Monday, April 29, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार » भारत विरोध की बढ़ती प्रवृत्ति

भारत विरोध की बढ़ती प्रवृत्ति

Pankaj k singhबांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियां तथा आतंकवाद की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है। बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन ने पिछले कुछ समय में चटगांव के पहाड़ी क्षेत्रों से भारी मात्रा में अवैध हथियारों तथा गोला-बारूद के साथ अनेक जेहादियों तथा कट्टरपंथी आतंकियों को समय-समय पर गिरफ्तार किया है। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ‘एनआईए’ को भी इस आशय की सूचनाएं निरंतर मिलती रही हैं कि बांग्लादेश के चटगांव स्थित पहाड़ी क्षेत्रों में कट्टर आतंकी गुटों तथा जेहादी संगठनों द्वारा आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाए जा रहे हैं।
‘एनआईए’ द्वारा इस प्रकार की सूचनाओं को बांग्लादेश रैपिड बटालियन के साथ साझा कर समय-समय पर आवश्यक कार्रवाई की जाती रही है। इन आतंकवाद निरोधी अभियानों में समय-समय पर भारी मात्रा में राइफल, पिस्तौल, आधुनिक आग्नेयास्त्र, विस्फोटक सामग्री तथा कारतूस इत्यादि जब्त किए जाते रहे हैं। इन अभियानों में अनेक आतंकियों और जेहादियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। इन जेहादी और आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में कट्टरपंथी विचारों और संबोधनों के आॅडियो तथा विडियो टेप भी अनेकों बार बरामद किए गए हैं। इन शिविरों में कट्टरपंथी आतंकियों को प्रोत्साहित करने के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय कट्टरपंथी आतंकी सरगनाओं के उत्तेजक भाषणों के टेप सुनाए जाते हैं। बांग्लादेश रैपिड बटालियन द्वारा यह सूचनाएं दी गई हैं कि इन आतंकी शिविरों से प्रशिक्षण प्राप्त कर 30 से अधिक युवक भारतीय सीमाओं में वापस लौट चुके हैं। इन आतंकी शिविरों में इराक और सीरिया में कार्यरत इस्लामिक स्टेट में भर्ती के लिए भी आतंकी युवकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान आतंकियों को अत्याधुनिक हथियार चलाना सिखाया जाता है।
जेहादियों और आतंकियों को पेट्रोल और डीजल के ड्रमों द्वारा हथियारों तथा विस्फोटक सामग्रियों की आपूर्ति की जाती है। आतंकी संगठनों की शक्ति और उनका आधार खतरनाक ढंग से बढ़ता जा रहा है और बांग्लादेश सरकार तथा सेना उन पर नियंत्रण लगाने में सक्षम साबित नहीं हो सकी है। वर्धमान विस्फोट कांड के बाद भी बांग्लादेश सरकार द्वारा ऐसे आवश्यक कदम नहीं उठाए जा सके हैं, जिनसे बांग्लादेश में आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को समाप्त किया जा सके और संपूर्ण क्षेत्र में शांति और सुव्यवस्था स्थापित की जा सके।
पश्चिम बंगाल पुलिस तथा ‘सीआईडी’ ने बड़ी सफलता अर्जित करते हुए बांग्लादेश के माफिया डॉन और इंटरपोल की कुख्यात अपराधियों की सूची में नामजद मुल्ला मसूद को गिरफ्तार किया है। बैरकपुर इलाके से गिरफ्तार किए गए मुल्ला मसूद के खिलाफ बांग्लादेश के रमना थाने में दर्जनों हत्याओं, वसूली व आतंकी वारदातों को अंजाम देने सहित कई अनेक संगीन मामले दर्ज हैं। मुल्ला मकसूद पिछले कुछ समय से भागकर पश्चिम बंगाल में छिपा हुआ था तथा बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों को काफी समय से उसकी तलाश थी। उसकी फरारी के बाद इंटरपोल ने भी ‘रेड कार्नर’ नोटिस जारी किया था। भारत में सीआईडी द्वारा वर्ष 2014 में वर्द्धमान जिले में हुए आतंकी विस्फोटों के संदर्भ में उसकी भूमिका तथा जानकारी को लेकर पूछताछ की जा रही है। उल्लेखनीय है कि इस वर्द्धमान विस्फोट कांड में बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) का हाथ सामने आया था।
भारत में बांग्लादेशी आतंकी संगठन भी जगह बनाते जा रहे हैं। बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर हो रही अवैध घुसपैठ इन बांग्लादेशी आतंकी संगठनों के लिए आवश्यक जमीन और संसाधन उपलब्ध करा रही है। असम में 2012 में हुई हिंसा की साजिश बंग्लादेशी आतंकी संगठन ‘जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश’ (जेएमबी) ने रची थी। इस हिंसा में सौ से ज्यादा लोगों की जान गई थी। इसका खुलासा दो अक्टूबर 2013 को पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के खागरागढ़ में हुए धमाके में शामिल आतंकियों ने किया था। धमाके के प्रमुख षडयंत्रकारियों में शामिल शाहनूर आलम उर्फ डॉक्टर व उसके दो सहयोगी खाइखुल इस्लाम और रफीकुल इस्लाम से ‘एनआईए’ द्वारा की पूछताछ के बाद यह सुराग मिले थे।
भारतीय जांच एजेंसियों को यह जानकारी भी मिली है कि म्यांमार में ‘रोहिंग्या’ संप्रदाय के लोगों पर हुए हमले में भी ‘जेएमबी’ का हाथ रहा है। उस घटना की तस्वीरें सोशल नेटवर्किंग साइटों पर भी पोस्ट की गई थी, जिसे देखने के बाद पुणे, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद सहित अन्य शहरों में उत्तर-पूर्व राज्यों के लोगों पर हमले की घटनाएं हुई थीं। जांच एजेंसियों को यह भी पता चला है कि प्रदेश में सक्रिय उग्रवादी संगठन ‘नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोडोलैंड’ (एनडीएफबी) का गठन भी ‘जेएमबी’ की मदद से हुआ है। बाहरी लोगों पर ‘एनडीएफबी’ के हमले के बाद असम में करीब 270 राहत शिविर बनाए गए थे, जिसमें ‘एनडीएफबी’ व ‘जेएमबी’ के आतंकियों की भर्ती का अभियान चलाया था। स्पष्ट है कि भारत को इस प्रकार के आतंकी संगठनों से निपटने में देर नहीं करनी चाहिए। देश के भीतर तैयार हो चुके इनके नेटवर्क और इसमें शामिल राष्ट्रविरोधी तत्वों को समूल उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है। – पंकज के. सिंह