Monday, September 16, 2024
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अपनी आत्मा का चिंतन तीर्थंकर के जैसे करना चाहिएः वसुनंदी महाराज

फिरोजाबाद। श्री महावीर जिनालय छदामीलाल जैन मंदिर में चातुर्मास कर रहे आचार्य वसुनंदी महाराज ससंघ के सानिध्य में नित्य प्रतिदिन धर्म की वर्षा हो रही है। बुधवार को प्रातः महावीर जिनालय में सैकड़ों भक्तो ने मंदिर में नित्य नियम अभिषेक शांतिधारा एवं पूजन किया। इसके बाद आचार्य श्री महाराज के सानिध्य में मंदिर प्रांगण में श्री भक्तांबर महामंडल विधान प्रारंभ हुआ। विधान के उपरांत मुनि प्रज्ञानंद महाराज द्वारा भक्तांबर के काव्यों का उच्चारण किया गया, सभी भक्तो ने साथ में उच्चारण किया। मुनि प्रज्ञानंद ने कहा कि संसार में दो तरह के जीव होते है एक भव्य जीव और दूसरे अभाव्य जीव। जो अपने शाश्वत स्वरूप को प्राप्त करने योग्य है, जो सिद्ध होने के योग्य है जो जीव अपने कर्मो का नाश करके सिद्धालय की यात्रा करते है वे ही भव्य जीव कहलाते है और अभव्य जीव तीनो लोको में कही चले जाये वे कभी मोक्ष को प्राप्त नही कर सकते। इसके बाद मंदिर में बने विशाल पंडाल में आचार्य वसुनंदी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हे भव्य जीव अपनी आत्मा का चिंतन ऐसे करो की मेरी आत्मा ही तीर्थंकर की तरह से परम उत्तम है, श्रेष्ठ है ऐसी मेरी आत्मा है। मैं तीर्थंकर की तरह अपनी आत्मा में लीन हुं।