैं और ग्रामीण सेटअप में डॉक्टर शायद ही कभी उपलब्ध होते हैं। आपात स्थिति में मरीजों को अपने जान पहचान के देखभाल अस्पताल भेजा जाता है जहां वे अधिक भ्रमित हो जाते हैं और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और बिचौलियों के एक समूह द्वारा आसानी से धोखा खा जाते हैं। )
2020 में पहली लहर की तुलना में, 2021 की दूसरी लहर में ग्रामीण हिस्सों में संक्रमण और मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जो देश की 1.3 बिलियन आबादी का 65% है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की अनिश्चित स्थिति को देखते हुए, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने सरकार से इन क्षेत्रों में परीक्षण और टीकाकरण को प्राथमिकता देने के लिए कहा है। भारतीय ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को तीन स्तरीय प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है।
स्वास्थ्य
ऐसे करें अपने मूड को फ्रेश
कई बार नकारात्मक परिस्थितियों व माहौल में अक्सर हम सभी का मूड खराब हो जाता है और खराब मूड से किए गए सभी कामों पर भी हमारे मूड का प्रभाव दिखता है। ऐसे में जल्दी से अपने मूड को फ्रेश कर ठीक रखने में ही आपकी भलाई है।
मूड में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। समय के साथ मूड ठीक भी हो जाता है, किंतु कुछ लोगों पर मानसिक दबाव इतने अधिक होते हैं कि वे सुगमता से अपने खराब मूड से बाहर नहीं निकल पाते। इसके लिए कई बार उन्हें ऐसी औषधियां लेनी पड़ती हैं, जो कुछ देर के लिए तो उन्हें इस हताश मानसिकता से बाहर निकाल देती हें, लेकिन इन औषधियों के दुष्परिणाम भी कम नहीं होते। इसलिए बेहतर यही है कि अपनी मानसिक दशाको इतना सबल बनाएं के नकारात्मक दृष्टिकोण आपको गिरफ्तार न कर सकें और अगर कर ही लें, तो आपको उनसे बाहर निकलने के उपाय भी पता होने चाहिए। इस बारे में कुछ सहज नुस्खे-
रोगनाशक करेला
प्रकृति ने फलों एवं सब्जियों को कई स्वादों में बांटा है। हर फल-सब्जी का अपना महत्व, गुण है। बहुत से लोग करेला खाने से हिचकते हैं, क्योंकि यह कड़वा होता है। लेकिन इस कड़वे करेले में कुदरत ने ऐसे गुणों को पिरोया है, जो मानव जिस्म के लिए हर दृष्टि से लाभप्रद हैं।
कनाडा के चिकित्सकों के अनुसार करेले के विषेष गुण इसके तीखेपन तथा कडुएपन में होता है। कडुएपन के कारण यह रोग में श्रेष्ठ औषध है। इसमें नैसर्गिक इंसुलिन की मात्रा भी मिलती है जो मधुमेह के रोगियों को नवजीवन प्रदान करती है।
मुख की गंदगी और दातों के रोग दे सकते हैं कैंसर
– डॉक्टर्स बोले मुंह के कैंसर से बचना है तो जितनी जल्दी हो सके धूम्रपान एवं नशे से दूरी बना लें
– दांतो की बीमारियां दिल दिमाग सहित पेट जनित रोगों का कारण भी बन रही
कानपुर। कैंसर का नाम आते ही सभी लोग चौंक जाते हैं, चाहें शरीर के किसी भी हिस्सें में कैंसर हुआ हो। इसी तरह मुंह का कैंसर भी होता है, इसे ओरल कैंसर कहते हैं। मुंह के कैंसर के पीछे की वजह मुख्य रूप सें गंदगी है। कारण है कि लोग गुटखा, पान मसाला आदि का सेवन करते हैं। वहीं, यह बात भी है कि सिर्फ पान मसाला, गुटखा खाने वालों को ही मुंह का कैंसर होता है तो आपकी यह धारणा गलत है। मुंह का कैंसर किसी को भी हो सकता है। जो लोग सही से मुंह की सफाई नहीं करते हैं और मुंह में होने वाली समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं, ऐसे लोगों में मुंह का कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है।
जागरूकता से ही संभव कैंसर से बचाव : विश्व कैंसर दिवस
विश्व कैंसर दिवस प्रतिवर्ष 4 फ़रवरी को मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना। इस वर्ष भी दुनिया में कैंसर दिवस कि थीम “मैं हूं और मैं रहूंगा” ही है। जिसका अर्थ है कि हर किसी में क्षमता है कि वह कैंसर से लड़ सकता है। अपने स्वास्थ के प्रति जागरूक रहने वाले लोगों ने कम समय में कैंसर को मात दी है। अगर सही वक्त पर इलाज नहीं हुआ तो मरीज की जान जाना तय है। दुनिया में ज्यादातर कैंसर व मौत के मामले (47% और 55% क्रमश:) विश्व के कम विकसित क्षेत्रों में सामने आए हैं। इसका बड़ा कारण जानकारी का आभाव व उचित समय पर सही मार्गदर्शन व इलाज का ना मिल पाना है।
20 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन कर रहे