Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

बोलो दुर्गा माई की “जय”

प्राचीन काल से ही भारत में शिव-शक्ति रूप की आराधना चली आ रही है। संक्षिप्त तौर पर समझा जाए तो शिव का अर्थ निर्गुण, सच्चिदानंद एवं निराकार ब्रह्म है तथा शक्ति का अर्थ उसी ब्रह्म की अभिव्यक्ति है। दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं। शाक्त सम्प्रदाय की मुख्य देवी दुर्गा हैं। दुर्गा तमस एवं अज्ञानता रूपी असुरों से रक्षा करने वाली और कल्याणकारी हैं। नवरात्रि या दुर्गोत्सव शक्ति पूजा का उत्सव है। शरदोत्सव या दुर्गोत्सव को मनाये जाने के लिए तिथियाँ हिन्दू पंचांग के अनुसार ही तय होती हैं एवं इस त्योहार से सम्बंधित पखवाड़े को देवी पक्ष के नाम से जाना जाता है। शारदीय नवरात्र कहें या दुर्गा पूजा, यह पर्व प्रत्येक वर्ष भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इनमें सबसे ज़्यादा आकर्षक एवं सुंदर प्रथा पश्चिम बंगाल के दुर्गा पूजा में दिखाई पड़ती है।

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“ऑनलाइन शॉपिंग सही या गलत”

आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ गया है, क्रेज़ कहे या पागलपन? एक तरफ़ लोग आर्थिक मंदी को लेकर हाय तौबा मचा रहे है और एक तरफ खरीदारी में लाईन लगी हुई है। उसमें भी ऑनलाइन शॉपिंग सहुलियत के हिसाब से नौकरी पेशा लोगों का काम बहुत आसान कर देती है। घर बैठे जो चीज़ चाहो मिल जाती है।
उपर से पसंद न आने पर वापस की जाती है, या चीज़ टूटी फूटी निकलने पर कैश बैक की सुविधा अलग से, तो कौन मार्केट तक जाने की तस्दी लेगा। पर ऑनलाइन शॉपिंग में सतर्कता बहुत जरूरी है। कई बार ब्रांडेड चीज़ के बदले नकली माल भी मिल जाता है, तो पूरी छानबीन के बाद ऑनलाइन शॉपिंग करनी चाहिए।

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बरकरार है डाक विभाग की प्रासंगिकता

1874 में बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में प्रतिवर्ष 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है और इसी के साथ हर साल भारतीय डाक विभाग द्वारा ‘राष्ट्रीय डाक सप्ताह’ की शुरुआत होती है, जो 9 से 15 अक्तूबर तक मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के सामाजिक व आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

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शाकाहार क्यों?

कुछ लोग के मन में हमेशा एक द्वंद होता रहता हैं कि क्या खाया जाए, शाकाहार या मांसाहर इनका हल ये पढ़ने के बाद अपने आप समझ आ जायेगा। ग्लोबल शाकाहार दिन के उपलक्ष में ये तथ्य समझना जरूरी हैं।
मांसाहारी कभी कभी शाकाहारी लोगो को घासफूस खाने वाला कहते हैं, उसके विपरीत शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगो को प्राणियों के प्रति क्रूर कहते हैं। लेकिन सब को अपने आहार का चयन करने का हक हैं लेकिन शाकाहार के फायदों को जानना भी आवश्यक हैं। दुनिया की 740 करोड़ की जनसंख्या में 50 करोड़ लोग ही पूरी तरह से शाकाहारी हैं ऐसा फ्रेंड्स ऑफ अर्थ संस्था का कहना हैं।संस्था के मुताबिक शाकाहारियों को अल्प संख्यक कह सकते हैं। इसी संस्था के मुताबिक 2014 में किए गए मीट एटलस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा शाकाहारी बसते हैं। भारत में 31% लोग शाकाहारी हैं। अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के नए रिसर्च के मुताबिक अगर शाकाहार को बढ़ावा मिले तो धरती को ज्यादा स्वस्थ, ज्यादा ठंडा और ज्यादा दौलतमंद बनाया जा सकता हैं।

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कच्चे तेल के आयात पर बढ़ती निर्भरता भविष्य की तीव्र विकास गति क्षमता को बाधित कर सकती हैं

एथेनॉल, बायोडीजल, कंप्रेस्ड बायोगैस जैसे घरेलू इंधन के विकास में उर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता कर तीव्रता से दोहन ज़रूरी – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से गहराते जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से चिंतित विश्वके हर देश ने अपने – अपने देशों में इस संबंध में सकारात्मक कदम उठाते हुए अपनी नीतियों और योज़नाओं के माध्यम से उपायों पर कार्य करना शुरू कर दिया है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा और पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डालने वाले मानवीय सुविधाओं की आदत बन चुके संसाधनों का पर्यायवाची साधन जुटाने पर अनेक देश काम कर रहे हैं। जैसे पेट्रोल डीजल इत्यादि उत्सर्जन कार्बन के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है और उस देश की आर्थिक स्थिति व्यवस्था भी गड़बड़ा जाती है क्योंकि इसके लिए कच्चे तेल, गैस पर बाहरी देशों पर निर्भरता विकास की क्षमता को बाधित करती है।…

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चरित्र-निर्माण का आधार है संस्कार

विचार मानव चरित्र के प्रकाशक हैं, पर तब जबकि वे आचरण से घुल-मिल गए हों। मनुष्य का चरित्र विचार और आचार दोनों से मिलकर बनता है। संसार में बहुत से ऐसे लोग पाए जा सकते हैं जिनके विचार बड़े ही उदात्त, महान एवं आदर्षपूर्ण होते हैं। लेकिन उनकी क्रियाएं तदनुरुप नहीं होती। विचार पवित्र हों और कर्म अपावन तो यह सच्चरित्रता नहीं हुई। इसी प्रकार बहुत से लोग ऊपर से बड़े ही सत्यवादी, आदर्शवादी और धर्म कर्म वाले दिखते हैं, किंतु उनके भीतर कलुशपूर्ण विचारधारा बहती रहती है। इन्हें भी सच्चे चरित्रवाला नहीं माना जा सकता। सच्चा चरित्रवान वही माना जाएगा और वास्तव में वही होता भी है, जो विचार और आचार दोनों को समान रुप से उच्च और पुनीत रखकर चलता हो।

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“आधुनिकता का मापदंड नशा”

आज हर न्यूज़ चैनल पर चर्चा का विषय है शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान, जो कथित रूप से ड्रग्स लेते पकड़ गया, और कहते है उसने कुबूल भी किया की वो ड्रग्स लेता है। ये सब देखकर हर किसीके मन में सवाल उठता होगा की, इतने बड़े बाप के बेटे को नशा करने की क्या जरूरत पड़ गई होगी? कौनसा गम भूलाने के लिए नशा करता होगा? नशा इंसान को क्या देता होगा? मजा, कुछ देर के लिए सारे गमों से निजात या व्यसन के तौर पर दिमाग की खुराक होगा नशा। या शायद आजकल आधुनिकता का मापदंड बन गया है नशा।

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प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया साहित्यकारों लेखकों के लिए ज्ञान की गहराई

प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लेख़कों और साहित्यकारों के लेख़न को प्रकाशित कर लेख़नी में जीवंतता प्रदान करते हैं – एड किशन भावनानी
भारत हजारों वर्ष पूर्व से ही संस्कृति,सभ्यता संस्कार, लेख़नी, अध्यात्म की विरासत का गढ़ रहा है। हजारों वर्ष पूर्व से लेख़न क्षमता का लोहा पूरा विश्व मानता है, क्योंकि भारत का साहित्यिक स्त्रोत हजारों साल पुराना है लेख़न कला से ही भारत के अनेकों ग्रंथ साहित्य लिखे गए हैं, जिनका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता, इतना उत्कृष्ट और परम कलाधारी लेख़नी है भारत माता के सपूतों की!!! साथियों बात अगर हम वर्तमान साहित्यकारों लेखकों औरसाहित्य जगत से जुड़े हमारे साथियों की करें तो आज भी उतनी ही उत्कृष्ट कला वर्तमान साहित्य जगत में विद्यमान है।

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ऐसे थे लाल बहादुर शास्त्री

वर्ष 1964 में प्रधानमंत्री बनने से पहले लाल बहादुर शास्त्री विदेश मंत्री, गृहमंत्री और रेल मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद संभाल चुके थे। ईमानदार छवि और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले लाल बहादुर शास्त्री नैतिकता की मिसाल थे। जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने, तब उन्हें सरकारी आवास के साथ इंपाला शेवरले कार भी मिली थी लेकिन उसका उपयोग वे बेहद कम किया करते थे। किसी राजकीय अतिथि के आने पर ही वह गाड़ी निकाली जाती थी। एक बार शास्त्री जी के बेटे सुनील शास्त्री किसी निजी कार्य के लिए यही सरकारी कार उनसे बगैर पूछे ले गए और अपना काम पूरा करने के पश्चात् कार चुपचाप लाकर खड़ी कर दी। जब शास्त्री जी को इस बात का पता चला तो उन्होंने ड्राइवर को बुलाकर पूछा कि गाड़ी कितने किलोमीटर चली?

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सौ सलाम

सत्य और अहिंसा के पुजारी, एक सच्चे राष्ट्र प्रेमी और देश को ब्रिटिश सरकार के हाथों से आज़ाद करवाने वाले साबरमती के संत की और राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी की जन्म जयंती 2 अक्टूबर को न सिर्फ पूरा हिन्दुस्तान, बल्कि दुनिया के कई देश गांधी जयंती मनाते है। महात्मा गाँधी को लोग बापू के नाम से भी पुकारते थे। बापू ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी दिलाई। उन्होंने लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाई। उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया। यही वजह है कि पूरा विश्व 2 अक्तूबर के दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है। महात्मा गांधी के विचारों ने ना सिर्फ़ भारत के लोगों का मार्ग दर्शन किया बल्कि विश्व का मार्गदर्शन किया। ऐसे महान राष्‍ट्रपिता गांधीजी ने अपने जीवन में कुछ आदर्शों को खास महत्व दिया।

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