कानपुर नगर, फैसल निहाल। कोविड.19 से सम्पूर्ण देश वासी लड़ रहे है इस वैश्विक महामारी से दो माह से ऊपर लाॅकडाउन होने को आया है। जिससे लोगों के जीवन में समस्याओं का पर्वत खड़ा हो चुका है। जिससे वे पल-पल जूझ भी रहे है इसी प्रकार शिक्षा से सम्बन्धित छात्र व अभिभावक भी प्रभावित हो रहे है। इस प्रभाव को देखते हुए अधिकतम निजी स्कूलों ने बच्चों की उज्ज्वल भविष्य हेतु ऑनलाइन शिक्षा को प्रारम्भ भी किया है। जिससे बच्चे ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने लगे है। इस ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने वालों का औसत 60 से 70 प्रतिशत सक्रिय भी है। परन्तु वही 30 से 40 प्रतिशत के बच्चों के अभिभावकों की आय उतनी नहीं है जो महंगे मोबाइल खरीद कर अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे सके। कुछ तो निजी स्कूल ऑनलाइन शिक्षा कम, माह शुल्क वसूली के कार्य में सक्रिय अधिक दिख रहे है। जिसकी जानकारी शासन व प्रशासन दोनों को है यूँ तो अधिकतम अभिभावकों की आर्थिक स्थिति चरमरा सी गयी है। इस लॉकडाउन में सभी उधोग बन्द, दुकान बंद, स्रोत बन्द व सब बन्द है। जिससे पूंजी भी समाप्ति की ओर अग्रसर है। इस विकराल स्थिति के उत्पन्न होने से सभी देश वासी भयभीत है देश के अधिकतम वासियों का पेशा मजदूरी, प्राइवेट नौकरी व छोटी दुकाने है। जो लॉकडाउन के होने पर उनका सब कुछ स्वाह हो रहा है। इसमे केवल पूँजीपति व सरकारी नौकरी करने वालों की आर्थिक व भौतिक स्थिति ही स्थिर है। जो भी संकट है तो केवल निम्न व मध्यम श्रेणी वालों की ही है। परन्तु इस संकट के समय में भी कुछ निजी स्कूल नाम मात्र ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से अभिभावकों पर शिक्षा शुल्क व अन्य शुल्क देने का निरन्तर दबाव डाल रहे है। जबकि ऑनलाइन शिक्षा तो केवल खानापूर्ति मात्र है जिससे अभिभावकों को लुभाकर शुल्क वसूला जा सके! परन्तु निजी स्कूल केवल हाजिरी व वीडियो क्लिप द्वारा अपने ही बनाये अनुसार शुल्क ले रहे है। इस सम्बंध में कुछ अभिभावकों ने जिलाधिकारी से अनुरोध कर तीन माह शुल्क माफ़ करने की मांग की है परन्तु अभी सरकार अभिभावकों के इस अनुरोध पर कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ नजर आ रहे है या तो फिर वे मौन हो चुके हैं सवाल ये है कि इनके दर्द को कौन समझेगा?