Thursday, May 2, 2024
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डीडीए के निर्माणाधीन साइट पर जायजा लेने के लिए एटक ट्रेड यूनियन की टीम का दौरा

नरेला में डीडीए फ्लैट निर्माणधीन साइट में 13 वीं मंजिल से लिफ्ट गिरी, 1 मजदूर की मौत, 12 घायल जिनमें 3 की हालत बेहद गम्भीर।
बहुमंजिला भवन के निर्माण में लगे मजदूरों को जरूरी सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए थे।
उत्तरी दिल्ली के नरेला में कंस्ट्रक्शन साइट पर हुआ हादसा।
गुस्साए मजदूरों ने निर्माणाधीन साइट के फ्लैटों में की तोड़फोड़।
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन काँग्रेस (एटक) के दिल्ली राज्य कमेटी की पांच सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने 9 सितम्बर को उत्तरी दिल्ली के नरेला में आलुवालिया कंट्रक्शन कंपनी द्वारा डीडीए के लिए बनाए जा रहे फ्लैट्स के कन्स्ट्रक्शन साइट का दौरा किया। एटक की फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने कंट्रक्शन साइट और मजदूर बस्ती में जाकर मजदूरों, स्थानीय निवासियों और कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों से बात कर अनेक जानकारियाँ इकट्ठा की।
पांच सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग टीम में महासचिव मुकेश कश्यप, सचिव सुशील कुमार, राजेश कश्यप, उदय कुमार एवं ब्रजभूषण तिवारी शामिल थे।
एटक की पांच सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पाया कि इस साइट पर लिफ्ट के गिर जाने से ड्यूटी करते हुए एक मजदूर की मौत हो गई और 12 घायल हो गए जिसमें 3 की हालत बेहद गंभीर है। घटना के बाद सभी घायलों को हॉस्पिटल ले जाया गया था। इस घटना से गुस्साए मजदूरों ने निर्माणाधीन भवन के कई फ्लैटों में तोड़फोड़ की। लिफ्ट 13 वीं मंजिल से नीचे गिरी थी। यह कंस्ट्रक्शन कंपनी डीडीए के लिए नरेला के इस साइट पर निम्न आय वर्ग के लिए 2020 और अन्य आय वर्ग के लिए 312 फ्लैट्स का निर्माण कर रही है। इस बहुमंजिला भवन के निर्माण में लगे मजदूरों को कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए थे। इस साइट पर कार्यरत मजदूरों के अनुसार दुर्घटना के समय लगभग 450 मजदूर काम कर रहे थे। मजदूर ठेकेदारों द्वारा 53 दिन के कॉन्ट्रैक्ट पर बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से लाए जाते हैं। मैसर्स आहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा श्रर्मिकों को सुरक्षा उपकरणों के नाम पर सिर्फ घटिया गुणवत्ता के हेलमेट दिए गए हैं। दुर्घटना के समय मजदूर बिना हेलमेट लगाए लिफ्ट पर सवार थे। कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सुरक्षा मानकों की जमकर धज्जियाँ उड़ायी जा रही है। मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जाता है। ईएसआई की सुविधा भी मजदूरों को नहीं दी जाती है। कुछ मजदूरों का पीएफ काटता है लेकिन अधिकांश मजदूर पीएफ की सुविधा के प्रति जागरूक नहीं हैं। मजदूरों के रहने की सुविधा के नाम पर अस्थायी कमरे दिए गए हैं, जिनमें जनसुविधाओं का घोर अभाव है। निर्माण मजदूरों के बच्चों के लिए कंस्ट्रक्शन साइट या आवासीय बस्ती में कहीं भी बालवाड़ी और पालनाघर की व्यवस्था नहीं की गई है जो कि निर्माणक्षेत्र से जुड़े नियमों का सरासर उलंघन है। मजदूर बस्ती में सार्वजनिक शौचालय और पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। निर्माण मजदूर झोलाछाप डॉक्टर से अपना और अपने परिवार का इलाज करवाने पर मजबूर हैं। दैनिक मजदूरी के नाम पर 11 घंटों की कमरतोड़ मेहनत के बाद 200-/ मात्र पारिश्रमिक मिलता है। यह पाया गया कि दुर्घटना के तुरंत बाद कंस्ट्रक्शन साइट पर सुरक्षा मानकों को प्रदर्शित करते हुए दिखावटी दिशानिर्देश लगाए गए हैं। दुर्घटना का मुख्य कारण सुरक्षा मानकों के प्रति डीडीए एवं आहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स इंडिया लिमिटेड की घोर लापरवाही है।
घटनास्थल के दौरे के दौरान एटक दिल्ली की टीम ने मजदूर बस्ती में श्रर्मिकों के परिवारों से बातचीत की और सुरक्षा मानकों के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ श्रर्मिकों के अधिकारों के प्रति जागरूक किया। मजदूरों को दिल्ली भवन एवं अन्य संनिर्माण बोर्ड एवं दिल्ली निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड के द्वारा पंजीकरण और योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।
यह तय किया गया कि शीघ्र ही निर्माण स्थल पर एक मजदूरों की जनसभा का आयोजन दिल्ली एटक द्वारा किया जाएगा। एटक की दिल्ली राज्य कमेटी के महासचिव मुकेश कश्यप ने बताया कि एटक ने निर्माण मजदूरों की सुरक्षा के लिए श्रम मंत्रालय, दिल्ली और केंद्र सरकार और श्रम आयुक्त को ज्ञापन देने और आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया है।