Sunday, May 19, 2024
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संतुलन बनाना सीखोः आचार्य विशुद्ध सागर

बागपत। जैन धर्म नगरी बड़ौत में प्रवचन करते हुए दिगम्बराचार्य विशुद्धसागर जी महाराज ने धर्मसभा में कहा कि घर परिवार का कुशल-संचालन करना है, तो संतुलन होना चाहिए। जिसके घर में आय अधिक होगी, व्यय कम होगा, वही अशांति और कलह से बच जाता है। देश, राष्ट्र और परिवार की समृद्धि के लिए आय-व्यय का संतुलन आवश्यक है। जीवन में शांति से जीना चाहते हो तो संतुलन सीखो। संतुलन के अभाव में जीवन अशांत हो जाता है। संतुलित बोलो, समय पर बोलो, काम का बोलों, संतुलित भोजन करो। असंतुलित जीवन प्लास्टिक पुष्पवत् व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि साधुओं की सेवा भी करो। आय के साथ व्यय भी करो। जोड़ जोड़कर रखते गए तो कोई छीन लेगा। बोलने से पहले विचार करो। प्रभु की भक्ति करो, प्रभु भक्ति से सुन्दर रूप की प्राप्ति होती है। जिसका दुनिया में नाम चल रहा है, उस व्यक्ति की वृत्ति को धारण करो। यश भी चाहिए तो गुरुओं की सेवा करो। संसार में पापियों की संख्या बहुत है, परन्तु महा-पापी वह है जो उपकारी का अपकार करता है। जिस माँ ने तुम्हे जन्म दिया है, पढ़ाया है, योग्य बनाया है, जीवन दान दिया है उस माँ का अपकार नहीं करना। उपकारी का उपकार न चुका सको तो कोई बात नहीं, पर उसके उपकारों को भूलना नहीं।
सभा मे मुनि श्री सारस्वत सागर जी महाराज ने भी मंगल प्रवचन दिया। मंगलाचरन पंडित राकेश जैन ने किया। दीप प्रज्वलन धनपाल जैन अध्यक्ष आचार्य विद्या सागर पशु संरक्षण केंद्र, सुनील जैन सिग्नेट, नरेंद्र जैन ज्वेलर्स बड़ौत द्वारा किया गया।