ऐसी राह पर चलना है कि पीछे
पीछे मेरे भी कारवां होगा
मेरे बाद मेरे नेकियों का
दास्तां होगा
आ गया मुझे धूप चिलचिलाती
जिंदगी के सहना
मेरा तासीर पानी सा है अब
वक्त के मार से है कहना
अब मिले सब्जातारा या फिर सहरा
दिल ना परेशां होगा
मेरे बाद मेरे नेकियों का दास्तां होगा
जानते हैं हम ढह जाएगा ये झूठ का
इमारत
होगी इक रोज़ लोगों को मेरे सच से ही
इनायत
बुलंदियों का मेरे चर्चा फिर खामखां होगा
मेरे बाद मेरे नेकियों का दास्तां होगा
जले जो पैर ख्वाहिशों के चल के
सहरा में कोशिशों के
आगे बढ़ते ही रहना उनपर लगा कर
शीतल मरहम उम्मीदों के
देख लेना एक दिन तेरा तब ये
सारा जहां होगा
मेरे बाद मेरे नेकियों का दास्तां होगा
बीना राय, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश