Thursday, April 25, 2024
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सरकारी मशीनरी के पुराने ढर्रे में बदलाव लायें योगी

portal head web news2देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए। सभी प्रदेशों की सरकारें बन गईं लेकिन उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिले प्रचण्ड बहुमत ने भाजपा के सामने कई चुनौतियां भी खड़ी कर दीं हैं। ऐसा माना जाता है कि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश से चलती है लेकिन यहां की जनता परिवर्तन करने में देर नहीं लगाती। बिगत कई उदाहरणों ने स्पष्ट कर दिया है कि यहां की जनता परिवर्तन करने में जरा भी हिचक भी नहीं रखती। भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिलना इसका जीता जागता उदाहरण है। पिछली सपा सरकार के कार्यकाल की अगर बात करें तो ‘काम बोलता है’ को पूरी तरह से नकारते हुए सूबे की जनता ने मोदी में अपनी रूचि दिखाई और अनुमान से अधिक सीटों पर विजयश्री का आशीर्वाद जनता ने दिया। अबकी बार के चुनाव नतीजों पर यह कहना अनुचित नहीं होगा कि मोदी ने भावनात्मक बयार को फैलाते हुए सूबे की जनता को अपने विश्वास में लिया और अखिलेश व राहुल के गठबन्धन की धज्जियां उड़ा दीं। कहने का मतलब है कि सूबे की जनता धार्मिकता को ज्यादा पसन्द करती है, शायद इसी लिए पार्टी के चर्चित चेहरों को जो मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे दिख रहे थे सबको किनारे करते हुए मोदी जी ने कट्टर हिन्दूवादी छवि रखने वाले योगी जी को सूबे की कमान सौंप दी है। हालांकि पार्टी में सन्तुलन साधने के लिए दो उपमुख्यमंत्री भी बनाये गए, वहीं मन्त्रिमण्डल में भी जातीय सन्तुलन को ध्यान में रखा गया।
हालांकि यह कोई नई बात नहीं पिछली सरकारों में भी जातीय सन्तुलन साधने पर जोर दिया जाता रहा है। लेकिन सबकुछ साधने के बाद भी सूबे की जनता ने बदलाव लाने की प्रक्रिया को जारी रखा है।
विधान सभा चुनाव तो सम्पन्न हो गए अब ‘मिशन 2019’ का लक्ष्य भी सभी पार्टियों के सामने है और इस मिशन को सफल बनाने के लिए योगी जी को सूबे में बिगत सरकारों की लीक से हटकर कार्य करना होगा। अगर सूबे की जनता योगी राज से सन्तुष्टि नहीं पा सकी तो यह कहना कदापि अनुचित न होगी कि देश की गद्दी का रास्ता भाजपा के लिए बहुत मुश्किल हो जायेगा। वहीं योगी जी के सामने भी बहुत चुनौतियां हैं। खास तौर पर सूबे की कानून व्यवस्था व सरकारी मशीनरी की कार्यशैली में बदलाव। यह कहना अनुचित नहीं कि पिछली अखिलेश सरकार के विकास कार्यों को हल्का करने में सरकारी मशीनरी ने भरपूर सहयोग किया। सरकारी मशीनरी ने पक्षपात पूर्ण कार्य कर अखिलेश सरकार की छवि को खराब करने पर कोई कोरकसर बाकी नहीं रखी थी, अखिलेश जी ने जनता की शिकायतो को सुनने के लिए पोर्टल सहित अन्य तमाम उपाय खोजे लेकिन सरकारी मशीनरी ने कागजों पर जनता की शिकायतों का निस्तारण किया, जमीनी हकीकत पर हमेशा ही पर्दा डाले रखा और इसी का नतीजा रहा है कि सूबे की जनता ने अखिलेश सरकार से मोहभंग करते हुए मोदी पर भरोसा जताया और सत्ता में उलटफेर कर दिया। अब वही मशीनरी योगी सरकार में कैसे कार्य करेगी, यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन, अगर सरकारी मशीनरी के पुराने ढर्रे को योगी जी नहीं बदल पाये तो ‘मिशन 2019’ में भी बदलाव देखने को मिलेगा।
क्योंकि सूबे की जनता अब ज्यादा दिन तक सब कुछ नहीं सहन करेगी।