Thursday, April 25, 2024
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कर्मचारी नामांकन के बारे में मांगी जानकारी

हाथरस, नीरज चक्रपाणि। सांसद राजेश दिवाकर ने लोकसभा में श्रम मंत्रालय से कर्मचारी नामांकन अभियान 2017 के सम्बन्ध में जानकारी मांगते हुये पूछा कि क्या सरकार ईपीएफओ, कर्मचारी नामांकन अभियान 2017 की शुरुआत करने कि योजना बना रही है। जिसके अन्तर्गत ईपीएफओ के सामाजिक सुरक्षा लाभों से वंचित कर्मचारियों को अपना ब्योरा स्वैछिक रूप से घोषित करने का मौका मिलेगा, उक्त योजना के प्रचलन के लिए तथा घोषणा के तहत अंशदान के संग्रहण हेतु क्या कार्यविधि व कार्य प्रणाली अपनाई जा रही है और उक्त योजना प्रचलन में कब तक आने की संभावना है। उत्तर में श्रम और रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि देश में सभी पात्र कामगारों को सामजिक सुरक्षा सुविधायें विस्तारित करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा 1.1.2017 से 31.1.2017 की अवधि के दौरान कर्मचारी नामांकन अभियान प्रारम्भ किया गया है। अभियान के दौरान प्रतिष्ठानों को अपने कामगार नामांकित करने हेतु विभ्भिन वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे है। पहले से ही शामिल अथवा अभी तक शामिल होने वाला कोई भी नियोक्ता 1-4-2009 और 31-12-2016 के बीच किसी कारण से अनामांकित रह गए कर्मचारियों का नामांकन, अभियान अवधि के दौरान ऐसे कर्मचारियों कि घोषणा कर सकता है। ऐसी घोषणा केवल उन्हीं कर्मचारियों के सम्बन्ध में वैध होगी जो 1 जनवरी 2017 को जीवित हों और कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपवंध अधिनियम, 1952 कि धारा 7क अथवा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना 1952 के पैराग्राफ 26ख अथवा कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के पैराग्राफ 8 के अन्तर्गत उनके प्रतिष्ठान अथवा नियोक्ता, जैसी भी स्थिति हो के विरुद्ध ऐसे कर्मचारियों की सदस्यता की पात्रता निर्धारित करने हेतु कोई कार्यवाही शुरू न की गई हो। इस अभियान के अंतर्गत की गई घोषणा के सम्बन्ध में नियोक्ता, नियोक्ता का अंशदान, अधिनियम कि धारा 7ण के अन्तर्गत ब्याज और क्षति प्रेषित करने के लिए उत्तरदायी होंगे। प्रोत्साहन स्वरुप, अभियान के अंतर्गत की गई घोषणाओं पर निम्नलिखित शर्ते लागू होंगी। यदि नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के अंशदान का हिस्सा जमा नहीं करवाया गया घोषित किया गया हो तो वह अदा किया जाना आपेक्षित नहीं होगा। इस अभियान के अन्तर्गत जिन कर्मचारियों के लिए घोषणा कि गई हो, उनके सम्बन्ध में नियोक्ता द्वारा अदा की जाने वाली क्षति प्रति वर्ष 1 रुपये की दर पर होगी। इस घोषणा के अन्तर्गत किये गए अंशदान के सम्बन्ध में नियोक्ता से कोई प्रशासनिक प्रभार एकत्र नहीं किये जाएंगे। यदि नियोक्ता घोषणा करने के 15 दिवस के भीतर इस अभियान के अंतर्गत की गई घोषणा के सम्बन्ध में उसके द्वारा संदेय धनराशि, ब्याज और क्षति अदा करने में असफल रहे तो इस अभियान के अन्तर्गत ऐसी कोई घोषणा की गई नहीं समझी जायेगी।