Thursday, May 16, 2024
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विविधा

छोटे व्यवसाय के मालिकों की और कौन ध्यान दे रहा है, जिनके व्यवसाय का भविष्य संकट में है ?

कोविड-19 के वैश्विक बाजार पर व्यापक प्रभाव के साथ यह भी सुनिश्चित हो गया है कि वर्ष 2020 किसी भी व्यवसाय की शुरुआत के लिए अच्छा नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोरोना वायरस प्रकोप को एक वैश्विक महामारी के रूप में घोषित करने के साथ ही यह महामारी दूरगामी परिणामों के साथ और भी मुश्किल हो गई है। यह महामारी न केवल बड़े स्तर पर महामारी का कारण बनी है, बल्कि वैश्विक व्यापार, वाणिज्य, निवेश और आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी एक गहरे संकट में खड़ा कर दिया है। पूर्ण रूप से लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंध वाले शहरों में व्यवसाय के मालिक आर्थिक मंदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं, जहाँ उनके व्यवसाय को एक के बाद एक निरंतर नुकसान सहन करना होगा।

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हेल्थकेयर डेटा को कार्यों में परिवर्तित करने का एक मजबूत दृष्टिकोण: इंद्रप्रीत कैम्बो

हेल्थकेयर में डेटा एक उभरता हुआ क्षेत्र है लेकिन नौसिखिए पेशेवरों और कंपनियों के लिए समझने के लिए काफी जटिल है। स्वास्थ्य सेवा में डेटा का उपयोग करने की यात्रा लंबी और कठिन है, लेकिन कई लोग पसंद करते हैं इंद्रप्रीत कैमबो पहले से ही इस दृष्टिकोण में महारत हासिल कर रहे हैं। वे उस तरीके को प्रभावित करके डोमेन में अधिक मूल्य पैदा कर रहे हैं जिस तरह से डेटा का संस्थान पर प्रभाव पड़ता है।
स्वास्थ्य सेवा में डेटा सीढ़ी चढ़ने के लिए संगठनों को यह मूल्यांकन करने की आवश्यकता होती है कि वे अपने डेटा पर कैसे उत्पन्न, संग्रह, स्टोर, प्रक्रिया और रिपोर्ट करें। इसका मतलब है कि एक रोडमैप विकसित करना जो डेटा यात्रा के साथ हर अवसर की पहचान करता है। इंद्रप्रीत कैम्बो संगठनों को एक योजना से शुरू करने में मदद करते हैं – नैदानिक से लेकर संचालन तक व्यापार से तकनीकी तक। उनकी योजनाएँ व्यापक हैं और इनके माध्यम से बहुत सोचा जाता है। वह निर्णय लेने से पहले ही कार्रवाई करने में विश्वास रखता है। उनका अनुभव संगठनों को नेतृत्व के साथ एक बहु-विषयक टीम को एक साथ लाकर डेटा प्रक्रिया शुरू करने में मदद करता है, जिसमें चिकित्सक, नर्स, कंपनी निदेशक, आईटी विभाग, रोगी प्रतिनिधियों के साथ शामिल होते हैं।

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जीवन का अंतिम सत्य

कभी किसी ने बैठकर सोचा, नहीं सोचा होगा, क्योंकि हम अपने जीवन में इतने व्यस्त हैं, कि हमारे पास इस मानव जीवन के अंतिम सत्य के बारे में सोचने का समय नहीं है, हमारे पास केवल अपनी तृष्णाओं की पूर्ति का समय है, हमें केवल धन एकत्रित करना है, हमें केवल भोग भोगने हैं, हमें केवल अपनी सत्य स्थापित करनी है, हमें केवल दूसरों को नीचा दिखाना है, पर कभी किसी ने सोचा, यह सब भोग क्षण भर के हैं, हमारे से पहले इस पृथ्वी पर कितने राजा, महाराजा आए, जो कितने शक्तिशाली थे, उन्होंने अपनी भक्ति से देवो को प्रसन्न करके कई वरदान हासिल किए, पर  वो भी एक दिन काल के ग्रास बन गए, तो क्यों आज इस पृथ्वी का तुछ्च सा मानव यह भूल गया है, उसे भी एक दिन काल का ग्रास बनना है, अगर भूल गए हैं, तो एक दिन शमशान भूमि में जाकर किसी जलते मुर्दे को देख आए, क्योंकि यही जीवन का अंतिम सत्य है। -अमित डोगरा

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सेहत का खजाना- ‘योग’

ध्यान करो, कुछ योग करो।
काया को तुम निरोग करो।
प्रतिदिन प्रातः में उठकर
योगासन सब लोग करो।।
योग न सिर्फ एक व्यायाम है।
विविध आसन प्राणायाम है।
यह तो तन, मन, आत्मा को
जोड़ने वाला एक आयाम है।।
यह भारत की पहचान है।
योग विशुद्ध विज्ञान है।
सदियों की प्राचीन परंपरा,
ऋषियों का अनुसंधान है।।

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वक्त – वक्त की बात

अभी बस दो साल पहले की ही बात है। कि शर्मा जी के पड़ोस में एक घर में चोरी हो गई थी। चोरी कोई बड़ी नहीं थी। केवल गुप्ता जी की काफी पुरानी कार चोरी हो गयी थी।
शर्मा जी ने फिर भी पड़ोस वालों को समझाया। कि अपने मोहल्ले के दोनों तरफ लोहे के बड़े-बड़े गेट लगवा लेते हैं। जिससे चोरी की संभावना समाप्त हो जाएगी और एक गार्ड को ड्यूटी पर रख लेंगे। जिसे सब मिलकर महीने भर की तनखा दे दिया करेंगे।
लेकिन शर्मा जी की बात सिर्फ गुप्ता जी को समझ में आई। जिनके घर में चोरी हुई थी। बाकी सभी लोगों का यह कहना था कि ऐसी घटना तो हो ही जाती हैं। इसके लिए पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए। वही लोग चोरों को ढूंढ कर उन पर उचित कार्रवाई करेंगे।

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–ओ सुशांत! आखिर क्यों तुम कर गए हम सब के मन को अशांत–

ओ सुशांत!
जोड़ा था तुमने सबसे पहले “पवित्र रिश्ता” ज़ी.टीवी” के माध्यम से हम दर्शकों के साथ,
बन “अर्चना” के “मानव” तुमने सिखाया हमसब को
कैसे निभाते हैं हर दुःख में अपनी जीवन संगिनी का साथ,
अपनी मां के सपनों को पूरा करने के लिए की तुमने मेहनत दिन रात।
पी.के में तुमने ही तो सिखाया था न “सरफ़राज़” ने धोखा नही दिया,
फिर दिखाया छिछोरे में “”खुदकुशी ना करना”” ,
फिर क्यों खुद तुमने ही कर दिया हम सबके मन को अशांत,

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सूना जग भी रौनक लगेगा

कोख में दफनाने से पहले
पूछ तो लेते बेटियों से,
गुनाह क्या किया उसने
किस कर्म की सजा पाई उसने।
दुनिया उसे भी देखना था
सपने उसने भी थे सजाए,
जन्म से पहले ही उसको
चिर निद्रा में क्यों सुलाए।
आत्मा का हनन उसका करके
सुखी तुम कैसे रह सकते,
अपराध अक्षम्य होगा यह
काश, बात यह समझ सकते।

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कैसे संकट के समय में पीआर आपके व्यवसाय का समर्थन करता है?

व्यापार की दुनिया में लाभ और हानि दोनों ही सामान्य शब्द है। किसी भी तरह का व्यवसाय शुरू करने से पहले आपको भविष्य में होने वाले विभिन्न प्रकार के नुकसान का पूर्वानुमान लगाना होगा या दूरदर्शी बनना होगा। यह प्रत्येक व्यवसाय के मालिक का सबसे दुखद पल है कि वह अपने व्यवसाय के नुकसान की कल्पना करे। हालांकि भविष्य कोई भी नहीं देख सकता है, लेकिन आप अपने आप को अपने व्यवसाय में आने वाली हानि से बचने के लिए तैयार कर सकते हैं। चाहे वह लोगों के बीच अपने व्यवसाय की छवि को बदलना हो या अपने व्यवसाय को हानि से बचाने के लिए तैयार करना हो, जनसंपर्क हमेशा आपका अपराजय योद्धा होगा।
पीआर के बारे में बात करते हुए, एक प्रमुख जनसंपर्क कंपनी के संस्थापक अतुल मलिकराम कहते हैं कि, “पीआर क्षेत्र बहुत विशाल है। कोई भी कंपनी जब एक निश्चित संकट से गुजर रही होती है, तो उसके लिए विशेष रूप से पीआर का समर्थन बहुत आवश्यक हो जाता है। किसी भी कंपनी को सफलता हासिल करने में कई साल लग जाते हैं, लेकिन एक पल ही इन सालों की मेहनत और नाम को बर्बाद कर देता है। ऐसे समय में पीआर ही है जो किसी कंपनी को उसके नुकसान से बाहर निकालने में मदद करता है।”

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कब खुशियों का कोना आएगा

टूटी -फूटी फुलवारी का, दुःख देख कर रोना आएगा
धरती-अंबर, सरिता-सागर हर एक पर रोना आएगा
औषधियों के बदले मानव, हथियार बनाएगा जब तक
दहशत की गलियों में कैसे, खुशियों का कोना आएगा।।
जाने किस सोच के लोग हैं ये, फूलों से विचलित होते हैं
अनुराग से वर्जित होते हैं, शोलों से पुलकित होते हैं
जब मन ही रोगी होगा, कैसे रोग भगाना आएगा।
बरबादी का मौसम लेकर यूँही कोरोना आएगा।।
एक लम्हें का सुख अच्छा है, अपने घर का रुख अच्छा है
निर्बल की छाती को दल कर पाए सुख से दुःख अच्छा है

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ऑनलाइन शिक्षा रूपी टाइटैनिक के जहाज पर सवार होने पर विवश है अभिभावक

कानपुर नगर, फैसल निहाल। कोविड.19 से सम्पूर्ण देश वासी लड़ रहे है इस वैश्विक महामारी से दो माह से ऊपर लाॅकडाउन होने को आया है। जिससे लोगों के जीवन में समस्याओं का पर्वत खड़ा हो चुका है। जिससे वे पल-पल जूझ भी रहे है इसी प्रकार शिक्षा से सम्बन्धित छात्र व अभिभावक भी प्रभावित हो रहे है। इस प्रभाव को देखते हुए अधिकतम निजी स्कूलों ने बच्चों की उज्ज्वल भविष्य हेतु ऑनलाइन शिक्षा को प्रारम्भ भी किया है। जिससे बच्चे ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने लगे है। इस ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने वालों का औसत 60 से 70 प्रतिशत सक्रिय भी है। परन्तु वही 30 से 40 प्रतिशत के बच्चों के अभिभावकों की आय उतनी नहीं है जो महंगे मोबाइल खरीद कर अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे सके। कुछ तो निजी स्कूल ऑनलाइन शिक्षा कम, माह शुल्क वसूली के कार्य में सक्रिय अधिक दिख रहे है। जिसकी जानकारी शासन व प्रशासन दोनों को है यूँ तो अधिकतम अभिभावकों की आर्थिक स्थिति चरमरा सी गयी है। इस लॉकडाउन में सभी उधोग बन्द, दुकान बंद, स्रोत बन्द व सब बन्द है।

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