ऊंचाहार, रायबरेली। क्षेत्र के मनीरामपुर गांव में चल रही संगीतमयी श्री मद्भागवत कथा में शुक्रवार यानि छठवें दिन बड़ा ही सुन्दर प्रसंग सुनाया गया। जिसका श्रद्धालुओं ने बड़े ही भाव विभोर होकर सुना। इस संगीतमयी श्री मद्भागवत कथा के मुख्य यजमान शिवमोहन सिंह भदौरिया हैं, और यह कथा उनके अपने निवास मनीरामपुर मजरे गोपालपुर उधवन में विगत 03 नवंबर दिन रविवार से निरंतर चल रही है और पूरा क्षेत्र इस कथा का लाभ उठा रहा है।
श्री मद्भागवत कथा के छठें दिन शुक्रवार को कथावाचक आचार्य महेंद्र कृष्ण कन्हैया के मुखारविंद से भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि के विवाह का प्रसंग सुनाया गया। कथावाचक ने श्रोताओं को बताया कि द्वापर युग में रुक्मणी स्वयं लक्ष्मी का अवतार थी और भगवान श्री कृष्णा नारायण के अवतार थे। इसलिए दोनों का मिलन तो पहले से ही निश्चित था, वह नारायण से दूर हो ही नहीं सकती थी। कथावाचक ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का पहला विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ हुआ था। उन्होंने कहा कि बाल रूप से ही रुक्मणि सच्चे हृदय से श्री कृष्ण चाहती थी और उन्हीं से विवाह भी करना चाहती थी।
परंतु उसका भाई रुक्मणि का विवाह गोपाल देश के राजा शिशुपाल से कराना चाहता था। जब रुक्मणी ने अपने भाई की इच्छा जानी तो श्री कृष्ण का स्मरण किया और एक ब्राह्मण के द्वारा पत्र भेजकर स्वयं को प्राप्त करने के लिए श्री कृष्ण को मार्ग बताया। वही जब रुक्मणी माता पार्वती की पूजा करने के लिए मंदिर गई तभी श्री कृष्ण ने मंदिर से ही रुक्मणी का हरण कर लिया। अंत में कथा वाचक ने बताया कि रुक्मणी के पिता ने दोनों का विवाह पूरी रीति-रिवाज के साथ संपन्न कराया। भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का सुंदर प्रसंग सुनकर पंडाल में उपस्थित श्रोता खुशी से झूम उठे।
मनीरामपुर गांव के अंदर चल रही इस संगीतमयी श्री मद्भागवत कथा को सुनने के लिए दूर दराज के गांवों से भी लोग आ रहे हैं। इस अवसर पर दीपक सिंह भदौरिया, ज्ञानेंद्र सिंह , कुलदीप सिंह, सुभाष सिंह, दिग्विजय सिंह भदौरिया, त्रिवेणी बहादुर सिंह चौहान, बिपिन सिंह राठौर, सतीश सिंह चौहान, बबन सिंह चौहान, रामू सिंह चौहान सहित तमाम श्रोतागण मौजूद रहे।