टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू हुए ओलम्पिक खेलों में पहले ही दिन भारतीय महिला खिलाड़ी मीराबाई चानू द्वारा देश के लिए पहला पदक जीतना हर भारतीय के लिए बेहद गौरवान्वित करने वाला पल था और अब पीवी सिंधु ने इस खुशी को दोगुना कर दिया है। वैसे ओलम्पिक खेलों में भारत के लिए मीराबाई चानू की जीत से अच्छी शुरुआत नहीं हो सकती थी। हालांकि 2016 के रियो ओलम्पिक में हार के बाद चानू को गहरा सदमा लगा था और उस हार के बाद वह इस कदर टूट गई थी कि उन्हें लगने लगा था कि ओलम्पिक में उनका सफर वहीं खत्म हो गया है।
लेख/विचार
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बना – अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक और इतिहास
दुनिया की सबसे शक्तिशाली संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता से भारत का अंतरराष्ट्रीय रुतबा, ताकत, और ख्याति बढ़ी – एड किशन भावनानी
वैश्विक स्तर पर कुछ वर्षों से भारत की ख्याति, रुतबा, ताकत, अंतरराष्ट्रीय सकारात्मक संबंध, उपलब्धि, और साख में बेतहाशा वृद्धि हुई है। जिस तरह से हम पिछले कुछ वर्षों में भारत के संबंध पूर्ण विकसित देशों अमेरिका, जापान, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड इत्यादि अनेक देशों से मजबूत हुए हैं, उसी तरह विकासशील देशों के लिए भारत एक उम्मीद की किरण बन गया है।…साथियों मेरा मानना है कि आज हम अपने आपको गर्वित महसूस कर रहे हैं।…
आरोप में कितना दम
बेशक राज कुंद्रा ने गलत किया और गुनहगार है, हर जुर्म कि सज़ा उन्हें मिलनी चाहिए, पर इस मामले में ये कांड होते ही एक-एक करके जो लड़कियां आरोपों का पिटारा खोल रही है उस बात पर एक बार संदेह जरूर होता है। अब देखिए शर्लिन चोपड़ा ने उन पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। शर्लिन चोपड़ा ने कथित तौर पर पुलिस को दिए अपने बयान में राज कुंद्रा पर सेक्सुअल असॉल्ट का आरोप लगाया है। शर्लिन चोपड़ा का दावा है कि राज कुंद्रा दो साल पहले 2019 में एक दिन अचानक उनके घर पहुंचे थे और उनके साथ सेक्सुअल मिसकंडक्ट यानी यौन दुराचार किया। शर्लिन का आरोप है कि राज कुंद्रा ने उन्हें जबरन किस किया था।
मिशन पांच राज्यों में इलेक्शन 2022 – हर पार्टी नें तात्कालिक रणनीतिक रोडमैप बनाना शुरू किया
चुनाव जीतने प्रबुद्ध सम्मेलन, प्रतिमा स्थापन, सोशल व जातीय इंजीनियरिंग, नेतृत्व परिवर्तन सहित अनेक रणनीतिक पैटर्न पर काम शुरू – एड किशन भावनानी
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और भारत की अनेक खूबसूरतीयों में से एक है भारतीय लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया को पूरी दुनिया में बहुत श्रद्धा सम्मानित रूप से, एक आइडियल के रूप में देखा जाता है। जो भारत के लिए एक गर्व की बात है। चुनावी प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए भारत में एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था भारतीय चुनाव आयोग है जो जिम्मेदारी से चुनावी प्रक्रिया संपन्न करवाता है…। साथियों बात अगर हम अगले साल 2022 में होने वाले पांच राज्यों के चुनावों की करें तो अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, सूत्रों के अनुसार गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त होगा।
कब तक कहर ढायेगा कारोना
कुछ लोग मानते हैं कि करोना की तीसरी लहर आ गई हैं।कुछ लोग कहते हैं आने वाली हैं।वैसे तो जितने लोगो का रासीकरण हो गया हैं और जितने संक्रमित हो के ठीक हो चुके हैं। उनको असर होने की संभावना कम है।तो बचे हुए लोगो को ही ज्यादा असर करेगा करोना।जो मुख्य रूप बच्चे ही हो सकते हैं। लेकिन एक और भी प्रमुख प्रश्न हैं।जो ठीक हो गए हैं उनके सामने भी कितने ही प्रश्न हैं। जो आर्थिक,सामाजिक और मानसिक मुख्य हैं। लॉकडाउन के समय से आज तक सभी व्यापारियों को कुछ न कुछ मुश्किल आई ही हैं। जैसे कारखानों में कारीगरों का घर वापसी,कच्चे माल की अलभ्यता, बिक्री नहीं हो पा रही है, क्योकि लोगो की खरीदशक्ति कम हो रही हैं, क्योंकि आमदनी कम हो गई हैं। कहां से व्यापारी देंगे इनको वेतन जब उनका ही काम नहीं चल पाया हैं।बहुत ही ऐसे ही प्रश्न हैं जो अभी अव्यक्त हैं। सामाजिक प्रश्न भी हैं, जिनके बड़े विवाह योग्य बच्चे हैं उनके रिश्तों के लिए योग्य जीवनसाथी ढूंढने के लिए करोना प्रोटोकॉल के साथ आना जाना मुश्किल हो गया था।तय की शादियों को अंजाम देना और बहु लाना या लड़की को विदा करना भी एक चुनौति बन गया था।इतनी चुनौतियों का सामना कर के अब थोड़ी परिस्थिति सामान्य हुई हैं। लेकिन अभी करोना का डर गया नहीं हैं। एक डर सा घर कर गया है करोना का जिससे मानसिक रूप से लोगो को कमजोर कर गया हैं।लोग आदमी की उपस्थिति से डर रहे हैं।कैसा समय आ गया हैं।कुछ लोग तो घर से बाहर निकलने से डर रहे हैं।मानसिक डर बैठ गया हैं कि ऐसा करने से खुद संक्रमित हो जायेगा, या कोई परिवार के सभ्यों को भी हो सकता हैं। संक्रमण,इसी डर में अपने आप को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बना रहें हैं।
ज़िन्दगी की परीक्षा कितनी वफादार – इसका पेपर कभी लीक नहीं होता
मनुष्य को ज़िन्दगी में कर्म रूपी परीक्षा इमानदारी से देना ज़रूरी – फ़ल रूपी रिजल्ट ईश्वर अल्लाह के हाथ में जो कभी लीक नहीं होता – एड किशन भावनानी
भारत में अनेक प्रकार की कई परीक्षाएं जिसमें शैक्षणिक एकेडमिक, प्रोफेशनल, सरकारी नौकरी भर्ती, एंट्रेंस एग्जाम, सहित अनेक प्रकार की परीक्षाएं होती है। जिसके आधार पर मानवीय बौद्धिक क्षमता का मापदंड निर्धारित किया जाता है और एक कटऑफ रेट तैयार किया जाता है जिसके आधार पर सफलता और असफलता का रिजल्ट घोषित किया जाता है। परंतु यह मानवीय उद्दंडता है कि इस परीक्षा में अनेक गैरकानूनी हथकंडे अपनाए जाते हैं जिसमें नकल से लेकर पेपर लीक तक हथकंडे उपयोग किए जाते हैं, ताकि उस परीक्षा में पास हो सके या उसे नौकरी पेशे के लिए चुना जा सके और अपना शेष जीवन का पूरा भविष्य सुरक्षित किया जा सके।
मृत्यु भोज करना उचित या अनुचित?
हिंदू धर्म में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु की बारह दिन के पश्चात तेरहवें दिन मृत्यु भोज की प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। यह मृत्यु भोज तेरहवें दिन ही क्यों कराया जाता है इस प्रश्न का उत्तर हमें गरुड़ पुराण से मिल जाता है जिसमें यह विदित है की दिवंगत आत्मा को उसकी मृत्यु के पश्चात 13 दिन तक 13 गांव को पार करना होता है गरुड़ पुराण के अनुसार यह गांव बहुत भयानक होते हैं आनंददायक नहीं होते हैं यह जंगल कांटो और अग्नि से भरा हुआ गांव होता है जिसे पार करते हुए दिवंगत आत्मा को यमराज के समक्ष उपस्थित होना होता है।
एक बार फिर सोचिए

“प्रसिद्ध व्यक्ति अपनी छाप समाज के सामने खुद खराब करते है”

जनसंख्या वृद्धि कानून
1975 में लगाया गया आपातकाल आज भी लोग याद करते हैं और याद करने के साथ-साथ उस वक्त की दबंगई को भी याद करते हैं। आज भी बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है और इसे रोकने के लिए कारगर उपाय किए जाने चाहिए। अब तक जो भी नियम कानून इस मुद्दे को लेकर बने हैं वह ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए हैं। आज देश में हर मिनट पर 42 बच्चों का जन्म हो रहा है हर दिन 61,000 बच्चों का जन्म होता है। ये बढ़ती हुई आबादी रोजगार के अवसरों को खत्म कर रही है साथ ही गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी को बढ़ावा दे रही है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या की सबसे बड़ी समस्या स्थान की है, साथ ही बिजली और पानी की भी है। लगातार कट रहे जंगल प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उसका खामियाजा भी हम भुगत रहें हैं। गरीबी और खाद्यान्न की समस्या का कारण जनसंख्या वृद्धि ही है और इसका दुष्प्रभाव चिकित्सा की बद इंतजामी के रूप में भी दिखाई देता है।