Sunday, April 28, 2024
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लेख/विचार

ऐसे थे लाल बहादुर शास्त्री

वर्ष 1964 में प्रधानमंत्री बनने से पहले लाल बहादुर शास्त्री विदेश मंत्री, गृहमंत्री और रेल मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद संभाल चुके थे। ईमानदार छवि और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले लाल बहादुर शास्त्री नैतिकता की मिसाल थे। जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने, तब उन्हें सरकारी आवास के साथ इंपाला शेवरले कार भी मिली थी लेकिन उसका उपयोग वे बेहद कम किया करते थे। किसी राजकीय अतिथि के आने पर ही वह गाड़ी निकाली जाती थी। एक बार शास्त्री जी के बेटे सुनील शास्त्री किसी निजी कार्य के लिए यही सरकारी कार उनसे बगैर पूछे ले गए और अपना काम पूरा करने के पश्चात् कार चुपचाप लाकर खड़ी कर दी। जब शास्त्री जी को इस बात का पता चला तो उन्होंने ड्राइवर को बुलाकर पूछा कि गाड़ी कितने किलोमीटर चली?

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सौ सलाम

सत्य और अहिंसा के पुजारी, एक सच्चे राष्ट्र प्रेमी और देश को ब्रिटिश सरकार के हाथों से आज़ाद करवाने वाले साबरमती के संत की और राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी की जन्म जयंती 2 अक्टूबर को न सिर्फ पूरा हिन्दुस्तान, बल्कि दुनिया के कई देश गांधी जयंती मनाते है। महात्मा गाँधी को लोग बापू के नाम से भी पुकारते थे। बापू ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी दिलाई। उन्होंने लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाई। उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया। यही वजह है कि पूरा विश्व 2 अक्तूबर के दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है। महात्मा गांधी के विचारों ने ना सिर्फ़ भारत के लोगों का मार्ग दर्शन किया बल्कि विश्व का मार्गदर्शन किया। ऐसे महान राष्‍ट्रपिता गांधीजी ने अपने जीवन में कुछ आदर्शों को खास महत्व दिया।

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सरोगेट मदर की विडम्बना

दो इंसानों की जरूरत पर लेनदेन का किस्सा “सरोगेसी” व्यापार बन गया है आजकल। पहले सरोगेट मदर का सहारा तब लिया जाता था जब कोई औरत माँ बनने में सक्षम नहीं होती थी तब उसके पति का बीज किसी अन्य महिला के अंडे के साथ फलीभूत करके भाड़े की कोख में बो दिया जाता था, और इस ज़रिए मातृत्व प्राप्त किया जाता था। पर आज कल कई महिलाएं अपने फ़िगर को कमनीय रखने के चक्कर में सरोगेसी का सहारा ले रही है। मेहनत भी नहीं फ़िगर भी खराब न हो और पैसों के दम पर रेडीमेड बच्चा पा लेती है।
माँ त्याग की मूर्ति है जो अपनी जान पर खेलकर अपने भीतर आपकी सांसों की संरचना को पूरा होने तक पालती है। उस त्याग की मूर्ति के बिना तो किसी भी नए जीवन की कल्पना संभव नहीं।

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पितृपक्ष में पितर कौन सा आशीर्वाद देते होंगे इन्हें?

“पंडित जी क्या हालचाल है? पाय लागू महाराज! तर्पण करवाना है। कल तिथि है माता जी की और कुछ दिन बाद पिताजी की भी…. बता दूंगा मैं आपको। आप आकर सारे कर्मकांड करवा दीजिए।”
पंडित जी:- “हां अवश्य आ जाएंगे। कल नौ बजे हम आएंगे और यह सामान की लिस्ट है मंगवा कर रख लेना।”
किशन:- “जी महाराज! पाय लागू।”
किशन और पंडित जी के जाने के बाद दो चार बुजुर्गवार खड़े थे। उन दोनों की बातचीत सुनकर वे आपस में बातें करने लगे।

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दहलीज़ नीची बनवाओ

हर कला में माहिर, ज़ुबाँ से मुखर, जिसके एक-एक काम से बारीकियां झलक रही थी, रुप गुण की धनी बहू उमा को देखकर त्रिपाठी जी को आश्चर्य हुआ उमा से पूछा बेटी इतनी होनहार हो फिर सिर्फ़ दसवीं तक ही पढ़ाई करके छोड़ क्यूँ दिया? उमा बोली बाबूजी क्या बताऊँ, पितृसत्तात्मक समाज में लड़की की मर्ज़ी कहाँ मायने रखती है। बंदीशों और दायरों की दहलीज़ बड़ी ऊँची थी कैसे लाँघती। हम तो आगे खूब पढ़ना चाहते थे पर पिताजी और ताउजी ने कहा लड़कियों को ज़्यादा क्या पढ़ाना संभालना तो आख़िर चूल्हा चौका ही है। त्रिपाठी जी ने कहा आगे पढ़ना चाहोगी बेटी? हमारे घर की दहलीज़ तुम्हारे पैर लाँघ सके इतनी नीची है, कदम बढ़ाकर देखो दहलीज़ हम पार करवा देंगे।

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बेटियों की दशा पर रो लिए बहुत अब

बेटियों की दशा पर रो लिए बहुत अब
शौर्यता का उनके गुणगान होना चाहिए
भावना को उनके खूब पहुँचाया ठेस हमने
मुख पे हमारे उनका सम्मान होना चाहिए
रखा खूब हमने बंदिशों में उन्हें अब
दे आज़ादी उनपे अभिमान होना चाहिए
दहेज के खातिर हैं सुताएं खूब जली
ऐसी कुप्रथाओं का विराम होना चाहिए
बुरी नज़र डाले जो आबरू पर कोई वहशी
रक्षा हेतु हाथ में कृपाण होना चाहिए

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वायु सेना के रनवे बनेंगे नेशनल हाईवे

चीन व पाकिस्तान की समरतांत्रिक चालों में बदलाव के कारण भारत की सामरिक तैयारी यही है कि युद्ध की स्थिति में वह दोनों मोर्चों पर निपट सके। इसके लिए वायु सेना उन हाईवे को रनवे के रुप आजमा रही है जो युद्ध की स्थिति में काम आ सकें। इसी रणनीति के तहत नौ सितम्बर को राष्ट्रीय सुरक्षा के नए प्रहरी के रुप में एक और राष्ट्रीय राजमार्ग का नाम तब जुड़ गया जब केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान राज्य के बाड़मेर में नेशनल हाईवे-925 ए पर बने इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) का उद्घाटन किया। चीन की सीमा के नजदीक दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी पर हरक्यूलिस व लड़ाकू विमानों के उतरनें के बाद अब यह दूसरा अवसर था जब पाक सीमा के एकदम नजदीक वायु सेना के विमानों ने टच एण्ड गो की फारमेषन बनाई।

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विश्व शांति दिवस पर शांति ढूंढिए

कितना कोहराम है पूरी दुनिया में, ध्वनि प्रदूषण से लेकर धर्मांधता, बेरोजगारी, भुखमरी और सामाजिक असमानता का शोर ने हम इंसान की जिंदगी में कितना दंगल मचाया है। हर साल 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है। पर क्या हम अनुभव करते है शांति का दरअसल, शांति मधुरता और भाईचारे की अवस्था है, जिसमें राग द्वेष बैर और जलन को परे रखकर मन को सुकून दे ऐसे लम्हों की जरूरत होती है। देखा जाए तो शांति के बिना जीवन का कोई आधार ही नहीं है।

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चिंताजनक है डेंगू का बढ़ता प्रकोप

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप से हम अभी तक उबरे भी नहीं हैं और विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को लेकर भी बार-बार चेता रहे हैं, ऐसे विकट दौर में डेंगू ने जो कोहराम मचाना शुरू किया है, उससे चिंता बढ़ने लगी है। इन दिनों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों के अनेक इलाके डेंगू और वायरल बुखार के कोप से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। डेंगू के एक नए प्रतिरूप ने तो स्वास्थ्य तंत्र के समक्ष एक नई और गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। डेंगू नामक बीमारी कितनी भयावह हो सकती है, उसका अनुमान इसी पहलू से आसानी से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार नहीं मिलने के कारण डेंगू पीडि़त व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। बीते दिनों देश के विभिन्न राज्यों और विशेषकर उत्तर प्रदेश में डेंगू से पीडि़त हुए कई मरीजों की मौत के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं।

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मरने के बाद ये दिखावा क्यूँ

श्राद्ध पक्ष के दिनों कुछ लोगों को पितृओं पर अचानक प्रेम उभर आता है, जीते जी जिनको दो वक्त की रोटी शांति से खाने नहीं दी उनके पीछे दान धर्म करने का दिखावा करते है।
किसी को शायद ये बातें बुरी लगे पर धार्मिक भावना दुभाने का इरादा नहीं, पर जो लोग ये दिखावा और ढ़ोंग करते है माँ-बाप के चले जाने के बाद की हाँ हमें हमारे माँ-बाप बहुत प्यारे थे, देखो आज श्राद्ध के दिन हमने इतना दान किया। जिसने जीते जी माँ बाप को खून के आँसू रुलाया हो उसे कोई हक नहीं बनता श्राद्ध के नाम पर माँ-बाप को याद करने का भी।

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