Monday, May 20, 2024
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जागरूकता से ही संभव कैंसर से बचाव : विश्व कैंसर दिवस

विश्व कैंसर दिवस प्रतिवर्ष 4 फ़रवरी को मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना। इस वर्ष भी दुनिया में कैंसर दिवस कि थीम “मैं हूं और मैं रहूंगा” ही है। जिसका अर्थ है कि हर किसी में क्षमता है कि वह कैंसर से लड़ सकता है। अपने स्वास्थ के प्रति जागरूक रहने वाले लोगों ने कम समय में कैंसर को मात दी है। अगर सही वक्त पर इलाज नहीं हुआ तो मरीज की जान जाना तय है। दुनिया में ज्यादातर कैंसर व मौत के मामले (47% और 55% क्रमश:) विश्व के कम विकसित क्षेत्रों में सामने आए हैं। इसका बड़ा कारण जानकारी का आभाव व उचित समय पर सही मार्गदर्शन व इलाज का ना मिल पाना है।
20 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन कर रहे
तंबाकू किसी के जीवन को ख़त्म करने के लिए काफी है। इसका किसी भी प्रकार से प्रयोग करने वाला व्यक्ति अपनी जान को जोखिम में डालता है। लगभग 50 फीसदी लोगों को कैंसर तंबाकू के सेवन से होता है। धूम्रपान से फेफड़े का कैंसर, गुटखे से मुँह व गले का कैंसर, शराब से आहार नली में कैंसर व खानपान में लापरवाही के चलते कार्बोहाइड्रेड व फाइट युक्त फास्ट-फूड से स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर आदि से जुड़े केस ज़्यादातर भारत में पाए गए हैं। ‘ग्लोबल टोबेको सर्वे इंडिया रिपोर्ट’ के मुताबिक भारत में करीब 20 करोड़ लोग गुटखा, पान मसाला और खैनी आदि खाते हैं।
प्रारंभिक अवस्था में दर्द नहीं होता- जानकारी के लिए जागरूकता जरूरी
कैंसर शरीर में अनुवंशिकी बदलाव के कारण होता है। कोशिकाओं के समूह की असाधारण गति से बढ़ने से वह कैंसर का रूप ले सकता है। कई बार कैंसर से पीड़ित मरीज को प्रारंभिक अवस्था में दर्द नहीं होता। इसलिए कैंसर का लक्षण आम बीमारियों की ही तरह बिल्कुल सामान्य भी हो सकता है। इन सामान्य लक्षणों मे जैसे कि आंत या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन, घाव का जल्दी न भरना, गहरे घाव या अल्सर का लंबे समय तक इलाज के बाद भी ठीक ना होना, शरीर के किसी हिस्से में गांठ का होना, असामान्य रक्तस्राव होना, वजन में अचानक गिरावट आना, भूख न लगना, खाने पर कुछ निगलने में दिक्कत, लगातार खांसी या आवाज में भारीपन है। मुख्य तौर पर ज़्यादातर केस में यह लक्षण कैंसर के मरीज में पाए गए हैं। कैंसर आनुवांशिक भी हो सकता है। कई बार कैंसर से पीडि़त माता या पिता के जीन बच्चे में भी आ जाते हैं जिससे बच्चे को भविष्य में कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।
समय पर योग्य चिकित्सक को दिखाएँ अंधविश्वास में जान ना गवाएँ
अस्वस्थ महसूस होने पर समस्या को नजरंदाज बिल्कुल ना करें। समय रहते योग्य चिकित्सक से परामर्श लें। यदि शुरुवाती लक्षण में कैंसर का पता चले तो मरीज का इलाज आसान व उसके जल्द स्वस्थ होने कि संभावना बढ़ जाती है। इलाज में देरी से मरीज के निरोग होने कि संभावना बहुत कम हो जाती है। ऐसे में मरीज का उपचार धैर्य के साथ कराएं। कैंसर के जटिल हो जाने पर इलाज लंबे समय तक चल सकता है। ऐसे में परिजन धैर्य बनाए रखें व किसी जादू-टोने जैसे अंधविश्वास में ना पड़ें। कैंसर छूने से नहीं फैलता इसलिए मरीज के साथ ऐसा व्यवहार ना करें जिससे उसके अंतरात्मा को दुख पहुंचे। मरीजों का ख्याल रखें, उनसे अच्छा व्यवहार करें। कैंसर का इलाज केवल शल्य चिकित्सा, कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी, टार्गेटेड थैरेपी व ट्रांसप्लांटेशन आदि माध्यमों से ही संभव है।
उपचार के लिए केंद्र व राज्य सरकार की योजनाएं
प्रमाणित दस्तावेज़ नियम व शर्तों के आधार पर पात्र लाभार्थी लाभ ले सकता है।
1- प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष
2- आयुष्मान भारत कार्यक्रम
3- स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा
4- राष्ट्रीय आरोग्य निधि – गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे रोगियों को आर्थिक मदद देता है।
5- स्वास्थ्य मंत्री विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी) – वार्षिक एक लाख से कम आमदनी वाले परिवार के लिए।
6- केन्द्र सरकार स्वास्थ योजना (सी.जी.एच.एस) – सरकारी सेवा से सेवानिवृत कर्मचारियों के लिये ।
7- मुख्यमंत्री राहत कोष -अमित गुप्ता, प्रयागराज