Saturday, May 4, 2024
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जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते आज तक आंसू बहाता सहपऊ

1952 से लेकर 2014 तक क्षेत्र की जनता ने 16 सांसद चुने
प्रमुख समस्या-70 वर्ष बाद आज भी उच्च शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं व यातायात आदि से वंचित
सहपऊ/हाथरस, नीरज चक्रपाणि। आजादी से पहले कस्बा सहपऊ कई मायनों में महत्वपूर्ण था। यहॉ का तम्बाकू, बूरा, घी, नील की खेती, वस्त्र आदि के लिये काफी प्रसिद्ध था और यहॉ की वस्तुएं दूर-दूर तक जाती थीं। कई मायनों में यहॉ की मण्डी व बाजार हाथरस से अव्वल समझा जाता था। बौद्धिक परम्परा गर्व करने योग्य थी। सहपऊ विकास खण्ड के अन्दर चार दर्जन स्वतंत्रता सैनानी सूची वद्ध रहे फिर भी इस इलाके की अनदेखी हुई। अब यहॉ गर्व करने जैसी कोई बात ही नजर नही आती है। इसका मुख्य कारण जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार होना।उच्च शिक्षा व उघोग धंधे अब इस गौरवशाली कस्बे तक पहुंचने के लिये कोई सरकारी रेल या बस सेवा नहीं है। मुख्य मथुरा-एटा मार्ग की लम्बाई लगभग 120 किमी है। जिसके मध्य 60 किमी पर कस्बा सहपऊ स्थित है। मुख्य मार्ग से कस्बे के लिये डेढ किमी का रास्ता लोग पैदल चलकर कस्बे में पहुंच पाते हैं। पुराने सभी उघोग धंधे चैपट हो गये। क्षेत्र के लोग बेरोजगारी, तंगहाली से जूझने को विवश हैं। किसी समय में ब्लॉक क्षेत्र के गांव, देहातों का मुख्य बाजार कस्बा सहपऊ होता था। एक जमाने में यहां का एम एल इंटर कॉलेज इतना समृद्ध व ख्याति प्राप्त था कि यहां प्रवेश के लिये मंत्रियों व जनप्रतिनिधियों के सिफारसी पत्र आया करते थे। अनुशासन की पराकाष्ठा यह थी कि इस तरह के पत्रों के बाद भी अयोग्य छात्र-छात्राओं को प्रवेश नहीं मिलता था। आज शिक्षा के मामले में भी क्षेत्र बुरी तरह पिछडा हुआ है। पूरी शिक्षा व्यवस्था शिक्षा माफियाओं के चंगुल में है। ठेके पर नकल होती है। योग्य व मेहनतकश छात्र-छात्राएं कस्बे में उच्च शिक्षा व प्रौघोगिक शिक्षा की दुर्दशा के कारण दूसरे शीरों की  ओर पलायन करते जा रहे हैं। यहां गाहे-बजाहे शुरू की गयी। विकास योजनाएं, दम तोडती  जा रही हैं। उदाहरण के लिये करीब 25 वर्ष पूर्व जब क्षेत्र मथुरा जिले का भाग था। तब 33 लघु उघोगों की इकाइयों के लिये जिला उघोग केन्द्र ने जगह आवंटित की थी। बाउन्ड्रीवॉल, विधुतीकरण, सडक आदि का निर्माण कराया गया। लेकिन आज यह आवंटित भूमि निष्यप्रयोज्य है। इस भूमि का करीब 15 प्रतिशत भाग किसी को दुग्ध केन्द्र स्थापित करने के लिये प्राप्त है। इसके अलावा बाकी भूमि का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। यातायात की समस्या यातायात की समस्या को लेकर इस क्षेत्र के लोकप्रिय नेता व पूर्व विधायक, रेलवे सर्विस बोर्ड कमिशन के चेयरमैन स्व0 कुॅ0 अशरफ अली खॉ व उनके पुत्र व पूर्व मंत्री स्व0 कुॅ0 जावेद अली खॉ के प्रयासों से तत्कालीन रेल मंत्री सी के जाफर अली के कार्यकाल में जलेसर रोड रेलवे स्टेशन से सादाबाद-मथुरा राया सहपऊ रेल मार्ग का प्रस्ताव किया गया था। सरकार ने सर्वे भी कराया था। इसके बाद इस मामले पर न तो किसी सांसद ने संज्ञान लिया और न ही किसी राजनेता का ध्यान इस ओर गया।वरिष्ठ लेखक रजत उपाध्याय बताते हैं लोकसभा के परिसीमन की स्थितिसन् 1952 से लेकर 2019 तक यह क्षेत्र विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों के अधीन रहा व 16 सांसदो को चुनकर इस क्षेत्र की जनता ने प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। सर्व प्रथम यह क्षेत्र एटा लोकसभा क्षेत्र के अधीन था और चै0 दिगम्बर सिंह कांग्रेस के सांसद चुने गये। 1957 में यह क्षेत्र एटा-जलेसर लोकसभा क्षेत्र का भाग बना प्रो0 किशनचन्द्र वृन्दावान वाले सांसद हुये। 1962 के बाद परिसीमन में जलेसर लोकसभा क्षेत्र बना 1967 व 71 के चुनाव में रोहनलाल चतुर्वेदी (एटा)  सांसद चुने गये। वे रेल राज्यमंत्री बने तो प्रस्तावित जलेसर रोड-मथुरा रेल मार्ग वाया सहपऊ को निरस्त कर बरहन जंक्शन से एटा के लिये करा दिया और यहॉ की जनता के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। इमरजेन्सी के बाद 1977 व 1980 में चै0 मुल्तान सिंह जनसंघ से सांसद हुये। 1984 में कैलाश यादव कांग्रेस के सांसद बने। 1989 में पुनः चै0 मुल्तान सिंह जनता दल से सांसद बने। 1991 भाजपा लहर के चलते स्वामी सुरेशानन्द्र सांसद बने। 1996 में भाजपा के प्रो0 ओमपाल सिंह निडर सांसद बने। 1998, 1999 व 2004 के तीन लोकसभा चुनाव सपा प्रत्याशी के रूप में प्रो0 एस पी िंसंह बघेल जीते। फिर एक बार परिसीमन हुआ और या क्षेत्र हाथरस सुरक्षित लोकसभा के अधीन हुआ और 2009 के लोकसभा चुनाव में रालोद-भाजपा गठबंधन पर सारिका सिंह बघेल सांसद चुनी गयीं। लेकिन क्षेत्र के विकास के नाम पर कोई कार्य नही किया। 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में राजेश दिवाकर को टिकट मिला और मोदी लहर में बसपा प्रत्याशी मनोज सोनी को 3 लाख से अधिक मतों से पराजित कर विजयी हुये और सपा प्रत्याशी रामजीलाल सुमन तीसरे स्थान पर रहे। वर्तमान सांसद राजेश दिवाकर के सामने क्षेत्र की 4 प्रमुख समस्याएं उच्च शिक्षा (राजकीय महाविधालय व प्रौघोगिक शिक्षण संस्थान), बेरोजगारी (औघोगिक इकाई की स्थापना), स्वास्थ्य (चिकित्सालय के सुधार की मांग) व यातायात (रोडवेज बसों के सचालन व जलेसर रोड रेलवे स्टेशन) की मांग रखी गयीं। कस्बे व क्षेत्र के लोगों के साथ पत्रकार व समाज सेवी रजत उपाध्याय द्वारा पूर्व में (स्व0 कुं. अशरफ अली खॉ व स्वॅ0 कु0 जावेद अली खॉ द्वारा) उपरोक्त प्रस्ताव के बारे में अवगत कराते हुये साथ ही जलेसर रोड रेलवे स्टेशन पर रिजर्वेशन काउंटर के साथ दो प्रमुख ट्रेन संगम एक्सप्रेस व फरक्का एक्सप्रेस के ठहराव की मांग रखी गयी। लेकिन वर्तमान सांसद से उक्त समस्याओं के बारे में कई बार कस्बे व क्षेत्र के लोगों ने मौखिक व लिखित रूप में वार्ता की। लेकिन उपरोक्त समस्याओं का कोई हल पांच साल के कार्यकाल में नहीं हुआ और सहपऊ क्षेत्र की जनता को यहां के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का शिकार कब तक बना रहना पडेगा। क्या 2019 के चुनाव में चुने गये सांसद यहॉ की प्रमुख समस्याओं पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगें ?